एनसीबी ने सबसे बड़े डार्कनेट ड्रग तस्कर को किया गिरफ्तार
लखनऊ। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने पहली बार देश के सबसे बड़े ड्रग सिंडिकेट को पकड़ा है। जिनका कारोबार देश नहीं दुनियाभर फैल हुआ है। इस मामले में एनसीबी ने सबसे बड़े सप्लायर दीपू सिंह को लखनऊ के आलमबाग से गिरफ्तार किया है। वह यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाइयों समेत 600 प्रकार की नशीली दवाओं की देश-विदेश में सप्लाई करता था।
लखनऊ स्थित एनसीबी की दिल्ली क्षेत्रीय इकाई के अधिकारियों ने बताया कि एनसीबी के तेजतर्रार अधिकारियों की स्पेशल 26 टीम बनाई गई। इसमें पता चला कि सेवानिवृत्त सेनाधिकारी का बेटा 21 वर्षीय दीपू सिंह देश की कई एजेंसियों के साथ मिलकर केटामीन ट्रोमाडोल जैसी नशीली दवाईयों को छह देशों में सप्लाई कर रहा था। दीपू सिंह इंटरनेट के जरिए डार्कनेट अकाउंट से करीब 600 प्रकार की नशीली दवाएं यूरोप और अन्य देशों को भेज चुका है।
उसे नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांसेज (एनडीपीएस) एक्ट के तहत अरेस्ट किया गया है। दिल्ली क्षेत्र के एनसीबी निदेशक केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि विभिन्न प्रकार की नशीली दवाइयों की 12 हजार गोलियां उसके घर से पकड़ी गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन दवाओं की कीमत 20 करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है। पिछले दो महीने के ऑपरेशन के दौरान ट्रामाडोल, जोल्पिडम, अल्प्राजोलम समेत 55 हजार टैबलेट पकड़ी गई। वहीं दवाइयां मुंबई और ब्रिटेन से भी पकड़ी गई हैं। एनसीबी के उप निदेशक राजेश नंदन श्रीवास्तव ने बताया कि दीपू डार्कनेट का सबसे बड़ा सप्लायर है। उसकी पहचान एम्पायर मार्केट और मैजेस्टिक गार्डन जैसे सबसे बड़े और विश्वसनीय डार्कनेट बाजारों में है।
इतना ही नहीं उसने डार्कनेट के जरिए यौन उत्तेजना बढ़ाने और फिटनेस वाली दवाओं की सप्लाई से यह बिजनेस शुरू किया था। लेकिन बाद में मोटा मुनाफा देखते हुए उसने नशीली दवाइयों का अवैध कारोबार भी शुरू कर दिया। दीपू सिंह ने लखनऊ की एमिटी यूनिवर्सिटी से होटल मैनेजमेंट में स्नातक कोर्स किया है। वह अपना रूप बदलकर माल सप्लाई करने में माहिर है। एजेंसियों की नजर से बचने के लिए वह बिटकॉइन और लाइटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भुगतान करता था। ऑर्डर डार्कनेट के जरिये प्राप्त कर माल की सप्लाई वाट्सएप और बिजनेस-टु-बिजनेस प्लेटफॉर्मों से की जाती थी।
मामले की जांच जारी है और एनसीबी दीपू से जुड़े तार और सहयोगियों की तलाश में जुटी हुई है। डार्कनेट दरअसल इंटरनेट का 96 फीसदी हिस्सा है जिसे पकडऩा मुश्किल होता है। अपराधी इसके जरिए बड़ा अपराध करके भी खुफिया एजेंसियों से बचे रहते हैं। डार्कनेट के जरिए अपराधी गोपनीय तरीके से अवैध धंधों को अंजाम देते हैं।
डार्कनेट पर होने वाला हर लेनदेन केवल वर्चुअल मनी के जरिए ही होता है। दुनिया में डार्कनेट से होने वाले अपराधों में 63 फीसदी अपराध केवल नशीले पदार्थों की तस्करी से ही जुड़े होते हैं। इंटरनेट पर आसानी से ट्राउ ब्राउजर डाउनलोड कर डार्कनेट अकाउंट बनाया जा सकता है। गैरकानूनी तरीके से कमाई करने का यह सबसे आसान तरीका है। जिसकी वजह से आज के युवा सबसे ज्यादा डार्कनेट का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि कई एजेंसियां डार्कनेट का इस्तेमाल करके ही कई बड़े आपराधिक मामलों की तह तक भी पहुंच जाती हैं।