दस्तक-विशेषराजनीतिराष्ट्रीय

मोदी की राह होगी आसान, ‘इंडिया’ में मचेगा घमासान!

दस्तक ब्यूरो, देहरादून

2023 के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक खूब चला है। पीएम मोदी की गारंटी पर भरोसा करने का ही नतीजा रहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत दर्ज की। इन राज्यों की जीत से प्रधानमंत्री मोदी के लिए 2024 लोकसभा चुनाव की राह आसान होगी। वहीं, कांग्रेस व ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए यह चुनावी नतीजे किसी सदमें से कम नहीं होंगे। भाजपा के हाथों तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन में आने वाले दिनों में घमासान देखने को मिलने की उम्मीद है। दरअसल, कांग्रेस पूरी तरह आश्वस्त थी कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना में उसकी सरकार बनेगी। जबकि, राजस्थान को लेकर भी चुनावी अंतिम दौर में कांग्रेस जीत के दावे करने लगी थी। चुनावी नतीजों के अनुरूप कांग्रेस को तेलंगाना में जीत तो मिल गई, लेकिन अन्य तीन राज्यों में मुंह की खानी पड़ी। यहां पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर विश्वास जताकर भाजपा को वोट दिये गये। इससे यह तो स्पष्ट है कि जनता में आज भी पीएम नरेंद्र मोदी सबसे ज्यादा लोकप्रिय बने हुए हैं। इससे भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रचंड जीत की उम्मीद है।

दूसरी ओर, इन चुनावी नतीजों से इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की चिंता बढ़ेंगी। इंडिया गठबंधन ने 6 दिसंबर को दिल्ली में बड़ी बैठक बुलाई है। कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद अब गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर भी घमासान देखने को मिल सकती है। अभी तक कांग्रेस की यह रणनीति थी कि इन राज्यों में चुनाव जीतने के बाद वह सीट शेयरिंग में अधिक सीट लेने का दबाव बनाएगी, लेकिन यहां हार मिलने के बाद कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फिर गया है। ऐसे में अन्य पार्टियां कांग्रेस के दबाव में न आकर अपने लिए ज्यादा सीटें लेने की कोशिश करेंगी। दिल्ली, पंजाब व हरियाणा में कांग्रेस व आप के बीच सीट शेयरिंग को लेकर राजनीतिक खींचतान देखने को मिलने की संभावना है।

पीएम मोदी की ‘सांसद रणनीति’ रही सफल, 18 में से 14 जीते

पीएम नरेंद्र मोदी चुनावी रणनीति के भी माहिर हैं। तभी तो पीएम मोदी ने विधानसभा चुनाव में सांसदों को उतारने की रणनीति बनाई थी, वो पूरी तरह सफल रही है। इसका फायदा यह हुआ कि भाजपा एक-एक सीट को बढ़ाने में सफल रही और उसे पूर्ण बहुमत मिला। खास बात यह कि इसके जरिये पीएम मोदी ने सासंदों की जनता में स्वीकार्यता को भी परख लिया। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, उदयराव प्रताप सिंह, रीति पाठक, गणेश सिंह, राकेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था, इनमें फग्गन सिंह कुलस्ते को छोड़कर सभी सांसदों ने जीत हासिल की। वहीं, राजस्थान की बात करें तो यहां राज्यवर्धन सिंह राठौर, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, डॉ. किरोड़ीलाल मीणा, भागीरथ चौधरी, देवजी पटेल, नरेंद्र कुमार खीचड़ को उतारा, जिनमें भागीरथ, देवजी व नरेंद्र कुमार खीचड़ को छोड़कर चार सांसद जीत दर्ज करने में सफल रहे। छत्तीसगढ़ से भी 4 सांसद रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण सीव व विजय बघेल को टिकट दिये थे, जिनमें विजय बघेल को छोड़कर तीनों सांसदों ने जीत दर्ज की।

हारे राज्यों में सपा-आप मांगेंगे सीटें, कांग्रेस की बढ़ेगी टेंशन

कांग्रेस को इन राज्यों में हार का खामियाजा सियासी नुकसान के रूप में भुगतना पड़ सकता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अब लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी सीटों की मांग कर सकती है। कांग्रेस के सामने दुविधा यह होगी कि अगर वो इन राज्यों में दूसरी पार्टियों की सियासी जमीन न होने का हवाला देकर सीट शेयर करने से मना करती है तो ये पार्टियां विधानसभा चुनाव की हार का हवाला देकर कांग्रेस को घेरते दिख सकती हैं। यदि कांग्रेस एमपी, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में दो-तीन लोकसभा सीटें सपा व आप के लिए छोड़ भी देती है तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा सियासी नुकसान होगा।
दरअसल, यदि यहां सपा व आप उन सीटों को जीतने में सफल होती है तो इन राज्यों में पार्टी की सियासी जमीन तैयार हो जाएगी, जो आने वाले दिनों में कांग्रेस के लिए ही मुसीबत पैदा करेंगे। बता दें कि एमपी चुनाव में सपा अध्यक्ष एवं पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कांग्रेस से 2-3 सीटों की मांग की थी। उनके व कांग्रेस के बीच जुबानी जंग भी देखने को मिली थी। वहीं, आप के अरविंद केजरीवाल तो पहले से ही राजस्थान, एमपी व छत्तीसगढ़ में सियासी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं।

‘इंडिया’ में पीएम उम्मीदवारी पर शुरू होगी खींचतान

इंडिया गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस चाहती है कि अगर गठबंधन चुनाव जीतता है तो प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार उनकी पार्टी से ही हो। हिमाचल, कर्नाटक के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि अब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना व राजस्थान में सरकार बनने के बाद उसका दावा और मजबूत होगा। यही कारण था कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन की बैठक को चुनाव नतीजे आने तक लगातार टालती रही, लेकिन इस हार के बाद अब गठबंधन की सहयोगी पार्टी के बड़े नेता भी पीएम पद का उम्मीदवार पेश करने की कोशिश करते दिख सकते हैं। बता दें कि कई बड़े नेता पूर्व में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की स्वीकार्यता को लेकर सवाल खड़े करते दिखाई दिये हैं।

Related Articles

Back to top button