गांधीवादी राजनाथ व मौलाना फहीम अहमद ने मोमबत्ती जलाकर दी श्रद्धांजलि
बाराबंकी: महाराष्ट्र के पालघर में अनियंत्रित भीड़ द्वारा दो संतों और वाहन चालक की नृशंस हत्या के विरोध में गांधीवादियों ने मौन रखा। यह मौन आत्मशुद्धि के उद्देश्य से रखा गया था। ताकि इस प्रकार की घटना फिर कभी न हो सके।
मंगलवार को खुदाई खिदमतगार संगठन के संरक्षक फैसल खान व सोशल एक्टिविस्ट हाफिज़ किदवई के समर्थन में गाँधीवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा और जमीअत उलेमा ए हिन्द के पूर्व जिलाध्यक्ष मौलाना मोहम्मद फहीम अहमद ने संयुक्त रूप से महाराष्ट्र राज्य के पालघर में घटित हिंसक भीड़ के विरुद्ध विरोध प्रदर्शित करते हुए मौन रखा। इस दौरान उन निर्दोष आत्माओं के सम्मान में अपने अपने घरों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मोमबत्ती जलाकर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
सत्याग्रह की समाप्ति के बाद गाँधीवादी राजनाथ शर्मा ने कहा कि चाहे असंख्य लोग गलत और झूठ बात के साथ खड़े हों जाएँ, हम अकेले ही सही मगर सत्य के साथ खड़े रहेंगे, यह हमारे पूर्वजों की हमें सीख है। आज मौन रखकर हम सरकार से माँग करते है कि ऐसी भीड़ के खिलाफ कठोर कानून बने ताकि फिर कोई भीड़ किसी इंसान को अपने हाथों में कानून लेकर मिटाने न निकल सके। देश भर से सन्देश आ रहें है कि वह अपने घरों में आज मौन व उपवास पर रखेंगे, यही तो न्याय की स्थापना है कि मॉब लिंचिंग के विरुद्ध हम सब एक हैं।
श्री शर्मा ने कहा कि भीड़ हमेशा सही नही होती है। भीड़ बहुमत तो दे सकती है मगर न्याय नही दे सकती है। भीड़ हत्या को सही तो ठहरा सकती है मगर न्याय नही कर सकती है। भीड़ कभी भी धर्म स्थापित नही कर सकती, हाँ अधर्म की स्थापना भीड़ से ही होती है। भीड़ वह होती है, जिसमे सर तो असंख्य हों मगर मस्तिष्क सिर्फ एक हो, भुजाएँ तो असंख्य हों मगर उनके इस्तेमाल केवल एक हो, ऐसी भीड़ से हमेशा बचो, जो तुम्हे सोचने समझने की शक्ति छीन ले।
जमीअत उलेमा ए हिन्द के पूर्व जिलाध्यक्ष मौलाना मो0 फहीम अहमद ने कहा कि पालघर में हिंसक भीड़ ने तीन निर्दोष को अपनी उत्तेजना, मूर्खता और हिंसा की बलि चढ़ा दिया। जो लोग इस देश में नफरत पैदा करने का काम कर रहे है। वही लोग अफवाहों का सहारा लेकर धार्मिक उन्माद को पैदा करके भीड़ को भड़काने का भी काम कर रहे है। जिसका नतीजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कि सोशल मीडिया और निजी टीवी चैनलों पर अंकुश लगाए। यही नही उन मीडिया संस्थानों पर प्रतिबंध लगना चाहिए जो समाचार की आड़ में नफरत फैलाने का काम करते है। मॉब लिंचिंग की गंभीरता को देखते हुए सरकार को कानून बनाना चाहिए।