पिता से वफादारी के ‘जुर्म’ में बीजेपी से ‘आउट’ हो सकती हैं सांसद संघमित्रा
–संजय सक्सेना
लखनऊ : किसी लड़की या नेत्री से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह अपने ‘जनक’ से बगावत करे क्योंकि यह नैतिक ही नहीं हमे मिले संस्कारों के भी खिलाफ है। बाप की जगह कोई नहीं ले सकता है। यह उतना ही सच है, जितना सच हमारे धर्मग्रंथ हैं, हमारे संस्कार हैं। बात भाजपा की बदायूं से सांसद डा.संघमित्रा मौर्य की हो रही है,संघमित्रा के पिता स्वामी प्रसाद मौर्या चुनाव से पहले तक भारतीय जनता पार्टी योगी सरकार में मंत्री थे, लेकिन ऐन चुनाव की बेला में स्वामी प्रसाद मौर्या ने भाजपा से नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था और स्वामी कुशीनगर के फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। स्वामी प्रसाद के पाला बदलकर सपा में जाने के बाद अटकलें लगने लगी थीं कि उनकी सांसद पुत्री संघमित्रा भी बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थाम सकती हैं, लेकिन संघमित्रा ने सपा में जाने के बजाए बीजेपी के प्रति अपनी वफादारी दिखाई,लेकिन बीजेपी वालों ने इसका मतलब यह निकाल लिया कि पुत्री संघमित्रा अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ हो गई हैं,जो पूरी तरह से बेतुकी सोच थी, लेकिन संघमित्रा को पता था कि उन्हें उनके पिता से कोई अलग नहीं कर सकता है,इसी लिए वह स्वामी प्रसाद मौर्या के चुनाव क्षेत्र फाजिलनगर में पिता के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंच गईं। यह बात बीजेपी वालों को खराब लगी तो यह बीजेपी की परेशानी हो सकती है,इसका संघमित्रा से कोई लेनादेना नहीं है।
उधर, पिता के चुनाव में जाकर संघमित्रा विवादों में घिर गई हैं।लखनऊ से लेकर दिल्ली और बदायूं तक बीजेपी वालों के निशाने पर संघमित्रा आ गई हैं। खुलकर अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के पक्ष में मतदान की अपील करने के बाद कार्यकर्ताओं के बीच से संघमित्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने लगी है। हालांकि पार्टी के जिम्मेदार कुछ नहीं बोल रहे हैं, उनका कहना है कि शीर्ष नेतृत्व के संज्ञान में सब कुछ है। मतगणना के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जा सकता है।गौरतलब हो, स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब भाजपा छोड़ी थी, तभी से उनकी बेटी संघमित्रा सवालों के घेरे में रहीं। इंटरनेट मीडिया से उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए वह खुद को भाजपा का सच्चा कार्यकर्ता बताते नहीं थकती थीं। बार-बार यह बात भी साफ करती रहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें गोद लिया है। वह भाजपा नहीं छोड़ेंगी, और अपने पिता के क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने भी नहीं जाएंगी।मगर, छठे चरण के चुनाव प्रचार के आखिरी दिन फाजिलनगर में जो कुछ हुआ वह इसके उलट दिखाई दिया। संघमित्रा ने खुलकर पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के पक्ष में अपील भी कर दी। बदायूं के नेताओं का खेला उजागर करने की बात भी कहती दिखाई दीं। अब जिले में उनके खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं के सुर तेज हो गए हैं। भाजपा ही नहीं आमजन भी अब उनके खिलाफ भाजपा से कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि फिलहाल पार्टी के उच्च पदों पर बैठे लोग शांत हैं, लेकिन चर्चा है कि चुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में आने की दशा में बीजेपी संघमित्रा को कारण बताओ नोटिस को भेजकर उनकी सफाई मांग सकती है।