अन्तर्राष्ट्रीय

विदेश में मिली नई एंगलरफिश, सबसे ज्यादा गहराई में रहती यह प्रजाति

लंदन: लंदन नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के सीनियर क्यूरेटर जेम्स मैक्लेन ने एक जानकारी साझा करते हुए कहा कि हाल ही में एंगलरफिश की एक नई प्रजाति मिली है। यह प्रजाति समुद्र में 1 से 4 किमी की गहराई में रहती है। इस मछली को सेक्सुअल पैराटिज्म कहते हैं। इन मछलियों के माथे पर एक एंटीने जैसा बल्ब लगा होता है जो अंधेरे में जलता है। इस प्रजाति के नर को एक गंदी आदत होती है। यह मादा के साथ बचपन से ही जुड़ जाता है। वैंपायर की तरह उसका खून पीता रहता है जब यह वयस्क हो जाता है, किसी अन्य मादा के साथ संबंध बनाने लायक हो जाता है तब यह उस मादा मछली को छोड़ देता है। मादा मछली को छोडऩे से पहले उसके अंडों को फर्टिलाइज भी करता है। जैसे ही शिकार आता है अपने खतरनाक नुकीले दांतों से उसे शिकार बना लेते हैं। इन्हें ये रोशनी वाला बल्ब इसलिए मिला है क्योंकि बेहद गहराई और अंधेरे में रहती हैं।

मैक्लेन ने बताया कि अब तक दुनिया में एंगलरफिश की 170 प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं। इनकी पहली प्रजाति की खोज 1925 में मछली विज्ञानी चाल्र्स टेट रीगन ने की थी शुरुआत में जब छोटे नर एंगलरफिश को वैज्ञानिकों ने बड़ी मादा मछली से जुड़े हुए देखा तो उन्हें लगा कि ये मां और उसके बच्चे हैं लेकिन जब ऐसी मछलियों की स्टडी की गई तो पता चला कि यहां तो कहानी ही एकदम अलग है। यह एंगलरफिश की अलग ही प्रजाति है। विचित्र और हैरान करने वाली मछली है।

अभी इस खतरनाक मछली की जो नई प्रजाति मिली है वो काले रंग की गोल्फ बॉल के आकार की है। साल 2020 में एक स्टडी आई थी जिसमें लिखा था कि जब वैंपायर नर एंगलरफिश किसी मादा से जुड़ता है उसका खून पीना शुरू करता है, तब मादा अपने इम्यून सिस्टम को कमजोर कर लेती हैं। विरोध नहीं करती। ताकि नर चिपका रह सके। उन्हें अपने शरीर का हिस्सा समझ लेती हैं। जेम्स मैक्लेन ने कहा कि मादा एंगलरफिश का इम्यून सिस्टम नरम पड़ जाता है, लेकिन ये कैसे होता है वह कैसे काम करता है ये बात किसी भी वैज्ञानिक को अब तक पता नहीं है।

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