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लोकेश जांगिड़ ने लगाए बड़वानी कलेक्टर पर आरोप, कहा- उन्होंने ही लॉबिंग करके हटवाया, 4 साल में 8 ट्रांसफर होना आम बात नहीं

मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh) के IAS लोकेश जांगिड़ ( IAS lokesh jangid) का दर्द अब किसी से छुपा नहीं है. कोरोना (Covid-19) के दौरान ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (Oxygen Concentrator scam) की खरीदी में घोटाला (scam) उजागर करने के बाद उन्हे बड़वानी अपर कलेक्टर के पद से हटा दिया गया था. उनका ट्रांसफर कर दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने हिंदी अखबार दैनिक भास्कर को दिए अपने इंटरव्यू में प्रदेश की IAS लॉबी पर कई सवाल उठाए हैं. हालांकि कुछ IAS जांगिड़ के द्वारा उठाए गए कदम को सही मान रहे हैं.

सीनियर IAS का कहना है कि जांगिड़ का कदम बिल्कुल सही है, बस तरीका गलत रहा है. बता दें कि जांगिड़ को सीनियर अफसरों के बीच IAS विसिल ब्लोअर का भी दर्जा मिल रहा है. हालांकि ट्रांसफर की बातचीत को सार्वजनिक करने के मामले में लोकेश को नोटिस मिला है. और उन्होंने नोटिस का जवाब भी सोच लिया है. वहीं वो इस पूरे घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र में डेपुटेशन का आवेदन कर चुके हैं. बता दें कि ऑक्सीजन कंसट्रेटर की खरीदी को बड़वानी कलेक्टर ने बिल्कुल सही बताया है.

भ्रष्टाचार उजागर करने पर ही हटाया गया है मुझे

इस पूरे मामले को लेकर जांगिड़ ने कहा कि जो भी हुआ, वह बेहद निराशाजनक है. उसके बार में और कुछ नहीं कहूंगी. वहीं उन्होंने बड़वानी अपर कलेक्टर के पद से हटाए जाने के सवाल पर कहा कि ‘मैंने खुले तौर पर कहा है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदी में गड़बड़ हुई थी. भ्रष्टाचार हुआ था. सबके सामने लाया तो मुझ पर ही कार्रवाई हो गई’.

बड़वानी कलेक्टर लगाए आरोप

लोकेश ने खुद के ऊपर हुई कार्ऱवाई का जिम्मेदार बड़वानी कलेक्टर को बताया है. उन्होंने कहा कि बड़वानी कलेक्टर ने फ़ोन पर उनके खिलाफ लॉबिंग की थी उन्होंने भोपाल में किसी से बात की. इसका कारण मेरे ऊपर कार्यवाही की गई.

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जांगिड़ ने कहा कि इस समय स्थितियां वाकई में अजीब हो गई हैं. आप खुद सोचिए 4 साल में 8 ट्रांसफर. हर जगह गड़बड़ी को सामने लाने का प्रयास किया जाता है और कुछ ही दिनों में तबादले के आदेश आ जाता है. ब्यूरोक्रेसी इस हालत में होगी कभी उम्मीद नहीं की थी.

नोटिस मिलने पर कहा…

नोटिस आया है. उसका जवाब दे दिया जाएगा. मैंने न कुछ गलत किया है और न कुछ लिखा है. मैं अपनी बात पर कायम हूं.आज जनता मेरे साथ है पर अपने ही साथ नहीं देते. हर जगह यही हुआ. शहडोल में जनता ने तबादला निरस्त करने समर्थन में आंदोलन तक किया था. बड़वानी में भी ऑफिस में न बैठकर जनता के बीच मे जाकर काम किया है.

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