दस्तक-विशेष

नीट नहीं ‘क्लीन’

रामकुमार सिंह

आमतौर पर बोलचाल की भाषा में यह कहा जाता है कि मेरा अथवा अमुक का काम ‘नीट एण्ड क्लीन’ है यानि साफ सुथरा-बेदाग लेकिन देशभर में आयोजित होने वाली ‘नीट’ (नेशनल एलेजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट-अंडर ग्रेजुएट) का पेपर लीक हो गया। चिकित्सा क्षेत्र में जाने के इच्छुक अभ्यर्थी यह परीक्षा देते हैं, जिनके कंधों पर देश के ‘भविष्य’ को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी होती है लेकिन इतने गंभीर क्षेत्र में भी यदि 35-40 लाख रुपए खर्च कर प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थानों में प्रवेश का जो जाल बुना गया, उसकी परिणीति सोचकर रोंगेटे खड़े हो जाना स्वाभाविक है। बहुत संभव है कि साल 2024 के पहले भी नीट परीक्षा में सेंधमारी हुई हो लेकिन तब वह प्रकाश में न आयी हो। लेकिन इस बार तो सब कुछ स्याह-सफेद सामने दिख रहा है। इस मामले में सबसे पहले बिहार और गुजरात प्रांत से सेंधमारी की बात सामने आयी थी। उसके बाद पहली गिरफ्तारी भी बिहार से हुई लेकिन देखते ही देखते देश के अन्य राज्यों में भी यह ‘गंदगी’ फैली हुई साफ दिख रही है। सारा मामला खुलते ही पूरे देश में हड़कंप मच गया। अब मामले में कई स्तर पर समीक्षा और जांच चल रही है। बिहार व झारखंड में ईओयू व बिहार पुलिस की अलग-अलग टीमें छापेमारी कर रही हैं। अब तक कई दर्जन आरोपी व छात्रों को हिरासत में लिया जा चुका है। उधर, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नीट-यूजी पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। सीबीआई अब एनटीए के अधिकारियों की भी भूमिका की जांच करेगी। वहीं, नीट यूजी परीक्षा में पेपर लीक का मामला पूरे देश में गर्माने के बाद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि नीट पेपर लीक की घटना सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है। यही वजह है कि सरकार ने पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इन परीक्षाओं को आयोजित कराने वाली नेशनल र्टेंस्टग एजेंसी (एनटीए) सबसे अधिक सवालों के घेरे में थे जिसके चलते सबसे पहली एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार पर गाज गिरी है। सुबोध कुमार की जगह प्रदीप खरोला को महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। प्रदीप इंडिया ट्रेड प्रोमोशन आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने नीट-यूजी में अनियमितताओं की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। एनटीए के अधिकारियों की भूमिका की जांच भी सीबीआई करेगी। सीबीआई यूजीसी-नेट परीक्षा मामले की भी जांच करेगी। शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार पूरी परीक्षा को रद्द नहीं करेगी। अगर सिर्फ बिहार में लीक हुए पेपर को लेकर परीक्षा को रद्द किया जाता है तो पूरे वर्ष मेहनत करने वाले छात्रों के साथ अन्याय होगा। शिक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हो रही है। हम कोर्ट के आदेश का पालन करने को तैयार हैं।

इस दौरान केन्द्र सरकार ने 23 जून रविवार को आयोजित नीट-पीजी परीक्षा को स्थगित कर दिया। जल्द ही नई तारीख का एलान किया जाएगा। परीक्षा स्थगित करने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने छात्रों से खेद भी जताया है। इसके अलावा सरकार ने प्रवेश परीक्षाओं को फुलफ्रूफ बनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने सात सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन समिति के अध्यक्ष होंगे। यह समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। समिति परीक्षा प्रक्रिया तंत्र और प्रश्नपत्र समेत अन्य डाटा की सुरक्षा प्रोटोकाल के संबंध में अपने सुझाव देगी। एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली में सुधार के सुझाव भी रिपोर्ट में होंगे। इस बीच नीट-यूजी में ग्रेस माक्र्स पाने वाले 1563 छात्रों ने 23 जून को दोबारा परीक्षा दी। इन छात्रों को छह केंद्रों पर समय की बर्बादी की वजह से ग्रेस माक्र्स मिले थे। विवाद के बाद ग्रेस माक्र्स को निरस्त कर दिया गया था। उधर, पेपर लीक विवाद के बीच केंद्र सरकार ने हाल ही में सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 अधिसूचित कर दिया है। इस कानून का उद्देश्य अनियमितता रहित और शुचिता पूर्ण परीक्षाओं को आयोजित कराना है। इस कानून के माध्यम से पेपर लीक जैसे कृत्यों में संलिप्त लोगों को कठोर सजा दिलाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। कानून में अधिकतम 10 साल की कैद और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

