नीम, 5000 साल पहले के पारंपरिक उपचारों का हिस्सा
आयुर्वेद की दुनिया में, नीम एक लोकप्रिय औषधीय जड़ी बूटी है जो लगभग 5000 साल पहले के पारंपरिक उपचारों का हिस्सा रहा है। नीम एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो नीम के पेड़ से आती है। इसका अर्क पेड़ के बीज से आता है और इसके कई पारंपरिक उपयोग हैं। नीम अपने कीटनाशक और कीटनाशक गुणों के लिए जाना जाता है, लेकिन लोग इसका उपयोग बालों और दंत उत्पादों में भी करते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम “Azadirachta indica” है।
इंसानो के लिए फायदेमंद :-
10 सप्ताह तक प्रतिदिन 60 मिलीग्राम नीम की खुराक मनुष्यों में सुरक्षित रूप से उपयोग की गई है। जब नीम बड़ी मात्रा में या लंबे समय तक चबाया या मुँह में रखा जाता है, तब थोड़ा नुकसानदेह होता है। यह गुर्दे और यकृत को नुकसान पहुंचा सकता है। विशेष रूप से नीम की पत्ती के लिए औषधीय उपयोगिताओं का वर्णन किया गया है। नीम की पत्ती और इसके घटकों को इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीहाइपरग्लाइकेमिक, एंटीलिसर, एंटीमरल, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीमुटाजेनिक और एंटीकार्सिनोजेनिक गुणों को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शित किया गया है।
नीम हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। इसे हम घाव भरने के लिए इस्तेमाल कर सकते है ,डैंड्रफ हटा सकते है, आँखों में हो रही जलन को नीम के पानी से धूल कर जलन भगा सकते है। नीम को कुचलकर उसको पानी में मिलकर पीने से इम्युनिटी बूस्ट कर सकते है। नीम के छाल का उपयोग मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, त्वचा रोग, दर्द और बुखार के लिए किया जाता है। जन्म नियंत्रण के लिए योनि के अंदर नीम का उपयोग किया जाता है।
नीम के ड्रिंक्स से भी होते है कई फायदे :-
1-वज़न काम करने में फायदेमंद
2-इम्युनिटी बूस्ट करने में मददगार
3-खून साफ़ करता है
4-मौखिक समस्याओं को रोकता है
5-कैंसर के इलाज में सहायक
नीम त्वचा के लिए मॉइस्चराइज़र का एक उत्कृष्ट स्रोत भी है। नीम का तेल लगाने से इसमें मौजूद वसीय अम्ल और विटामिन आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज और कंडीशन करते हैं। नीम के तेल में विटामिन-ई क्षतिग्रस्त त्वचा की मरम्मत करता है और पर्यावरण परिवर्तनों के प्रभाव को भी सीमित करता है जिससे त्वचा को नुकसान हो सकता है।
आप आमतौर पर नीम के उत्पादों जैसे कि नहाने के पाउडर, शैंपू, स्किन लोशन, टूथपेस्ट जैसे उत्पादों में इस्तेमाल करते हैं और कई कंपनियों ने बेहतर प्रतिरक्षा के लिए नीम के पत्तों के कैप्सूल का विपणन भी शुरू कर दिया है।