मध्य प्रदेशराज्य

MP : प्रदेश में फिर तीन साल बाद दाल पर मंडी शुल्क से मिलेगी छूट

भोपाल : लगभग तीन साल बाद मध्य प्रदेश सरकार दाल बनाने के लिये राज्य के बाहर से मंगाए दलहन पर मंडी शुल्क नहीं लेगी। मप्र में मण्डी शुल्क 1.70 प्रतिशत होने के कारण पड़ोसी राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र की दालें यहां बिक रहीं हैं, क्योंकि वहां मण्डी शुल्क कम है। मंडी शुल्क हटाने का प्रस्ताव जल्दी ही कैबिनेट में लाया जाएगा। मध्य प्रदेश के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन- तुअर,अरहर, उड़द-उरदा, मूंग, मसूर, मटर पर मण्डी शुल्क में एक अगस्त 2018 से छूट प्राप्त थी, जो कि दिनांक 31 जुलाई 2019 को समाप्त हो चुकी है।

भोपाल में 15 दिसंबर को आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के प्रतिनिधि मण्डल ने सीएम से मुलाकात कर अतिशीघ्र मंडी शुल्क समाप्त करने की बात कही थी। प्रतिनिधि मण्डल में कटनी के विधायक संदीप जायसवाल भी शामिल थे। उन्होंने तर्क दिया था कि मंडी शुल्क के कारण मप्र की दाल मंहगी होने से कम बिक रही हैं तथा प्रदेश की दाल मिलों का उत्पादन धीरे धीरे कम हो रहा है। मप्र में गेहूं, सोयाबीन तथा चना की पैदावार बहुत अधिक होती है, इसलिए तुअर, उड़द और मुंग मप्र राज्य के बाहर से मंगवाना पड़ता है।

व्यापारियों ने मांग की थी कि मण्डी शुल्क की छूट स्थाई रूप से नहीं मिलने से दाल उद्योगों द्वारा दाल बनाने के लिए मप्र के बाहर से दलहन पडोसी राज्यों महाराष्ट्र व गुजरात के अनुसार ही मप्र में पालिसी बनाना चाहिए। महाराष्ट्र व गुजरात की राज्य सरकारों ने अपने राज्यों की दाल मिलों को राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन पर कई वर्षों से मण्डी शुल्क से छूट प्रदान कर रखी है।

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