जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि निवेश को प्रोत्साहन देने की राज्य सरकार की नीतियों का परिणाम है कि आज राजस्थान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन कर उभरा है। रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में देश-विदेश की जानी-मानी कंपनियां और इन्वेस्टर्स प्रदेश में निवेश के लिए आ रहे हैं। हमारा प्रयास है कि राजस्थान सोलर उपकरणों के मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में भी विकसित हो। निवेशक इस दिशा में बढ़-चढ़कर अपनी रूचि दिखाएं। राज्य सरकार उन्हें भरपूर सहयोग देगी।
गहलोत मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेशकों के साथ 3 लाख 5 हजार करोड़ के एमओयू एवं एलओआई हस्ताक्षर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस निवेश से प्रदेश में करीब 90 हजार मेगावाट से अधिक अक्षय ऊर्जा का उत्पादन होगा। इस अवसर पर निवेशकों व राज्य सरकार के बीच हस्ताक्षरित एमओयू एवं एलओआई का आदान-प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस गति से राज्य में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में काम हो रहा है, वह दिन दूर नहीं जब राजस्थान देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में बड़ी भागीदारी निभाएगा। उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बीते तीन साल में कई नीतिगत पहल की है। राजस्थान को रिन्यूएबल एनर्जी का हब बनाने के लिए हमारी सरकार ने नई सौर ऊर्जा नीति-2019 तथा विंड एंड हाइब्रिड एनर्जी पाॅलिसी जारी की थी। निवेशकों को अनुकूल माहौल प्रदान करने के लिए रिप्स-2019, वन स्टाॅप शाॅप प्रणाली, एमएसएमई एक्ट जैसे नीतिगत निर्णय लिए गए। राज्य में ईज आॅफ र्डूइंग बिजनेस की दिशा में आगे बढ़ते हुए निवेश की राह में बाधाओं को दूर किया है।
गहलोत ने कहा कि राज्य में उत्पादित ऊर्जा के ट्रांसमिशन के लिए मजबूत वितरण तंत्र विकसित किया गया है। भूमि की पर्याप्त उपलब्धता, मजबूत आधाभूत ढांचे और सरकार की अनुकूल नीतियों के चलते राजस्थान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के लिए मिसाल बन रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सोलर उपकरण निर्माण को भी प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने इस सेक्टर के निवेशकों का आह्वान किया कि वे आगे बढ़कर राजस्थान में अपनी इकाइयां स्थापित करें। सरकार उन्हें पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी।
कार्यक्रम में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के 5 सार्वजनिक उपक्रमों तथा निजी क्षेत्र की कम्पनियों के साथ 3 लाख 5 हजार करोड़ रूपए के 90 गीगावाट से अधिक क्षमता के एमओयू एवं एलओआई हस्ताक्षरित किए गए। इनमें एनटीपीसी की ओर से 40 हजार करोड़ की लागत से 10 गीगावाट, एनएचपीसी की ओर से 20 हजार करोड़ की लागत से 10 गीगावाट, सतलज जल विद्युत निगम की ओर से 50 हजार करोड़ रूपए की लागत से 10 गीगावाट, टीएचडीसी इण्डिया लिमिटेड की ओर से 40 हजार करोड़ रूपए की लागत से 10 गीगावाट, एसईसीआई की ओर से 9 हजार करोड़ की लागत से 2 गीगावाट, रिलायंस समूह की ओर से 1 लाख करोड़ की लागत से 20 गीगावाट, एक्सिस एनर्जी समूह की ओर से 37 हजार करोड़ की लागत से 28 गीगावाट सोलर पार्क, सोलर प्रोजेक्ट एवं 4 गीगावाट सोलर माॅड्यूल मैन्यूफैक्चरिंग एवं सुखवीर एग्रो समूह की ओर से 2 गीगावाट एवं 100 मेगावाट क्षमता (बाॅयोमास) के अक्षय ऊर्जा से संबंधित एमओयू एवं एलओआई शामिल हैं।
मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा ने कहा कि वर्ष 2030 तक देश में 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करने में राजस्थान बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए निवेशकों की अहम भूमिका है।अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा सुबोध अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियां राज्य सरकार की नीतियों से अब हमारी ताकत बन रही हैं। सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता में राजस्थान आज देश का अव्वल राज्य बन गया है। आज ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश में करीब 3 लाख करोड़ रूपए के एमओयू एवं एलओआई हस्ताक्षरित होना शुभ संकेत है।