दरअसल, नीट-यूजी परीक्षा में एनटीए ने 1563 छात्रों को ग्रेस माक्र्स दिए थे। खुलासा होने पर परीक्षा में अनियमितता के आरोप लगे। 67 छात्रों के 720 में 720 अंक लाने पर भी विवाद हुआ। खास बात यह है कि इनमें से छह छात्र एक ही सेंटर के थे। उधर, 5 मई 2024 को पटना के शास्त्रीनगर थाना की पुलिस को सूचना मिली कि नीट यूजी परीक्षा में एक संगठित गिरोह, कुछ अभ्यर्थी एवं परीक्षा संचालन करने वाले कर्मियों के साथ मिलीभगत करके प्रश्नपत्र लीक करा लिया गया। शास्त्रीनगर पुलिस को डस्टर कार के नंबर के बारे में जानकारी मिली। पुलिस को पता चला कि इस गाड़ी में सेटर घूम रहे हैं। दोपहर दो बजे शास्त्रीनगर थाने की पुलिस बेली रोड पटेल भवन की तरफ से डस्टर कार आते दिखी। पुलिस ने उक्त डस्टर कार को घेराबंदी करके पकड़ लिया। कार में सिकंदर यादवेंदू, अखिलेश कुमार और बिट्टू कुमार सवार थे। पुलिस ने वाहन की तलाशी ली तो डैश बोर्ड सेल्फ से चार नीट अभ्यर्थी अभिषेक कुमार, शिवनंदन कुमार, आयुष राज और अनुराग यादव के एडमिट कार्ड मिले। पुलिस ने सभी को हिरासत में ले लियार्। ंसकदर यादवेंदु की गिरफ्तारी के बाद पेपर लीक मामले से पर्दा उठने लगा। पटना पुलिस के लिए सबसे अहम क्लू उसकी गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में मिली। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि हमारे कुछ अभ्यर्थी पटना के विभिन्न सेंटरों पर परीक्षा दे रहे हैं। सिकंदर ने पुलिस को यह भी बताया कि नीट परीक्षा में संजीर्व सिंह, रॉकी, नीतीश और अमित आनंद के माध्यम से र्सेंटग कराया है। सेट अभ्यर्थियों को संजीव, रॉकी, नीतीश और अमित ही प्रश्न का उत्तर रटाने के लिए ले गए हैं।

पूछताछ में सिकंदर ने बताया कि इन सभी विद्यार्थियों को उसने अलग-अलग सेंटरों पर परीक्षा देने के लिए पहुंचाया है। चूंकि, आयुष शास्त्री नगर थाने के समीप बोर्ड कॉलोनी स्थित डीएवी स्कूल में परीक्षा दे रहा था, तो पुलिस वहां फौरन पहुंच गई। वहीं आरोपितों की सूचना के आधार पर पुलिस परीक्षा केंद्र पर पहुंची। केंद्र अधीक्षक ने आयुष का एडमिट कार्ड देख कर पुलिस को बताया कि यह अभ्यर्थी कमरा नंबर 28 में परीक्षा दे रहा है। जैसे ही आयुष परीक्षा देकर निकला उसे दबोच लिया गया। उसके बाद आयुष को पूछताछ के लिये लाया गया। आयुष ने पूछताछ में पुलिस के सामने कबूल किया कि चार मई की रात ही उसे पटना के रामकृष्णानगर के खेमनीचक स्थित होटल एवं प्ले स्कूल में ले जाकर प्रश्नपत्र उत्तर याद करने के लिए कहा गया था। आयुष ने पुलिस को यह भी बताया था कि जो प्रश्नपत्र उत्तर दिया गया था, उससे परीक्षा के सभी प्रश्न शत-प्रतिशत मिले। उसने बताया कि उसकी तरह 20-25 अन्य अभ्यर्थियों को भी प्रश्न पत्र उत्तर सहित दिया गया तथा उन्हें रटवाया गया था। पुलिस ने 4/5 मई की रात पटना पुलिस की विशेष टीम अमित आनंद और नीतीश को शास्त्रीनगर के एजी कॉलोनी स्थित फ्लैट से गिरफ्तार किया। इसके अलावा, चार नीट परीक्षार्थियों आयुष राज, अनुराग यादव, अभिषेक कुमार व शिवनंदन कुमार को परीक्षा के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया। सेटर, परीक्षार्थी और अभ्यर्थी समेत कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया। पटना के शास्त्रीनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद 10 मई को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने नेट पेपर लीक की जांच संभाल ली।

