NEET के जरिए भरी जाएंगी AIPMT 15 फीसदी सीटें
ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट की 15 फीसदी सीटें नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट (NEET) के जरिए भरी जाएंगी. उच्च स्तरीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत क्षेत्रीय भाषा, सिलेबस और जारी टेस्ट परीक्षा पर चर्चा हुई है, जिसमें परीक्षा के स्वरूप को लेकर भी बातचीत हुई.
प्राइवेट मेडिकल कॉलेज होंगे दायरे से बाहर
केंद्र सरकार के एनईईटी से जुड़े फैसले को मध्य प्रदेश, मणिपुर, ओडीशा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा ने फिलहाल स्वीकार नहीं किया है. प्राइवेट मेडिकल कॉलेज इसके दायरे में नहीं आएंगे. इन कॉलेजों में स्टेट कोटा के जरिए राज्य स्तर पर ही सीटें भरी जाएंगी.
पीजी परीक्षाओं के लिए नहीं होगी छूट
छह राज्यों के चार लाख स्टूडेंट इसका टेस्ट दे चुके हैं. इनमें केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश भी शामिल हैं. पीजी परीक्षाओं के लिए यह छूट नहीं दी जाएगी. इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने एनईईटी पर एक साल तक रोक लगा दी थी. शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार ने इससे जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी.
कॉमन मेडिकल टेस्ट पर एक साल की रोक
अब राज्यों के बोर्ड एक साल तक अपनी परीक्षाएं करवा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में एक मेडिकल की पढ़ाई के लिए एक एंट्रेंस टेस्ट यानी एनईईटी करवाने का आदेश दिया था. इसका कई राज्यों ने विरोध किया. इसके बाद कॉमन मेडिकल टेस्ट पर एक साल के लिए रोक लगाने को अध्यादेश मंजूरी दी गई.
अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
एक तरफ केंद्र ने अध्यादेश को मंजूरी दी है तो दूसरी तरफ एनईईटी के पक्ष में याचिका दायर करने वाले वकील अमित कुमार ने इसके खिलाफ 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ नहीं हैं कई राज्य
कई राज्य एनईईटी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं बताए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 2016-17 से एमबीबीएस, बीडीएस के लिए एनईईटी का आयोजन किया जाए. एक मई को एनईईटी का पहला चरण हुआ और 24 जुलाई को इसका दूसरा चरण होने वाला है. राज्य सरकारों ने अलग प्रवेश परीक्षा की मांग के लिए अपील की थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.