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पोक्सो मामलों में बचीं बच्चियों का ज्यादा से ज्यादा महिला वकील करें प्रतिनिधित्व : इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानूनी सेवा समिति को विशेष रूप से नाबालिग लड़कियों के लिए यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के मामलों में जीवित बचीं बच्चियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए महिला वकील नियुक्त करने को कहा है। अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए केवल कुछ महिला वकील ही पेश हो रही हैं।

न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा कि कानूनी सेवा समिति ने ऐसे बचे लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकीलों को पैनल में रखा है, लेकिन बहुत कम महिला वकील सामने आ रही हैं।

उन्होंने कहा, “ऐसी परिस्थितियों में समिति से पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए महिला वकील नियुक्त करने का अनुरोध किया जाता है, खासकर जब वे नाबालिग लड़कियां हों।”

अदालत ने यह टिप्पणी एक विकलांग नाबालिग दलित लड़की के साथ कथित दुष्कर्म के आरोप में नामजद किए गए एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

आरोपी आवेदक पर आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) और पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोपी आवेदक 8 जून 2021 से जेल में बंद था।

अदालत ने कहा कि युवती बोल नहीं पाती थी, जिस कारण प्राथमिकी दर्ज करने में कोई देरी नहीं हुई।

जमानत याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “अपराध गंभीर है। आवेदक द्वारा अपराध किए जाने की संभावना रिकॉर्ड से सामने आई है। जमानत के लिए कोई मामला नहीं बनता है।”

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