इसके बाद ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने डीआइजी मानवजीर्त ंसह ढिल्लो के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया। इसके बाद पेपर लीक की कड़ियां तलाशी जाने लगीं। 12 जून को ईओयू ने एनटीए से नीट प्रश्नपत्र की मांग की, ताकि प्रश्नों का मिलान हो सके। करीब तीन बार रिमांडर के बाद नौ अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड एनटीए भेजे। 18 और 19 जून को नौ अभ्यर्थियों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया। नोटिस के बावजूद 19 जून को सिर्फ दो छात्राएं ही पूछताछ के लिए अभिभावकों के साथ आईं। इसमें बख्तियारपुर और समस्तीपुर की दोनों छात्राएं थीं। इधर, मामला तूल पकड़ने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 20 जून को ईओयू से जांच रिपोर्ट मांगी। ईओयू की अग्रतर जांच में झारखंड कनेक्श मिला ही, पेपर लीक मामले में नालंदा के संजीव मुखिया के साथ रवि अत्री गिरोह का भी नाम सामने आया। उधर, 22 जून को ईओयू की सूचना पर झारखंड के देवघर की पुलिस छापेमारी करने में जुट गई। एक किराये के कमरे से छह लोगों को हिरासत में लिया गया। सभी बिहार के नालंदा के निवासी हैं। उन सभी से पूछताछ की जा रही है। अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नीट-यूजी पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। सीबीआई एनटीए के अधिकारियों की भी भूमिका की जांच करेगी।

हालांकि केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय सम्पूर्ण परीक्षा निरस्त करने के पक्ष में नहीं दिख रहा है लेकिन नीट पेपर लीक के नए सबूत मिलने के बाद इसके रद्द होने की संभावनायें बढ़ गयी हैं। हालांकि नीट काउंर्संलग के लिए 6 जुलाई की तारीख भी दे दी गई है लेकिन संकट के बादल अभी छंटे नहीं हैं क्योंकि अभी भी नीट यूजी एग्जाम 2024 को क्लीन चिट नहीं मिली है। बिहार सरकार की आर्थिक अपराध इकाई ने अपनी जांच के बाद केंद्र सरकार को बताया है कि पेपर लीक हुआ है। ईओयू ने बरामद जली हुई कॉपियों से 68 प्रश्नों का मिलान असली नीट क्वेश्चन पेपर से किया है। सवाल और क्वेश्चन पेपर के सीरियन नंबर, दोनों हूबहू मिले हैं। ईओयू का दावा है कि नीट यूजी परीक्षा का पेपर लीक हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक, ईओयू ने जली हुई कॉपियों से 68 सवाल रिकवर किए हैं, जो हूबहू असली प्रश्न पत्र से मेल खाते हैं। इतना ही नहीं, इन प्रश्नों के क्रमांक भी असली पेपर जैसे ही हैं। यह रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय को सौंप दी गई थी, जिसके बाद मंत्रालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया। हालांकि जली हुई कॉपियां 5 मई को ही मिल गई थीं, जब संदिग्ध उम्मीदवारों को गिरफ्तार किया गया था। बिहार पुलिस ने गिरफ्तार जिन उम्मीदवारों के घर से जली हुई कॉपियां बरामद की थीं, उनमें से एक कागज के टुकड़े पर परीक्षा केंद्र का एक विशिष्ट कोड भी मिला था। ईओयू की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कोड ओएसिस स्कूल का है, जो झारखंड के हजारीबाग में स्थित एक सीबीएसई स्कूल है।

यह एनटीए द्वारा नामित नीट परीक्षा केंद्र भी था। बताया जाता है कि जांच टीम ने जब टीम ने स्कूल का दौरा किया और उन सभी लिफाफों और बक्सों को उठाया जिनमें प्रश्न पत्र आए थे, तो देखा गया कि एक लिफाफा दूसरे छोर से काटा गया था। प्रश्न पत्रों को ले जाने वाले सभी टैम्पर-प्रूफ लिफाफे हमेशा एक निर्दिष्ट हाइलाइट किए गए क्षेत्र से फाड़कर या काटकर खोले जाते हैं। इसके लिए सभी एग्जाम स्टाफ को ट्र्रेंनग मिलती है। लेकिन एक लिफाफा, विशेष रूप से गलत छोर पर खोला गया था। मामले में ओएसिस स्कूल र्के ंप्रसिपल एहसानुल हक ने कहा कि हो सकता है कि स्कूल में पैकेट पहुंचने से ‘बहुत पहले’ पेपर लीक हो गया हो। फिलहाल, नीट और नेट की परीक्षाओं में कथित धांधली पर देशभर में मचे बवाल के बीच अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बारे में एक्स पर लिखा है, ‘पारदर्शी, बिना किसी छेड़छाड़ के और कोई भी गलती किए बिना परीक्षाओं का आयोजन कराना सरकार की प्रतिबद्धता है। विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति का गठन परीक्षा प्रक्रिया की दक्षता में सुधार करने, सभी संभावित कदाचारों को ़खत्म करने, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को मज़बूत करने और एनटीए में सुधार करने के लिए कई कदमों की श्रृंखला में पहला कदम है। छात्रों का हित और उनका उज्वल भविष्य हमेशा हमारी सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता रहेगी।

