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यूपी में शराब के धंधे की नई डिज़ाइनिंग

योगी सरकार ने कोई छह साल बाद आबकारी नीति में बड़े फेर-बदल किए हैं। नई नीति में शराब थोड़ी और महंगी हो जायेगी लेकिन अब शराब के शौकीनों को ज्यादा भटकना नहीं पड़ेगा क्योंकि अंग्रेजी शराब, बियर और वाइन उन्हें अब एक जगह ही मिल जाएगी। अब ई-लाटरी से शराब के ठेके दिए जाएंगे। इसका मतलब है शराब के कई पुराने खिलाड़ी आउट होंगे। नई आबकारी नीति पर लखनऊ से संजय सक्सेना की रिपोर्ट।

उत्तर प्रदेश की नई आबकारी नीति इस बार चर्चा में है। योगी आदित्यनाथ सरकार की नई नीति कई मायनों में क्रान्तिकारी है। ज्यादा राजस्व एकत्र करने के लिए शराब की दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण करने की बजाय फिर से ई-लाटरी व्यवस्था की गई है। यानी यूपी में शराब की दुकान खोलना अब ज्यादा आसान हो गया है। इससे शरार्ब सिंडिकेट का एकाधिकार टूटेगार्। सिंडिकेट से अलग आम कारोबारी भी अब शराब के ठेके के लिए आवेदन कर सकता है। नीति में दूसरा सबसे बड़ा बदलाव प्रदेश में शराब की कंपोजिट दुकानें खोलने को लेकर किया गया है। यानी प्रदेश में पहली बार अंग्रेजी शराब, बीयर व वाइन की कंपोजिट दुकानें खोलने की इजाजत दी गई है। इससे दुकानों की संख्या बढ़ाए बिना बिक्री को बढ़ाया जा सकेगा। देशी शराब केवल टेट्रा पैक में ही बेची जाएगी।

नई नीति से इन दिनों शराब कारोबारियों में हड़कंप है। जिन दुकानदारों के पास ज्यादा स्टॉक है, वो रियायती दरों पर शराब बेचकर अपना स्टॉक क्लियर करने की कोशिशों में लगे हैं ताकि कोटे की बची शराब से कुछ और कमाई हो जाये। यही वजह थी कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में अंग्रेजी शराब की एक दुकान पर जैसे ही दुकानदार ने शराब के रेटों में भारी छूट का बोर्ड लगाया तो वहां देखते ही देखते भीड़ उमड़ पड़ी। हालात ऐसे बन गए कि शराब की दुकान के बाहर लंबी लाइन लग गई और लोग पूरी की पूरी पेटियां खरीदकर ले जाते नज़र आये। 31 मार्च आते-आते यह नजारा अन्य जिलों में भी देखने को मिल सकता है, जिससे होली के रंग अंग्रेजी के साथ और चटक हो सकते हैं। बहरहाल, होली तक भले ही कुछ जगह सस्ती शराब मिल रही हो, लेकिन एक अप्रैल से यूपी में शराब और बीयर पीने वालों को बड़ा झटका लगने वाला है। इन्हें अब अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। उत्तर प्रदेश में पहली अप्रैल से शराब और बीयर महंगी हो जाएगी। प्रदेश सरकार द्वारा जारी नई आबकारी नीति के तहत लाइसेंस फीस और आबकारी शुल्क में बढ़ोतरी होने की वजह से ऐसा होगा। नया वित्तीय वर्ष शुरू होने पर सभी लाइसेंसी फुटकर दुकानों पर बीयर, देसी और अंग्रेजी शराब के दामों में वृद्धि हो जाएगी। नई दरें एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष में लागू हो जाएंगी।

