नई दिल्ली: प्रोजेक्ट-15बी श्रेणी के दूसरे स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक मोरमुगाओ को गोवा मुक्ति दिवस पर पहले परीक्षण के लिए समुद्र में उतारा गया। यह जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के समय भी बचाव करने में सक्षम है। इसी प्रोजेक्ट के पहले जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम को पिछले महीने भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद आईएनएस मोरमुगाओ को 2022 के मध्य तक नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाने की उम्मीद है। पानी में उतारने से पहले मझगांव डाकयार्ड के पुजारी श्री पुराणिक ने इसकी विधिवत पूजा की।
मुंबई के मझगांव यार्ड से जलावतरण हुआ यह युद्धपोत स्वदेशी तकनीक से बना है। दो साल तक मोरमुगाओ का समुद्र में परीक्षण किया जाएगा। इसके मिलने से भारतीय नौसेना की कई गुना ताकत बढ़ जाएगी। 163 मीटर लंबे और 730 टन वजनी इस युद्धपोत में मिसाइलों को चकमा देने की क्षमता है। 65 फीसदी स्वदेशी तकनीक से निर्मित इस युद्धपोत को स्टील्थ तकनीक से बनाया गया है। यह जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के समय भी बचाव करने में सक्षम है। इस युद्धपोत पर 50 अधिकारियों समेत 250 नौसैनिक तैनात रहेंगे। इस युद्धपोत में चार शक्तिशाली गैस टर्बाइन इंजन लगे हैं। समुद्र में 56 किलोमीटर प्रति घंटा (30 नॉटिकल मील) की रफ्तार से चलने वाला यह युद्धपोत 75 हजार वर्ग किमी. समुद्री क्षेत्र की निगरानी कर सकता है।
इसे देश का सबसे शक्तिशाली युद्धपोत बताया जा रहा है। इस पर ब्रह्मोस, बराक-8 जैसी 8 मिसाइलें लगाई जाएंगी। देश के सबसे आधुनिक एडवांस्ड गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर में इजराइल का मल्टी फंक्शन सर्विलांस थ्रेट अलर्ट रडार ‘एमएफ-स्टार’ लगा है। यह कई किलोमीटर दूर से हवा में मौजूद लक्ष्य को पहचान लेगा जिससे सटीक निशाना लगाया जा सकेगा। यह उड़ते विमान पर 70 किलोमीटर और जमीन या समुद्र पर मौजूद लक्ष्य पर 300 किलोमीटर दूर से निशाना लगाने में सक्षम है। आईएनएस मोरमुगाओ 127 मिलीमीटर गन से लैस है, इसमें एके-630 एंटी मिसाइल गन सिस्टम भी है। मोरमुगाओ पर दो आरबीईयू-6000 एंटी सबमरीन रॉकेट लांचर भी लगे हैं। इस पर बेहद खराब मौसम के दौरान भी नौसेना के हेलीकॉप्टर लैंड कर सकेंगे।
आईएनएस मोरमुगाओ प्रोजेक्ट-15बी श्रेणी का दूसरा स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक है। इसे 2022 के मध्य तक नौसेना के बेड़े में शामिल करने की योजना है। जहाज को समुद्र में उतारने के लिए 19 दिसंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि आज ही देश पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। भारतीय नौसेना ने गोवा मुक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस जहाज के नाम को गोवा के समुद्री राज्य मोरमुगाओ को समर्पित करने से न केवल भारतीय नौसेना और गोवा के लोगों के बीच संबंध में वृद्धि होगी, बल्कि जहाज की पहचान को स्थायी रूप से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका से भी जोड़ा जाएगा।