शिक्षा मंत्रालय ने समिति के बारे में जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा, शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारु और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। समिति परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें करेगी। समिति दो महीने के भीतर मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। पूर्व इसरो अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑ़फ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारु और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का नेतृत्व करेंगे। जबकि एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफे़सर बीजे राव, आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनिर्यंरग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एमेरिटस राममूर्ति के., कर्मयोगी भारत संस्थान के बोर्ड मेंबर पंकज बंसल, आईआईटी मद्रास के स्टूडेंट अ़फेयर्स डीन प्रोफे़सर आदित्य मित्तल को इस समिति का सदस्य बनाया गया है। वहीं शिक्षा मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी र्गोंवद जायसवाल को समिति का मेंबर सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है। उधर, नीट पेपर लीक प्रकरण को लेकर विभिन्न प्रार्थनाओं के साथ अलग-अलग उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दाखिल की गयी थीं जिन पर अब एक साथ सर्वोच्च न्यायालय में एक साथ सुनवाई होगी। न्यायालय ने फौरी तौर पर काउंर्संलग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है लेकिन पूरे प्रकरण की सुनवाई अभी होना बाकी है। जानकार मानते हैं कि पुख्ता साक्ष्य होने के बाद अब नीट परीक्षा निरस्त होना लगभग तय है।

अब एक घंटे पहले सेट होगा क्वेश्चन पेपर

नीट परीक्षा लीक होने के बाद बैकफुट पर आयी केन्द्र सरकार ने पहले तो एहतिहात बरतते हुए नीट पीजी परीक्षा-2024 को स्थगित कर दिया था। अब इस परीक्षा को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत एमडी, एमएस जैसे पीजी मेडिकल कोर्सेस के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा नीट पीजी एग्जाम के क्वेश्चन पेपर अब परीक्षा से महज कुछ घंटे पहले ही बनाये जाएंगे। पहले से पेपर सेट तैयार नहीं होंगे, जैसा कि हुआ करता था। दरअसल, नीट पीजी परीक्षा 23 जून को होने वाली थी लेकिन कुछ घंटे पहले ही 22 जून रात 10 बजे इसे स्थगित करने का फैसला ले लिया गया था, क्योंकि उसके पहले नीट को लेकर बवाल चल रहा था और यूजीसी नेट की परीक्षा भी पेपर लीक के कारण कैंसिल करनी पड़ी थी। स्वास्थ्य मंत्रालय को डर था कि कहीं नीट पीजी के साथ भी कोई गड़बड़ी न हो जाए। इस बीच, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-यूजी (नीट यूजी) 2024 की पुनर्परीक्षा के नतीजों की घोषणा कर दी गयी है। एजेंसी द्वारा रिएग्जाम के नतीजे 30 जून तक जारी किए जाने थे, लेकिन रविवार को घोषित न होने से माना जा रहा था कि नीट यूजी पुनर्परीक्षा परिणाम अगले दिन घोषित किए गए। गौरतलब है कि एनटीए द्वारा रिएग्जाम का आयोजन 1563 उम्मीदवारों के लिए किया गया था, लेकिन पुनर्परीक्षा में सिर्फ 813 उम्मीदवार ही सम्मिलित हुए, जिनके परिणाम अब जारी हो गये हैं। यानी इस परीक्षा में 48 प्रतिशत छात्र उपस्थित नहीं हुए थे। परीक्षा में शामिल हुए छात्र नीट यूजी 2024 परीक्षा पोर्टल पर अपने एप्लीकेशन नंबर और डेट ऑफ बर्थ डालकर अपना परीक्षा परिणाम जांच कर सकते हैं।

अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक परीक्षार्थियों की पुनर्परीक्षा आयोजित किए जाने के बाद यह संशोधित परिणाम जारी किया गया है। रिएग्जाम रिजल्ट जारी होने के बाद अब टॉपर्स की गिनती 67 से घटकर 61 हो गई है। नीट यूजी रीएग्जाम उन 1563 कैंडिडेट्स के लिए हुआ था, जिन्हें रिजल्ट में ग्रेस माक्र्स मिले थे। इनमें से सिर्फ 813 ही रिएग्जाम में शामिल हुए थे। 720 में से 720 नंबर पाने वाले 6 में से 5 स्टूडेंट्स रिएग्जाम में शामिल हुए थे। इनमें से किसी ने भी रिएग्जाम में टॉप नहीं किया है। हालांकि, सभी 5 कैंडिडेट्स ने रिएग्जाम में 680 से ज्यादा स्कोर किया है। छठे कैंडिडेट को भी ग्रेस माक्र्स हटाकर बने नंबरों की मार्कशीट दी जाएगी। ऐसे में अब टॉपर्स की गिनती 6 कम हो गई है। अब काउंर्संलग प्रोसेस 6 जुलाई 2024 से शुरू होगा। रिएग्जाम में 750 कैंडिडेट्स नहीं शामिल हुए। चंडीगढ़ में 2 कैंडिडेट्स के लिए रिएग्जाम सेंटर बनाया गया था, उनमें से कोई भी परीक्षा देने नहीं पहुंचा। छत्तीसगढ़ से कुल 602 में से 291 कैंडिडेट्स, गुजरात से 1 कैंडिडेट, हरियाणा से 494 में से 287 कैंडिडेट्स और मेघालय के तुरा से 234 कैंडिडेट्स रिएग्जाम में शामिल हुए।

आखिर यूजीसी-नेट है क्या

देशभर की यूनिवर्सिटीज में जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और असिस्टेंट प्रो़फेसर पद के लिए लाखों बच्चे यह परीक्षा देते हैं। यह परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर के महीने में होती है। सुबह 9.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और 3 बजे से शाम 6 बजे तक, दो शिफ्टों में हुई इस परीक्षा में कुल 9 लाख 8 हजार 580 बच्चों ने पेपर दिया था। तीन घंटे की परीक्षा में छात्रों को दो पेपर देने होते हैं। पहला पेपर सबके लिए एक जैसा होता है, वहीं दूसरा पेपर, छात्र जिस विषय को चुनता है, उससे संबंधित होता है। पहले पेपर में छात्रों के लिए 50 सवाल और दूसरे पेपर में 100 सवाल होते हैं। ये सवाल मल्टीपल चॉइस होते हैं, जिन्हें छात्रों को ओएमआर शीट में भरना होता है। इस परीक्षा में सवाल ़गलत करने पर नंबर नहीं काटे जाते। यूजीसी के मुताबि़क जून 2024 के नेट एग्जाम के लिए 317 शहरों में 1205 सेंटर बनाए गए थे। इस परीक्षा के लिए कुल 11 लाख 21 हजार 225 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था, लेकिन 81 प्रतिशत छात्र ही परीक्षा देने के लिए पहुंचे। वहीं दिसंबर, 2023 में हुए नेट एग्जाम में कुल 9 लाख 45 हजार 872 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन किया था।

यूजीसी-नेट परीक्षा का आयोजन नेशनल र्टेंस्टग एजेंसी (एनटीए) ने किया था। साल 2018 से ही एनटीए, यूजीसी की तऱफ से यह परीक्षा आयोजित करवा रही है। पहले यह परीक्षा कंप्यूटर आधारित थी, लेकिन इस साल एजेंसी ने तय किया कि छात्र अलग-अलग सेंटर्स पर एक साथ पेन, पेपर की मदद से यह परीक्षा देंगे। नीट परीक्षा को लेकर एनटीए पहले ही सवालों के घेरे में है। देश के मेडिकल कोर्सेज़ में दाखिले के लिए भी परीक्षा एनटीए ने ही करवाई थी, लेकिन चार जून को नतीजे घोषित होने के बाद से उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यह परीक्षा करीब 24 लाख छात्रों ने दी थी। इसमें 67 छात्रों को 720 में से 720 नंबर दिए गए थे, वहीं कुछ ऐसे भी छात्र थे जिन्हें 718 या 719 नंबर मिले थे। इसी के बाद यह दावा किया गया था कि एक साथ एक परीक्षा में इतने टॉपर नहीं हो सकते और और 718 और 719 नंबर मिलना संभव नहीं है। लेकिन एनटीए ने तर्क दिया कि जवाब में बदलाव के चलते 1563 छात्रों को ग्रेस माक्र्स दिए गए हैं।

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