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नेपाल चाहता है कालापानी पर बातचीत, भारत ने कहा पहले भरोसा बनाने की जरूरत

नई दिल्ली: भारत और नेपाल के बीच नक्शे और उसमें दर्शायी गई जगहों को लेकर विवाद अब भी जारी है। नेपाल विदेश सचिव स्तर पर भारत से बातचीत करने की बात कह रहा है तो दूसरी तरफ अपने नए नक्शे को प्रमाणित करने के लिए संवैधानिक संशोधन की तैयारी कर रहा है।

हालांकि किसी भी तरह की बातचीत को लेकर भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है। भारत की ओर से कहा गया है कि नेपाल पहले विश्वास और भरोसे का वातावरण बनाए और बातचीत से पहले आत्मविश्वास की स्थिति पैदा करे।

नेपाल की मुख्य विरोधी पार्टी नेपाली कांग्रेस के ज्यादा समय लेने और मधेसियों के प्रस्तावित संशोधन में उनके मत को रखने की वजह से नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली अभी तक संसद में नेपाल का नया नक्शा का प्रस्ताव पारित नहीं कर पाए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने इस मु्द्दे पर जोर देते हुए कहा कि नेपाल में इस वक्त नए नक्शे को लेकर गंभीरता से चर्चा हो रही है तो भारत अपने पड़ोसी देशों से आपसी संवेदनशीलता और आपसी सम्मान के आधार पर बात करने के लिए तैयार है। 

नेपाल के बातचीत करने की अपील के सवाल पर अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों देशों के बीच किसी भी तरह के संवाद की कोई कमी नहीं है। विदेश सचिव हर्ष श्रंगला दो बार नेपाल के राजदूत निलंबर आचार्य से मुलाकात कर चुके हैं।

वहीं विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव पीयूष श्रीवास्तव जो नेपाल की जानकारी रखते हैं, नेपाल के राजदूत से कई बार मिल चुके हैं और उनसे लगातार संपर्क में हैं। नेपाल मीडिया की एक खबर के मुताबिक नेपाल के राजदूत भारत के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने में असफल रहे हैं।

भारत ने नवंबर में जब जम्मू-कश्मीर को राज्य दिखाते हुए अपना नया नक्शा जारी किया था तब से नेपाल कालापानी पर बात करने की कोशिश कर रहा है। दोनों देशों की सीमाओं पर विवाद को सुलझाने के लिए विदेश सचिव स्तर की प्रक्रिया की जरूरत है।

नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय वर्किंग कमिटी आने वाले शनिवार संशोधित मानचित्र पर बात करने के लिए बैठक करेगी। हालांकि नेपाली कांग्रेस इस नए मानचित्र का समर्थन करती है। हालांकि भारत ने अपने एक बयान में कहा है कि कोविड-19 जैसी महामारी में भी भारत ने नेपाल को जरूरी सेवाओं जैसे दवाइयों का व्यापार नहीं रोका है।

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