MP में CM की रेस में कमलनाथ आगे, सपा-बसपा का मिला साथ
मध्यप्रदेश में आठ महीने पहले जब कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था तो पार्टी में कई लोगों को याद आया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थीं जिन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में मदद की थी। 39 साल बाद 72 वर्षीय कमलनाथ ने अब इंदिरा के पोते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में दमदार भूमिका निभायी है। जनता के बीच ‘मामा’ के रूप में अपनी अच्छी छवि बना चुके एवं मध्यप्रदेश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार को चौथी बार लगातार सत्ता में आने से रोकने के लिए उन्होंने कड़ी टक्कर दी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में विपक्षी कांग्रेस की किस्मत फिर से पलटने का काम शुरू किया। राज्य में पार्टी 2003 से ही सत्ता से बाहर है। कमलनाथ का एक वीडियो वायरल होने पर भाजपा ने उन पर हमला कर दिया। इस वीडियो में वह कांग्रेस की जीत के लिए मौलवियों से राज्य के मुस्लिम बहुल इलाके में 90 प्रतिशत वोट सुनिश्चित करने को कहते हुए दिखे। लोकसभा में कमलनाथ छिंदवाड़ा की नौ बार नुमाइंदगी कर चुके हैं।
छिन्दवाड़ा के पत्रकार सुनील श्रीवास्तव ने इंदिरा गांधी की चुनावी सभा कवर की थी। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट के प्रत्याशी कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं। इंदिरा ने तब मतदाताओं को चुनावी सभा में कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं। कृपया उन्हें वोट दीजिए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह राहुल ने कमलनाथ को इस साल 26 अप्रैल को मध्यप्रदेश का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया। कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं सुरेश पचौरी जैसे प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को एक साथ लाने का काम किया, जिसके चलते इस बार हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी में एकजुटता दिखी। समाज के हर तबके के लिए योजनाओं के कारण चौहान की लोकप्रियता से वाकिफ चुनाव अभियान की शुरूआत में ही कमलनाथ ने भाजपा पर हमला शुरू कर दिया। अभियान के जोर पकड़ने पर पार्टी की ओर मतदाताओं को आर्किषत करने के लिए राज्य कांग्रेस ने ‘वक्त है बदलाव का’ नारा दिया। भारत-पाक सीमा से 4 किलोमीटर दूर बने इस गुरुद्वारे से सिख धर्म की भावनाएं जुड़ी हुई है। आज भारतीय सीमा से श्रद्धालु इसे दूरबीन से देखते हैं।
कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में चौहान के उन वादों पर फोकस किया जिसे पूरा नहीं किया जा सका। पार्टी ने चौहान को घोषणावीर बताया जिसके बाद सरकार द्वारा घोषित योजनाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गयी। कमलनाथ का जन्म उत्तरप्रदेश के कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है। कमलनाथ देहरादून स्थित दून स्कूल के छात्र रहे हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से स्रातक किया।