मोरबीः यहां की एक अदालत ने मोरबी पुल हादसे के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से आठ की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी. सी. जोशी ने कहा कि वह नौवें आरोपी देवांग परमार की जमानत याचिका पर बृहस्पतिवार को आदेश पारित करेंगे।
गौरतलब है कि ब्रिटिश काल का ‘झूला पुल’ 30 अक्टूबर को ढह गया था, जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी। लोक अभियोजक विजय जानी ने कहा कि दीपक पारेख, दिनेश दवे, प्रकाश परमार, मनसुखभाई टोपिया, मादेवभाई सोलंकी, अल्पेशभाई गोहिल, दिलीपभाई गोहिल और मुकेशभाई चौहान की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है।
देवांग परमार ‘देव प्रकाश फेब्रिकेशन’ के सह-मालिक हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों में दीपक पारेख और ओरेवा समूह के तीन अन्य लोग शामिल हैं जो पुल का प्रबंधन कर रहे थे। उनकी जमानत याचिकाओं के खिलाफ बहस करते हुए, अभियोजन पक्ष ने एक फोरेंसिक लैब रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें खुलासा किया गया था कि जिस केबल पर पूरा पुल लटका हुआ था, उसमें जंग लग गई थी। जमीन पर केबल जोड़ने वाले एंकर पिन टूट गए थे जबकि एंकर पर लगे बोल्ट तीन इंच ढीले थे।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मरम्मत करने वाले दोनों ठेकेदार भी इस तरह की मरम्मत और नवीनीकरण कार्य करने के लिए योग्य नहीं थे। प्राथमिकी के अनुसार, एक केबल टूटने के बाद पुल के गिरने के समय कम से कम 250 से 300 लोग वहां मौजूद थे। रिपोर्ट से यह भी पता चला कि ओरेवा समूह ने लोगों के लिए इसे खोलने से पहले पुल की भार वहन क्षमता का आकलन करने के संबंध में किसी विशेषज्ञ एजेंसी को काम पर नहीं रखा था।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया था कि समूह ने 30 अक्टूबर को 3,165 टिकट बेचे थे और पुल के दोनों ओर टिकट बुकिंग कार्यालयों के बीच कोई समन्वय नहीं था। उसने दावा किया था गिरफ्तार किए जा चुके बुकिंग क्लर्क को टिकटों की बिक्री बंद कर देनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने टिकट बेचना जारी रखा और अधिक लोगों को पुल पर जाने दिया।