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MP से अखिलेश यादव का कांग्रेस को संदेश, यूपी से जाता है दिल्ली का रास्ता

रीवा: इंडिया गठबंधन में रहते हुए अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए उतर गए हैं. दोनों पार्टियों के सीटों को लेकर अब तक कोई समझौता नहीं हुआ है. एमपी के रीवा में एक जनसभा में अखिलेश यादव ने कहा कि देश का अगला प्रधानमंत्री समाजवादी पार्टी की पसंद का होगा और वो इंडिया गठबंधन का ही होगा. अगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन एमपी चुनाव को लेकर नहीं हुआ तो क्या कुछ सीटों पर दोनों पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ लड़ेंगी? सब इसी सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं.

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि हम इंडिया गठबंधन में हैं, इसके अंदर समाजवादी पार्टी भी है, पर हमारी अलग तरह की लड़ाई भी है. अखिलेश यादव के इस बयान से तो यही लगता है कि एमपी में कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल नहीं हुआ तो फिर दोनों पार्टियों के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.

रीवा के सिरमौर में मंच से अखिलेश यादव ने एक बार भी कांग्रेस पार्टी या फिर उसके किसी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन बीजेपी को जमकर कोसा. केंद्र की मोदी सरकार से लेकर एमपी में शिवराज सरकार पर लगातार हमले करते रहे, पर अखिलेश ने कांग्रेस के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष नहीं चाहते हैं कि कोई ऐसी बात हो जिससे लोकसभा की चुनावी लड़ाई को लेकर गलत संदेश जाए. मध्य प्रदेश की पहली चुनावी सभा से तो उन्होंने कांग्रेस के साथ होने का ही संदेश दिया. अखिलेश यादव जैसे ही मंच पर आए उनके समर्थक देश का भावी पीएम अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाने लगे. अखिलेश ने कहा हम इस रेस में नहीं हैं.

अखिलेश यादव ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस के लिए भी एक मैसेज एमपी से दे दिया. उन्होंने कहा कि एक कहावत है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है. पर इसका संदेश एमपी चुनाव से भी जाएगा. अखिलेश यादव जमकर प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. वे जानते हैं कि कांग्रेस इतनी आसानी से समाजवादी पार्टी के लिए सीट नहीं छोड़ने वाली है. इसलिए वे दो कदम आगे चलकर एक कदम पीछे खींच लिया करते हैं. लखनऊ से भी उन्होंने कांग्रेस के लिए ये कह कर संदेश दे दिया था कि हम गठबंधन में सीटें मांग नहीं रहे हैं, दे रहे हैं.

अखिलेश ने बता दिया है कि ताली एक हाथ से नहीं बजने वाली है. कांग्रेस के लिए उनकी रणनीति साफ है कि एक हाथ से लो तो दूसरे हाथ से देंगे. अगर एमपी विधानसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा हुआ तो फिर लोकसभा में भी इसी फॉर्मूले पर काम होगा. एमपी में समाजवादी पार्टी की जो हालत है, कमोबेश वही हाल कांग्रेस की यूपी में है.

एमपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी अब तक छह उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी के एक विधायक चुने गए थे, जो महीने भर पहले बीजेपी में शामिल हो गए हैं. अखिलेश यादव कम से कम दो विधानसभा सीटें चाहते हैं. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से उन्हें समझौते का भरोसा भी दिया गया है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और एमपी के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कमलनाथ इस पर काम कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2003 में रहा जब पार्टी के 7 विधायक चुने गए थे.

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