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मूसेवाला हत्याकांड से पता चलता है कि अंडरवल्र्ड ने मुंबई से बाहर भी अपने पैर पसारे हैं: पूर्व डीआरआई प्रमुख

नई दिल्ली। मुंबई का मनोरंजन व्यवसाय (एंटरटेनमेंट बिजनेस) कानून प्रवर्तन एजेंसियों के रडार पर है और हाल की घटनाओं के कारण राष्ट्रीय स्तर की मीडिया का ध्यान भी इसकी ओर गया है।

अक्सर देखा जाता है कि मायानगरी मुंबई की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के मुकाबले कम-ज्ञात पंजाबी और भोजपुरी इंडस्ट्री रडार के नीचे रहती हैं। हालांकि, सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने यह दिखा दिया है कि ये उद्योग जबरन वसूली और हत्याओं के संदिग्ध धंधे से अछूते नहीं हैं।

यह अवलोकन करते हुए, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के पूर्व डीजी और ‘डीआरआई एंड द डॉन्स’ (कोणार्क 2019) के लेखक बी. वी. कुमार ने कहा कि अंडरवल्र्ड अब ड्रग कल्चर के कारण मनोरंजन की दुनिया से भी जुड़ गया है, जो सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जांच में सामने आया था।

कुमार ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, “हाल के घटनाक्रम, जो अच्छी तरह से प्रलेखित (डॉक्यूमेंटिड) हैं और प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़े पैमाने पर रिपोर्ट किए गए हैं, संकेत देते हैं कि कोकीन और एक्स्टसी (मेथामफेटामाइन) लग्जरी जगहों, अमीर लोगों और फिल्मी सितारों के बीच पसंदीदा ड्रग्स हैं, क्योंकि वे पैसे से ज्यादा कुछ चाहते हैं और महिलाएं उस अतिरिक्त ‘किक’ को पाने के लिए ऐसा करती हैं। इसी तरह फिल्मी सितारे एक बार बड़ी लीग में आने के बाद एक्स्टसी के प्रति आकर्षित हो जाते हैं।”

संयोग से कुमार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व डीजी भी रहे हैं। हैदराबाद और बेंगलुरु में जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग में भी ड्रग्स का उपयोग बड़े पैमाने पर है। नशीले पदार्थों का कारोबार मनोरंजन व्यवसाय और अंडरवल्र्ड के लोगों के बीच नई कड़ी है।

यह बताते हुए कि अंडरवल्र्ड और मनोरंजन व्यवसाय कैसे जुड़ गए, कुमार ने कहा कि यह एक सर्वविदित तथ्य है कि दाऊद इब्राहिम कास्कर द्वारा विशेष रूप से बॉलीवुड निर्माताओं द्वारा फिल्मों के निर्माण में निवेश करने के लिए सोने और अन्य प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी में उत्पन्न होने वाली भारी मात्रा में धन का उपयोग किया जाता रहा है।

कुमार ने कहा, “पैसे के बल का इस्तेमाल निर्माताओं को यह निर्देश देने के लिए भी किया जाता रहा है कि उनके द्वारा वित्तपोषित फिल्मों में किन अभिनेताओं/अभिनेत्रियों को कास्ट किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “दाऊद के लिए निर्माताओं और अभिनेताओं एवं अभिनेत्रियों को दुबई बुलाना असामान्य नहीं है, जब वह दुबई में रह रहा था। यह एक फिल्म से होने वाले मुनाफे का निपटान करने के लिए या पूरी तरह से अपने निजी मनोरंजन के लिए होता था।”

कुमार ने कहा, “दुबई में स्थित अन्य तस्करी सिंडिकेट भी इसी तरह के तौर-तरीकों का पालन करते रहे हैं। मुंबई में स्थित उनके गुर्गे भी जाने-माने फिल्मी सितारों से प्रोटेक्शन मनी (सुरक्षा के लिए पैसे) वसूलते रहे हैं।”

कुमार ने कहा कि दाऊद अब कराची में रहता है, लेकिन वह अभी भी अपनी डी-कंपनी को दूर से नियंत्रित करता है, जिसमें लगभग 2,000 गुर्गे शामिल हैं।

कुमार ने कहा, “वह मैच फिक्सिंग और जबरन वसूली, वैश्विक हेरोइन व्यापार में शामिल होने के लिए जाना जाता है।”

पूर्व डीआरआई अधिकारी ने कहा, “उसकी अनुमानित कीमत 6.7 अरब डॉलर है। यह माना जाता है कि मादक पदार्थों की तस्करी सहित गंभीर अपराध में उत्पन्न धन को उन क्षेत्रों में पुन: नियोजित किया जाता है जहां रिटर्न अधिक होता है। इनमें फिल्म निर्माण शामिल है। एक सफल फिल्म रिलीज होने के एक हफ्ते के भीतर सैकड़ों करोड़ कमा सकती है।”

कुमार के अनुसार, मनोरंजन व्यवसाय में दागी स्रोतों से धन का प्रवाह जारी है। उन्होंने कहा, “1990 के दशक में यह एक खुला रहस्य था कि दाऊद मनोरंजन उद्योग में सक्रिय रूप से शामिल था।”

उन्होंने आगे कहा, “वर्तमान में, यह मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन और हवाला के माध्यम से गुप्त रूप से किया जाता है। आज अधिकांश फिल्में विभिन्न संस्थाओं द्वारा निर्मित की जाती हैं, न कि एक निर्माता द्वारा। इससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि अपराध के माध्यम से उत्पन्न धन का उपयोग कहां किया जा रहा है।”

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