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भारत के गैर बासमती चावल निर्यात पर प्रतिबंध से नेपाल चिंतित, कूटनीतिक प्रयास किए तेज

काठमांडू : भारत के गैर बासमती चावल के प्रतिबंध का असर नेपाल में दिखने लगा है। देश की कुल खपत का 20 प्रतिशत चावल भारत से ही आयात किया जाता रहा है। करीब 70 लाख मीट्रिक टन चावल की खपत में से 15 लाख मीट्रिक टन चावल भारत से आयात होता रहा है।

सरकारी आंकड़ा बताता है कि पिछले आर्थिक वर्ष में भारत से करीब 1500 करोड़ रुपये के चावल का आयात किया गया। इतने बड़े पैमाने पर चावल के आयात पर निर्भर रहने वाले नेपाली समाज में प्रतिबंध की खबर आते ही आम जनता से लेकर व्यापारी तक ने चावल का भंडारण करना शुरू कर दिया है। इससे चावल की कालाबाजारी और मूल्य वृद्धि की शिकायत लगातार आ रही है।

इसके मद्देनजर नेपाल सरकार ने अहम फैसला लिया है। प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद संबंधित मंत्रालय के उच्च अधिकारियों की बैठक में चावल की कालाबाजारी रोकने, मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण करने और आम जनता को चावल की कमी नहीं होने देने के लिए लगातार बाजार अनुगमन करने का फैसला किया गया है।

नेपाल सरकार के मुख्य सचिव वैकुण्ठ अर्याल की अध्यक्षता में हुई बैठक में देश में भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद की परिस्थितियों पर गम्भीरता पूर्वक विचार-विमर्श किया गया। इस उच्च स्तरीय बैठक के बाद जारी बयान में चावल की कालाबाजारी रोकने और मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण करने के लिए देशभर में नियमित बाजार अनुगमन करने का फैसला लिए जाने की जानकारी दी गई है।

प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव के नेतृत्व में गृह मंत्रालय, योजना आयोग, राष्ट्रीय सतर्कता केंद्र, कृषि मंत्रालय, आपूर्ति मंत्रालय के सचिव सहित विभिन्न सरकारी जांच एजेंसियों के प्रतिनिधियों को शामिल किए जाने की जानकारी दी गई है।

बैठक के बाद आपूर्ति सचिव मुकुन्द निरौला ने कहा कि आम जनता के घर में चावल की कमी नहीं होने देने के लिए सरकारी गोदामों के अलावा निजी क्षेत्र के गोदामों में भी चावल का भंडारण शुरू करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रविधि और मानवीय दोनों तरीके से चावल की कालाबाजारी को रोकने के लिए मुस्तैदी से निगरानी की जाएगी। साथ ही प्रतिबंध की आड़ में मूल्य वृद्धि न हो सके इसको लेकर भी सरकार सचेत है।

उद्योग, वाणिज्य तथा आपूर्ति मंत्री रमेश रिजाल ने कहा कि नेपाल को चावल प्रतिबंध वाले निर्णय से बाहर रखने के लिए सरकार के तरफ से कूटनीतिक प्रयास भी किया जा रहा है। मंत्री रिजाल का तर्क है कि भारत ने कोरोना के समय भी खाद्यान्न सहित कई वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था लेकिन नेपाल सरकार के आग्रह के बाद विशेष व्यवस्था के तहत खाद्यान्न सहित सभी वस्तुओं के प्रतिबंधों से छूट दी गई थी।

भारत सरकार ने पिछले वर्ष चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाने का निर्णय किया था, लेकिन नेपाल सरकार के मानवीय आधार पर इसमें छूट देने का आग्रह करने पर भारत ने छह लाख मीट्रिक टन तक के चावल निर्यात को कर के दायरे से बाहर कर दिया था।

फिलहाल नेपाल में उसी कोटे के तहत चावल का आयात किया जा रहा था। भारत सरकार के ताजा निर्णय में राहत कोटा के तहत भेजे जा रहे चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाने के बाद किसी भी प्रकार की असहज स्थिति से बचने के लिए नेपाल सरकार ने कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं।

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