रावत की मौत से सरकार के सामने नया संकट, सीमा पर चीन और पाकिस्तान से चुनौतियां
नई दिल्ली: हेलिकॉप्टर हादसे में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की अचानक मौत से सरकार की सामने नई मुश्किल पैदा हो गई है। पड़ोसी देशों- चीन और पाकिस्तान- की वजह से सीमा पर भारत के सामने जो सुरक्षा संबंधी चुनौतियां हैं, उसकी वजह से सीडीएस का पद लंबे समय खाली नहीं रखा जा सकता है। एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार को बिपिन रावत के उत्तारिधाकारी की घोषणा के साथ सैन्य बलों के लिए सक्सेशन प्लान भी लाना होगा, जिसे जल्दी से अंजाम पर पहुंचाया जा सके।
अधिकारी ने कहा, ” यह अभूतपूर्व स्थिति है क्योंकि जनरल रावत देश के पहले सीडीएस थे। सरकार को शीर्ष सैन्य अधिकारी को चुनकर उसे सीडीएस अपॉइंट करना होगा। तीनों सेनाओं का सक्सेशन प्लान तो आमतौर पता है लेकिन सीडीएस के बारे में ऐसा नहीं है क्योंकि यह नया पद है।” जनरल रावत की मौत के बाद सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने देश के सबसे सीनियर मिलिट्री ऑफिसर बन गए हैं। वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी और नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार, दोनों ही उनसे दो साल जूनियर हैं।
एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि अगर सरकार वरिष्ठता का ध्यान रखती है तो इस बात की प्रबल संभावना है कि जनरल मनोज मुकुंद नरवाने को देश का अगला सीडीएस बना दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “इसके बाद सेना प्रमुख का पद खाली हो जाएगा और सरकार को नया आर्मी चीफ चुनना होगा। जनरल रावत की मौत का सैन्य बलों के सक्सेशन लाइन-अप पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।”
सेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सी पी मोहंती और नॉर्दन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी एक ही बैच के हैं और जनरल नरवाने के बाद आर्मी के सबसे सीनियर ऑफिसर्स हैं। लेफ्टिनेंट जनरल शेकटकर समिति ने जो सुझाव दिया था, उसके मुताबिक तीनों सेना के प्रमुखों में से किसी एक को सरकार को सीडीएस चुनना चाहिए। इस हिसाब से देखा जाए तो जनरल नरवाने सीडीएस के पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार होंगे। लेफ्टिनेंट जनरल शेकटकर ने कहा, ” भारत को चीन और पाकिस्तान से जिस तरह की सुरक्षा चुनौतियां मिल रही हैं, उसे देखते हुए सरकार को जल्द से जल्द सीडीएस नियुक्त करना होगा।”
नरवाने अगले साल अप्रैल में रिटायर होने वाले हैं लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है। सुरक्षा प्रतिष्ठानों में बहुत से लोगों का मानना है देश के सामने सीमाओं पर जिस तरह की चुनौतियां हैं उसको देखते हुए पहले दो या तीन सीडीएस आर्मी से होने चाहिए। हालांकि, सीडीएस नियुक्त करना सरकार का विशेषाधिकार है। एक तीसरे अधिकारी ने कहा कि सरकार वरिष्ठता की अनदेखी करके भी नियुक्ति कर सकती है, जैसा कि पांच साल पहले जनरल बिपिन रावत को आर्मी चीफ बनाने के वक्त हुआ था।
एनडीए सरकार ने दो सीनियर जनरलों-लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बक्शी और पी एम हरीज- को दरकिनार करके 31 दिसंबर 2016 को रावत को आर्मी चीफ बनाया था। जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में कार्यकाल का जनरल रावत का अनुभव भारी पड़ा था और फैसला उनके पक्ष में गया था। रावत तीन साल का आर्मी चीफ का कार्यकाल पूरा करने के बाद 31 दिसबंर 2019 को सीडीएस बने थे। इस तरह वह देश में सबसे लंबे समय तक चार स्टार रैंक का कार्यकाल पूरा करने वाले अधिकारी बन गए थे।