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Movie Review: गलत मैसेज देती है ‘सत्यमेव जयते’ नही हासिल कर पाई दर्शकों का विश्वास
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देश के स्वतंत्रता दिवस पर सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली फिल्म ‘सत्यमेव जयते’ नाम के मुताबिक दर्शकों का विश्वास हासिल नहीं कर पाई। फिल्म में भरपूर एक्शन है लेकिन कहानी कुछ कमजोर नजर आती है। डायरेक्शन मिलाप मिलन झावेरी का है।
फिल्म की कहानी में करप्शन के खिलाफ लड़ाई को दिखाया गया है, लेकिन उसके लिए जो रास्ता अख़्तियार किया गया है वो आज के समाज को गलत मैसेज देता है। इसके लिए फिल्म को अक्षय कुमार की फिल्म गब्बर इज बैक की कहानी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। हालांकि सत्यमेव जयते एक्शन के मामले में ज़्यादा दमदार नज़र आती है।
फिल्म की कहानी में करप्शन के खिलाफ लड़ाई को दिखाया गया है, लेकिन उसके लिए जो रास्ता अख़्तियार किया गया है वो आज के समाज को गलत मैसेज देता है। इसके लिए फिल्म को अक्षय कुमार की फिल्म गब्बर इज बैक की कहानी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। हालांकि सत्यमेव जयते एक्शन के मामले में ज़्यादा दमदार नज़र आती है।
लेकिन फिल्म में जिस तरह से करप्ट पुलिसवालों को जलाकर मारने का संदेश दिया गया है वो दर्शक को कहीं न कहीं बिना लॉ एंड आर्डर वाले एक समाज की कल्पना की ओर ले जाता है जहां सिर्फ जंगल राज होगा। जॉन अब्राहम मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। वहीं दूसरा बड़ा चेहरा मनोज वाजपेयी का है। दोनों स्टार ने बॉलीवुड में अच्छा नाम कमाया है इसलिए दोनों को फिल्मी पर्दे पर एक साथ देखने के लिए दर्शक भी बेताब हैं।
फिल्म की कहानी:
सत्यमेव जयते एक ऐसे युवा की कहानी है जो सिस्टम और करप्शन से लड़ता है। इसके लिए वो हिंसा का रास्ता अपनाता है। फिल्म में जॉन अब्राहम वीर नाम के एक युवा का किरदार निभा रहे हैं। जो पेशे से एक आर्टिस्ट है। उसकी दुश्मनी करप्ट पुलिसवालों से है। वो उन्हें मारता है और फिर उनका स्केच बनाता है। वहीं उसको पकड़ने का जिम्मा इंस्पेक्टर शिवांश यानी मनोज बाजपेयी को दिया जाता है। फिल्म की कहानी इस तरह से आगे बढ़ती है और आखिर में क्या होता है ये जानने के लिए आपको फिल्म देखने थिएटर जाना होगा।
सत्यमेव जयते एक ऐसे युवा की कहानी है जो सिस्टम और करप्शन से लड़ता है। इसके लिए वो हिंसा का रास्ता अपनाता है। फिल्म में जॉन अब्राहम वीर नाम के एक युवा का किरदार निभा रहे हैं। जो पेशे से एक आर्टिस्ट है। उसकी दुश्मनी करप्ट पुलिसवालों से है। वो उन्हें मारता है और फिर उनका स्केच बनाता है। वहीं उसको पकड़ने का जिम्मा इंस्पेक्टर शिवांश यानी मनोज बाजपेयी को दिया जाता है। फिल्म की कहानी इस तरह से आगे बढ़ती है और आखिर में क्या होता है ये जानने के लिए आपको फिल्म देखने थिएटर जाना होगा।
एक्शन के अलावा अगर फिल्म की कहानी की बात करें तो उसमें बिल्कुल भी जान नहीं दिखती। फ़िल्म में एक आइटम सॉन्ग ‘दिलबर’ एड करके थोड़ा तड़का लगाने की कोशिश की गई है लेकिन पूरी कहानी में फिल्म का निर्देशन कमजोर ही नजर आता है। दो दमदार एक्टर जॉन अब्राहम और मनोज वाजपेयी भी मिलकर इस फिल्म की भटकती कहानी को नहीं संभाल पाते।