नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक और नैतिक हार हुई, नेतृत्व का अधिकार खो दिया: सोनिया गांधी
नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख फिर से चुने जाने के बाद सोनिया गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा प्रहार किया और कहा कि इस लोकसभा चुनाव में मोदी की राजनीतिक एवं नैतिक हार हुई तथा उन्होंने अब नेतृत्व का अधिकार खो दिया है। उन्होंने ‘संविधान सदन’ (पुरानी संसद) के केंद्रीय कक्ष में नवनिर्वाचित सांसदों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि विफलता की जिम्मेदारी लेने की बजाय प्रधानमंत्री रविवार को फिर से शपथ लेने का इरादा रखते हैं।
सोनिया गांधी का कहना था, ‘‘हम उनसे यह उम्मीद नहीं करते हैं कि वे अपने शासन की शैली को बदल देंगे, न ही (वह) लोगों की इच्छा का संज्ञान लेंगे।” हुई कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोनिया गांधी को सीपीपी प्रमुख नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसका पार्टी के तीन सांसदों गौरव गोगोई, तारिक अनवर और के. सुधाकरन ने अनुमोदन किया।
सोनिया गांधी 1999 से लगातार पार्टी की संसदीय दल की प्रमुख की जिम्मेदारी निभाती आ रही हैं। संसदीय दल की प्रमुख एक बार फिर से चुने जाने पर सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘आप सभी ने एक बार फिर मुझ पर जो बड़ी जिम्मेदारी डाली है, उसके प्रति मैं पूरी तरह सचेत हूं…आपने सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कठिन चुनाव लड़ा है। आपने कई बाधाओं को पार किया है और बहुत प्रभावी ढंग से अभियान चलाया है। आपकी सफलता ने हमें लोकसभा में अधिक उपस्थिति और इसकी कार्यवाही में ज्यादा प्रभावी आवाज प्रदान की है।”
…लेकिन खरगे जी के दृढ़ नेतृत्व में हम टिके रहे
उन्होंने लोकसभा चुनाव के नतीजों के उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी दृढ़ता का प्रदर्शन किया है। यह एक शक्तिशाली और भयावह मशीनरी के विरुद्ध था जो हमें नष्ट करने की पूरी कोशिश कर रही थी। इसने हमें आर्थिक रूप से पंगु बनाने की कोशिश की। इसने हमारे और हमारे नेताओं के खिलाफ झूठ और बदनामी आधारित अभियान चलाया। कई लोगों ने हमारी समाप्ति की गाथा लिख डाली। लेकिन खरगे जी के दृढ़ नेतृत्व में हम टिके रहे। वह हम सभी के लिए प्रेरणा हैं।” उनका कहना था कि पार्टी संगठन के प्रति खरगे की प्रतिबद्धता सचमुच असाधारण है और सभी को उनके उदाहरण से सीखना होगा।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने राहुल गांधी का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा वास्तव में ऐतिहासिक आंदोलन थे जिन्होंने हमारी पार्टी में सभी स्तरों पर नयी जान फूंकी। अप्रत्याशित व्यक्तिगत और राजनीतिक हमलों के बावजूद लड़ने की अपने दृढ़ संकल्प एवं प्रतिबद्धता के लिए राहुल विशेष धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने संविधान की गारंटी और सुरक्षा पर हमारे कथन को भी बहुत तीव्रता से आकार दिया।”
उन्होंने यह भी, ‘‘कांग्रेस कार्य समिति प्रस्ताव में देश भर में हमारे सभी सहयोगियों और कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद दिया गया है जिन्होंने हमारी सफलता के लिए इतनी मेहनत और लगन से काम किया। आपकी ओर से मैं उस भावना को दृढ़ता से दोहराना चाहती हूं। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लाखों कार्यकर्ता सबसे कठिन समय में पार्टी के साथ खड़े रहे हैं। हम उनके साहस और प्रतिबद्धता को सलाम करते हैं। हम उनके प्रति कृतज्ञ एवं ऋणी हैं।”
सोनिया ने कहा, ”देश की जनता ने विभाजन की राजनीति और तानाशाही को खारिज करने के लिए निर्णायक वोट दिया है। उन्होंने संसदीय राजनीति को मजबूत करने और संविधान की रक्षा के लिए मतदान किया।” उनके मुताबिक, ‘‘संसद में हमारी संख्या काफी बढ़ी है। कांग्रेस न केवल लोकसभा में एक बड़ा दल है, बल्कि हम अपने ‘इंडिया’ गठबंधन के साझेदारों की ताकत से भी मजबूत हैं, जिनमें से कुछ ने खुद प्रभावशाली ढंग से वापसी की है।”
नरेंद्र मोदी को राजनीतिक और नैतिक हार का सामना करना पड़ा है
सोनिया गांधी ने कहा कि इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि कांग्रेस उन राज्यों में अपनी स्थिति में सुधार करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है जहां पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षाओं से काफी नीचे रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जिन्होंने अपनी पार्टी और उसके सहयोगियों दोनों को छोड़कर केवल अपने नाम पर जनादेश मांगा था, उन्हें राजनीतिक और नैतिक हार का सामना करना पड़ा है। वास्तव में, उन्होंने अपना अपेक्षित जनादेश खो दिया है और इस तरह से नेतृत्व का अधिकार भी खो दिया है। फिर भी, विफलता की ज़िम्मेदारी लेने तो दूर उनका इरादा कल फिर से शपथ लेने का है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सांसदों का विशेष दायित्व है कि प्रधानमंत्री और उनकी नई एनडीए सरकार को जवाबदेह बनाए रखने के लिए सजग और सक्रिय रहें।
सोनिया गांधी ने कहा कि अब सरकार संसद को उस तरह से नहीं चला पाएगी जैसे पिछले एक दशक से करती आ रही है। सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘हमारे सामने चुनौतीपूर्ण समय है। हमें सत्तारूढ़ पक्ष द्वारा हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण और ध्रुवीकरण के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए सतर्क रहना होगा। ऐसे सभी प्रयासों को विफल करना होगा।”