श्रीनगर । लेह एपेक्स बॉडी और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक द्वारा सात अप्रैल को चीन की सीमा पर मार्च की घोषणा के बाद गुरुवार को लद्दाख में आंदोलन तेज हो गया। क्लाइमेट एक्टिविस्ट वांगचुक ने पर्यावरण और क्षेत्र के लोगों के हितों की रक्षा के लिए सीमा पर मार्च करने के फैसले को “विरोध का गांधीवादी तरीका” बताया है।
गौरतलब है कि लेह एपेक्स बॉडी लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र को संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आंदोलनरत है।प्रदर्शनकारियों ने चल रही भूख हड़ताल को जारी रखने का फैसला किया है। लेह एपेक्स बॉडी की ओर से कहा गया कि इसके बाद महिलाओं, युवाओं, धार्मिक नेताओं और बुजुर्गों द्वारा भूख हड़ताल की एक श्रृंखला शुरू की जाएगी।
सात अप्रैल का विरोध मार्च चांगथांग तक ले जाने का प्रस्ताव है, जिसकी सीमा चीन से लगती है। नेताओं ने कहा, “यह गांधी जी की दांडी यात्रा की तरह होगा।” क्लाइमेट एक्टिविस्ट वांगचुक ने आरोप लगाया है कि पश्मीना ऊन के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध चांगथांग चरागाहों को अपने जानवरों को बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उद्योगपतियों ने अपने संयंत्र स्थापित करने के लिए 20 हजार एकड़ से अधिक चरागाह भूमि ले ली है। वांगचुक ने कहा,“हम अपने लोगों की आजीविका और विस्थापन की कीमत पर सौर ऊर्जा नहीं चाहते हैं।” उन्होंने भाजपा पर लद्दाख के लोगों से किए गए वादों से मुकरने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा,“हमें तब झटका लगा, जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चार मार्च को हमारी मांगों को खारिज कर दिया। हम अपने अधिकारों और वादों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। संसदीय चुनावों की घोषणा हो चुकी है और भाजपा फिर से लोगों से वादे कर रही है, लेकिन अब इस पर कौन भरोसा करेगा।”, गौरतलब है कि लद्दाख लोकसभा सीट 2019 में भाजपा उम्मीदवार जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने जीती थी।