उत्तर प्रदेश में आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा, निरस्त किए गए 1.62 लाख से अधिक कार्ड
लखनऊ : जालौन के अशोक कुमार सूरत में नौकरी करते हैं। कोरोना के बाद गांव वापस लौटे। आयुष्मान कार्ड बनवाने को आवेदन किया तो पता चला कि उनके नाम का कार्ड तो पहले ही बन चुका है। चंदौली के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के क्लेम की जांच में जब मुख्यालय से संबंधित सर्जन को फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि हम तो आज तक उस अस्पताल में गए ही नहीं। आयुष्मान योजना में ऐसे फर्जीवाड़े आए दिन सामने आ रहे हैं। इन गड़बड़ियों के चलते प्रदेश में अब तक 1.62 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड निरस्त किए जा चुके हैं।
केंद्र सरकार ने गरीब तबके को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराने के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। इसके तहत पांच लाख तक की मुफ्त इलाज की सुविधा सरकारी और निजी अस्पतालों में दी जा रही है। मगर इस पैसे को हड़पने के लिए लोग फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनवा रहे हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आ चुके हैं, जिसमें इलाज के लिए व्यक्ति अस्पताल में भर्ती हुआ और खुद को योजना के लिए पात्र बताया। उसका कार्ड भी बना दिया गया मगर जांच में उसकी कलई खुल गई। तब कार्ड निरस्त कर दिया गया। योजना के संचालन का काम देख रही सांचीज से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कुछ समय पूर्व आगरा में काफी संख्या में ऐसे मामले पकड़ में आए थे। सिर्फ आगरा ही नहीं योजना शुरू होने के बाद से प्रयागराज, मेरठ, गोरखपुर, इटावा, बदायूं, बलिया सहित अब तक प्रदेश के हर जिले में इस तरह के फर्जीवाड़े के मामले मिल चुके हैं।
आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के मामलों के बढ़ने पर केंद्र और राज्य सरकार ने सर्विलांस बढ़ा दिया है। अब शिकायतों के अलावा तमाम दूसरे केसों की रैंडम जांच की जा रही है। नाम, पते में बदलाव जैसी चीजों को केंद्र का सॉफ्टवेयर रिजेक्ट कर देता है। वहीं राज्य मुख्यालय में कंट्रोल रूम के जरिए भी क्लेम करने वालों को फोन करके पूरी जानकारी ली जा रही है। जिला, प्रदेश और केंद्र को मिलाकर तीन स्तर पर जांच की जा रही है।