स्पोर्ट्स डेस्क : ओलंपिक में अब तक भारतीय महिला प्लेयर ने अब तक कई बार देश का परचम ऊँचा किया. इसमें 2000 सिडनी ओलंपिक में भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी के बाद 2016 रियो ओलंपिक में पीवी सिंधू और पहलवान साक्षी मलिक ने भारत का मान आगे बढ़ाया.
वैसे कर्णम ओलंपिक में पहली पदक विजेता भारतीय महिला प्लेयर हैं. वैसे ये दूसरा ओलंपिक है जब खेलों के महाकुंभ में खेल रही देश की बेटियों की संख्या लगभग पुरुष प्लेयर्स के बराबर ही है. देश की चार बेटियों ने पहली बार 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में दो खेलों एथलेटिक्स और तैराकी में भाग लिया था.
इस बार भी ओलंपिक में महिला प्लेयर्स से कमाल दिखाने की उम्मीद
वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी 2000 सिडनी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला प्लेयर बनी थीं. उन्होंने कांस्य पदक जीता था. पीवी सिंधू (2016, रियो) रजत पदक जीतने वाली देश की पहली महिला प्लेयर हैं. मैरीकॉम (2012, लंदन, कांस्य) ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली मॉम हैं.
साइना नेहवाल ने भी लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. पैरालम्पिक में दीपा मलिक पहली भारतीय पदक विजेता महिला प्लेयर हैं. तो इस बार टोक्यो में रिकॉर्ड 55 बेटियां रिकॉर्ड 15 खेलों में उतरेंगे और पांच खेलों में बेटियों ने परचम लहराया. इसे देखे तो शुरुआती 60 साल और 16 ओलंपिक (1952 से 2012) में 147 बेटियां खेलीं लेकिन अगले नौ वर्ष और दो ओलंपिक (2016 और 2021) में ही रिकॉर्ड 109 ने हिस्सा लिया.
रियो ओलंपिक में बेटियों ने पदक जीतकर तिरंगे की शान बनायीं. इसमें पीवी सिंधू रजत जीतने वाली देश की पहली महिला ख़िलाड़ी और पहलवान साक्षी मलिक ने महिला कुश्ती में पहला पदक जीता. यानि बेटियों के नाम अब तक ओलंपिक में पांच पदक हैं और अब टोक्यो में बेटियों से और अधिक पदकों की उम्मीद है.
वैसे मैरी डिसूजा (1956, मेलबर्न में दूसरी बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया पर सरकार ने बजट की कमी का हवाला देकर उन्हें नहीं भेजा. वो इन खेलों में हिस्सा लेने वाली एकमात्र महिला थीं. उन्हें 100 और 200 मीटर दौड़ में खेलना था.
इसके बाद 1988 और 1992 में छह-छह और 1996 में नौ महिलाओं ने खेलों में हिस्सा लिया लेकिन तीन बार (1960, 1968 और 1976) खेलों में कोई महिला क्वालीफाई नहीं कर सकी. नीलिमा घोष ओलंपिक में मैदान पर उतरने वाली पहली भारतीय महिला हैं.उन्होंने 21 जुलाई 1952 को हेलेंसिकी ओलंपिक की 100 मीटर दौड़ में हिस्सा लेकर ये रिकॉर्ड बनाया था. तब उनकी उम्र 17 वर्ष की थी.
नीलिमा के अलावा मैरी डिसूजा (100, 200 मीटर) और तैराक डॉली नाजीर व आरती शाह ने भी हिस्सा लिया था. ओलंपिक (800 मीटर दौड़, 1984 लॉस एंजिल्स) के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला प्लेयर शाइनी विल्सन 1992 में बार्सिलोना में खेलों के महाकुंभ के उद्घाटन समारोह में ध्वजवाहक बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थीं.
फिर अंजू बॉबी जॉर्ज (2004, एंथेस) को ये उपलब्धि हासिल हुई. ये दोनों ही प्लेयर एथलेटिक्स से हैं. इस बार मुक्केबाज मैरीकॉम एथलेटिक्स के अलावा ये सम्मान पाने वाली पहली महिला होंगी.
साल एथलीट
1980 18
1984 10
2000 21
2004 25
2008 23
2012 23
2016 54
2021 55