रायपुर : परियोजना विजय के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में बीते पौने चाल साल में 202 अधीक्षिकाओं व 268 शिक्षिकाओं ने जीवन कौशल विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिनके माध्यम से अब तक 31 हजार 133 बालिकाएँ लाभान्वित हो चुकी हैं। यह जानकारी समग्र शिक्षा, आदिम जाति विकास विभाग, और रूम-टू-रीड के साझे सहयोग से राज्य में संचालित परियोजना विजयी- सशक्त बालिकाएं सफल जीवन की ओर के अंतर्गत समीक्षा अध्ययन पर आयोजित कार्यशाला में दी गई। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा नरेन्द्र दुग्गा द्वारा की गई।
परियोजना विजयी का उद्देश्य बालिकाओं को अपनी शिक्षा पूरी करने, महत्वपूर्ण रोजगार कौशल हासिल करने और सफल जीवन की नींव रखने वाले प्रमुख जीवन निर्णयों पर बातचीत करने में मदद करना है। इस परियोजना का क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त 94 कस्तूरबा गांधी कन्या विद्यालय, 28 बालिका पोर्टा केबिन, 52 चयनित आश्रमशाला एवं 5 अन्य शैक्षणिक संस्थाओं अर्थात कुल 179 आवासीय संस्थानों में किया जा रहा है। कार्यशाला में 2018 से लेकर अब तक की परियोजना विजयी की यात्रा साझा की गई। परियोजना विजयी पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री का मंचन हुआ, इसी क्रम में परियोजना विजयी के अंतर्गत हुए समीक्षा अध्ययन के निष्कर्षों को कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों के समक्ष साझा किया गया। निष्कर्षों में छात्राओं और शिक्षिकाओं के अनुभव जो कि परियोजना का उनके जीवन पर पड़े सकारात्मक प्रभाव, साथ ही साझा किए गए शिक्षण सामग्री से हुए लाभ से संबंधित विचारों से जुड़े हुए थे, जिसका प्रस्तुतीकरण रूम टू रीड द्वारा किया गया।
श्री दुग्गा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों में रहने वाले बालक-बालिकाएं जो कि अनेक सुविधाओं, जानकारियों व अवसरों से वंचित हैं, उन्हें समानता में लेकर आना अत्यंत आवश्यक है और यह परियोजना इस कार्य में अत्यंत मददगार है। आदिम जाति विकास विभाग के सहायक संचालक आर.के. मिश्रा ने कहा कि उनका विभाग, परियोजना विजयी के क्रियान्वयन में अपना हरसंभव सहयोग प्रदान करेगा। सहायक निदेशक रूम टू रीड इंडिया निनी मेहरोत्रा, ने कहा कि जीवन कौशल शिक्षा सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रत्येक व्यक्ति को उनके जीवन को सफल बनाने के लिए उनमें उत्तरदायित्व का एहसास कराता है।
कार्यक्रम के क्रियान्वयन को जारी रखने के सम्बन्ध में मांगे गए सुझाव के अंतर्गत श्रीमती निनी ने कहा कि विभागों में प्री सर्विस ट्रेनिंग, इन सर्विस ट्रेनिंग के प्रावधान पहले ही मौजूद हैं। आवश्यकता है, इन्हें अवसरों के रूप में प्रयोग करने की। जीवन कौशल प्रशिक्षण, शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को समझने व उनकी आवश्यकता अनुसार तरीके अपनाने में सहयोग करता है, जिससे वे अपनी कक्षाओं के दौरान को जेंडर के प्रति उत्तरदायी माहौल तैयार कर सकें। उन्होंने बताया कि रूम टू रीड ने कक्षा 9 से 12 के बालक बालिकाओं के लिए अपनी सामग्री को जेंडर के प्रति संवेदनशील रहने हेतु बनाया गया है। इसका प्रसार छत्तीसगढ़ में करने में रूम टू रीड विभागों को भरपूर सहयोग प्रदान करेगी। स्कूल करिकुलम में जीवन कौशल सत्रों को सम्मिलित करने का सुझाव भी उनके द्वारा दिया गया।