Myanmar Earthquake: म्यांमार में 4.4 तीव्रता के झटकों से कांपी धरती, दिसंबर में चौथी बार आया भूकंप

Myanmar Seismic Activity 2025: पड़ोसी देश म्यांमार में गुरुवार की सुबह भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को दहशत में डाल दिया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 4.4 मापी गई है। दिसंबर के महीने में म्यांमार में भूकंप आने की यह चौथी घटना है, जो इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को दर्शाती है। लगातार आ रहे इन झटकों ने घनी आबादी वाले इलाकों और विस्थापित लोगों के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ा दी हैं।
सुबह 6 बजे महसूस किए गए झटके
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि म्यांमार में यह भूकंप गुरुवार, 18 दिसंबर 2025 को भारतीय समयानुसार सुबह 06:04 बजे आया। भूकंप का केंद्र जमीन से 100 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। वैज्ञानिकों के अनुसार, म्यांमार के अक्षांश 26.07 N और देशांतर 97.00 E पर इसकी हलचल सबसे अधिक दर्ज की गई। राहत की बात यह रही कि गहराई अधिक होने के कारण फिलहाल जान-माल के बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है, लेकिन बार-बार आ रहे झटकों से नागरिक डरे हुए हैं।
दिसंबर में बार-बार कांपी धरती
म्यांमार के लिए दिसंबर का महीना भूकंपीय दृष्टिकोण से काफी सक्रिय रहा है। गुरुवार के भूकंप से पहले 13 दिसंबर को 3.9 तीव्रता और 11 दिसंबर को 3.8 तीव्रता के झटके महसूस किए गए थे। वहीं 10 दिसंबर को भी 4.6 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि म्यांमार चार प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों (भारतीय, यूरेशियन, सुंडा और बर्मा प्लेट) के संगम पर स्थित है। इन प्लेटों के बीच होने वाली सक्रिय भूवैज्ञानिक हलचलों के कारण ही यहां मध्यम और तीव्र श्रेणी के भूकंप बार-बार आते रहते हैं।
सागाइंग फॉल्ट और आबादी पर खतरा
म्यांमार की भौगोलिक स्थिति इसे दुनिया के सबसे संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्रों में से एक बनाती है। देश के बीच से 1,400 किलोमीटर लंबी ‘सागाइंग फॉल्ट’ गुजरती है, जो सागाइंग, मांडले और यांगून जैसे बड़े शहरों के लिए खतरा पैदा करती है।
इन क्षेत्रों में म्यांमार की लगभग 46 प्रतिशत आबादी निवास करती है। हालांकि यांगून मुख्य फॉल्ट लाइन से थोड़ा दूर है, फिर भी इसकी घनी आबादी इसे बेहद जोखिम में डालती है। इतिहास गवाह है कि यहां अतीत में आए बड़े भूकंपों ने भारी तबाही मचाई है।
स्वास्थ्य और विस्थापन की बढ़ती चुनौतियां
भूकंप केवल ढांचागत नुकसान ही नहीं पहुंचाते, बल्कि म्यांमार जैसे देश में यह स्वास्थ्य संकट को भी बढ़ावा दे रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहले भी चेतावनी दी है कि भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले विस्थापित लोगों के बीच संक्रामक बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं।
तपेदिक (टीबी), HIV और जल-जनित रोगों का खतरा ऐसे समय में बढ़ जाता है जब स्वास्थ्य सुविधाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। भूकंप के बाद साफ पानी और दवाओं की कमी स्थिति को और भी गंभीर बना देती है, जिससे प्रशासन के लिए राहत कार्य चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं।



