नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के 22वें मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन को उसकी विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आगामी बुधवार को ‘प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड’ से सम्मानित करेंगे। किलर स्क्वाड्रन के नाम से मशहूर इस मिसाइल से भारत ने 1971 की लड़ाई में कराची बंदरगाह पर बमबारी की थी और पाकिस्तानी नौसेना के युद्धक पोत को डुबोया था।
नौसेना के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि ‘किलर्स’ नाम से प्रसिद्ध ‘मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन’ के गठन को इस साल 50 वर्ष हो गए और पिछले पांच दशकों में इसने समुद्र में आक्रमण की अपनी क्षमता को बनाए रखा है। मुंबई में स्थित ‘मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन’ ने ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन पराक्रम में हिस्सा लिया था और हाल ही में पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा कड़ी किए जाने पर इसकी तैनाती पाकिस्तान के तटवर्ती इलाकों के बेहद करीब की गई थी। स्क्वाड्रन में तैनात एक अधिकारी ने बताया, ”इस स्क्वाड्रन में शामिल जहाज बहुत तेजी से यात्रा करने की क्षमता रखते हैं और मिसाइल युक्त हैं। इनकी तैनाती भी दुश्मनों को डराने का काम करती है।”
क्या है प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड सम्मान
भारतीय नौसेना द्वारा जारी बयान के अनुसार, भारतीय नौसेना को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने ‘प्रेसिडेंट कलर्स’ से 27 मई 1951 को सम्मानित किया था। ‘प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड’ भी ‘प्रेसिडेंट कलर्स’ जैसा ही सम्मान है, बस यह आनुपातिक रूप से छोटे सैन्य समूह या टुकड़ी को दिया जाता है।
वेसल स्क्वाड्रन की पूरी जानकारी
22वें मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन का गठन अक्टूबर 1991 में मुंबई में हुआ और इसमें वीर क्लास (श्रेणी) के 10 और प्रबल क्लास (श्रेणी) के तीन मिसाइल बोट शामिल थे। नौसेना अधिकारियों के मुताबिक, ‘किलर्स’ नाम की शुरुआत 1969 की है जब भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए पूर्ववर्ती यूएसएसआर से लिए गए ओएसए 1 क्लास मिसाइल बोटों को सेना में शामिल किया गया था।
नौसेना के मुताबिक, स्क्वाड्रन के सैनिकों को युद्ध सम्मान जैसे एक महावीर चक्र, सात वीर चक्र और आठ नौसेना मेडल मिले हैं। गौरतलब है कि 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध को 2021 में 50 साल पूरे हुए हैं और देश इसे ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के रूप में मना रहा है।