मौसम विभाग (IMD) ने कहा कि बुधवार से दक्षिण-पश्चिम मानसून (South west Monsoon) और उत्तर-पश्चिम भारत (North West India) के कई हिस्सों में मानसून की विदाई होना शुरू हो जाएगी. इसके साथ ही यह साल 1960 के बाद से यह दूसरी सबसे ज्यादा देर से विदाई वाला मानसून होगा. राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख देवी ने कहा कि “उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में बारिश थम गई है. हालांकि राजस्थान के गंगानगर क्षेत्र में अभी भी बारिश हो रही है. लेकिन जल्द ही यहां भी बारिश थमने की आशंका जताई जा रही है. उन्होंने कहा कि इन एक एंटी-साइक्लोन स्थापित हो रहा है, जिससे हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम में बदल रही है. ये सभी स्थितियां देश से धीरे-धीरे मानसून की विदाई की ओर इशारा कर रही है.
हालांकि, दिल्ली में मंगलवार को स्थानीय स्तर पर हल्की बारिश के साथ छींटे पड़े. देवी ने कहा “दिल्ली के कुछ हिस्सों में आंधी की गतिविधि मुख्य रूप से उच्च दिन के तापमान और नमी के कारण होती है. एक पश्चिमी विक्षोभ भी है, जो इस क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है. ”
वहीं जून-सितंबर में मानसून की विदाई का मतलब तापमान और आर्द्रता में धीरे-धीरे गिरावट है क्योंकि उत्तर पश्चिम से शुष्क हवाएं चलती हैं. मौसम विभाग ने बताया कि साल 2019 में सबसे ज्यादा देरी से मानसून की वापसी देखी गई है, उस साल 9 अक्टूबर को मॉनसून की वापसी होनी शुरू हुई थी. जबकि पिछले साल मानसून ने 28 सितंबर को वापसी करना शुरू किया, जबकि 1961 में, यह 1 अक्टूबर को वापस आना शुरू हुआ.
तापमान में आएगी मामूली गिरावट
निजी फोरकास्टर स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष, महेश पलावत ने कहा, “राजस्थान पर अभी भी कुछ बादल हैं, लेकिन कल यानी 6 अक्टूबर तक यह साफ हो जाएगा और इस बार मानसून की विदाई बहुत तेजी से होगी.” उन्होंने कहा कि हमारे विश्लेषण के अनुसार, मानसून पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी हिमालय, गुजरात, मध्य प्रदेश के उत्तरी भागों, यहां तक कि बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से 10 अक्टूबर तक मॉनसून वापस चला जाएगा, उत्तर-पश्चिमी हवाएं पूरे क्षेत्र में प्रवेश करेंगी, सुबह-शाम तापमान में मामूली गिरावट आएगी और हवाएं शुष्क रहेंगी.
दिल्ली में कल का तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड
इस बीच राजधानी दिल्ली में मंगलवार को अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. इस बीच पंजाब और हरियाणा में फसल की कटाई शुरू हो गई है. भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि “मौसम पूरी तरह से साफ नहीं हुआ है लेकिन कटाई शुरू हो गई है. कुछ अलग-अलग जगहों पर आग लगनी शुरू हो गई है. जब तक सरकार किसानों को सीधे सब्सिडी देने की योजना नहीं बनाती, तब तक ज्यादातर किसान पराली जलाने का विकल्प चुनेंगे. ”