नई दिल्ली: स्वदेशी आंदोलन जिसकी शुरूआत 7 अगस्त, 1905 को हुई थी, उसने स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। इसी से प्रेरणा लेते हुए साल 2015 में भारत सरकार ने हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस ( National Handloom Day ) के रूप में मनाने का निर्णय किया था।
हाल ही में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के तत्वावधान में विशेष हथकरघा एक्सपो ‘माई हैंडलूम माई प्राइड एक्सपो’ का उद्घाटन भी किया गया है। वस्त्र मंत्रालय द्वारा संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से कोवलम, तिरुवनंतपुरम, केरल; मोहपारा गांव, जिला गोलाघाट, असम और कनिहामा, बडगाम, श्रीनगर में तीन हथकरघा शिल्प गांव स्थापित किए जा रहे हैं। इन स्थानों पर शिल्प गांव स्थापित करने का उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को अतिरिक्त आकर्षण प्रदान करना और क्षेत्र के प्रसिद्ध हथकरघा व हस्तशिल्प उत्पादों को बढ़ावा देना है।
वस्त्र मंत्रालय ने 7 अगस्त, 2021 को सातवां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया था। इसमें कनिहामा, जम्मू और कश्मीर; कोवलम, केरल और मोहपारा, गोलाघाट असम में हथकरघा शिल्प गांवों को प्रदर्शित किया गया था। कांचीपुरम, तमिलनाडु में डिजाइन संसाधन केंद्र का उद्घाटन किया गया था। साथ ही रायगढ़, छत्तीसगढ़ में बुनकर सेवा केंद्र के भवन का उद्घाटन हुआ था।
भारत के कुछ प्रमुख हथकरघा उत्पादों में शामिल है :
आंध्र प्रदेश : वेंकटगिरी जामदानी सूती साड़ी
असम : वेजीटेबल डाइड सिल्क साड़ी
गुजरात : टंगालिया साड़ी, दुपट्टा मैरीनो ऊनी शॉल
हिमाचल प्रदेश : कुल्लू शॉल
जम्मू और कश्मीर : कनी शॉल
मध्य प्रदेश : चंदेरी साड़ी, सूट, दुपट्टा
ओडिशा : त्रियंत्र
साड़ी, प्रतिजना, रामशिला, बेटी कॉटन साड़ी।
राजस्थान : पुंजा दूरी, कोटा डोरिया साड़ी
तमिलनाडु : कांचीपुरम कोरवई सिल्क साड़ी
तेलंगाना : डबल इकत तेलिया रुमाल साड़ी
उत्तर प्रदेश : रंगकट साड़ी, कॉटन जामदानी, कटवर्क स्टोल
पश्चिम बंगाल : जामदानी साड़ी, ड्रेस मैटीरियल, स्टोल