नये दामों की बात की जाये तो पहली अप्रैल से यूपी में बीयर केन में औसतन 10 रुपये प्रति केन और बोतल पर 20 रुपये प्रति बोतल की मूल्य वृद्धि होगी। इसी तरह देसी शराब का 42.8 डिग्री तीव्रता का पउआ पहली अप्रैल से 75 रुपये के बजाए 90 रुपये का होगा। 36 डिग्री तीव्रता का देसी शराब का पउवा 65 रुपये के बजाए 70 रुपये का बिकेगा। अंग्रेजी शराब के पापुलर ब्राण्ड के क्वार्टर, अद्धे व बोतल के दामों में भी बढ़त होगी। अंग्रेजी शराब के क्वार्टर में 15 से 25 रुपये तक की बढ़ोत्तरी की जाएगी। बीते महीने योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में नई आबकारी नीति 2025-26 को मंजूरी दी गई है। अब से पुराने कोटेदारों की दुकानों का नवीनीकरण नहीं किया जायेगा, बल्कि फिर से लॉटरी द्वारा शराब की दुकानों की नीलामी होगी। पिछले कई वर्षों से शराब के ठेके फिर उन्हीं ठेकेदारों को दिए जा रहे थे। अब उन्हें लाटरी से अपनी किस्मत आजमानी होगी वर्ना वे धंधे से बाहर हो जाएंगे। योगी सरकार ने नई आबकारी नीति के जरिए 55 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है। नई आबकारी नीति के तहत मॉलों, मल्टीप्लेक्स एरिया में प्रीमियम ब्रांड की दुकानों को इजाज़त नहीं दी जाएगी। वहीं अंग्रेजी शराब और बीयर की दुकानें लॉटरी सिस्टम से मिलेंगी और कंपोजिट दुकानों को भी लाइसेंस जारी किया जाएगा जिसमें देशी, विदेशी, बीयर और वाइन एक जगह पर मिल सकेंगी। इसका असर यह होगा कि उत्तर प्रदेश में शराब की 3171 दुकानें कम हो जाएगी। यानी प्रदेश में मौजूद 12533 दुकानों की संख्या घटकर 9362 रह जाएगी। इस बार शासन ने देसी शराब की दुकानों का कोटा 10 फीसदी बढ़ा दिया है। वहीं, बीयर की दुकान का पांच फीसदी और विदेशी शराब की दुकान का पांच फीसदी लाइसेंस शुल्क बढ़ाया गया है। विभाग की ओर से कंपोजिट दुकानें संचालित करने के लिए तैयारियां की जा रही है।

एकाधिकार टूटेगा
शराब कारोबारियों का कहना है कि वे लोग अपना धंधा बदलने को मजबूर हो सकते हैं। वैसे भी कहा जा रहा है कि लाटरी से दुकानों का आवंटन होने से जहां इस कारोबार से जुड़े कई पुराने खिलाड़ी आउट हो सकते हैं, वहीं कई की नई इंट्री हो सकती है। हालांकि, आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी ने स्पष्ट किया है कि इस वृद्धि के बावजूद शराब की कीमतों में ज्यादा वृद्धि नहीं होगी। उन्होंने बताया कि सरकार शीरे की जगह अनाज से बनी शराब को बढ़ावा दे रही है, जिससे उत्पादन लागत में कमी आएगी और उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा। नई नीति के तहत, देसी शराब की विभिन्न श्रेणियों को संक्षिप्त कर चार श्रेणियों में बांटा गया है, जिससे कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी। इसके अलावा, बीयर दुकानों के पास 100 वर्ग फीट के परमिट रूम की अनुमति दी गई है। अब उपभोक्ताओं को एक तरह से बियर बॉर में बैठकर बीयर पीने की सुविधा मिलेगी। शराब कारोबारियों ने लाइसेंस फीस में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि इससे उनके संचालन लागत में वृद्धि होगी। हालांकि, सरकार का मानना है कि अनाज आधारित शराब के उत्पादन से लागत में कमी आएगी, जिससे कारोबारियों को राहत मिलेगी। नई आबकारी नीति का मकसद राज्य के राजस्व में वृद्धि करना और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शराब उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना है। सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग से 50,000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है।

बीते साल शराब से 47,600 करोड़ का राजस्व
अगर हम वित्तीय वर्ष 2024-2025 की बात करें तो उत्तर प्रदेश में शराब की बिक्री ने नए आयाम छुए। राज्य सरकार ने इस अवधि में शराब की बिक्री से लगभग 47,600 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में रिकार्ड वृद्धि है। नए साल के जश्न के दौरान, विशेष रूप से अंग्रेजी शराब की मांग में भारी इज़ा़फा देखा गया। मेरठ जिले में, नए साल के स्वागत में लोग लगभग 7 करोड़ रुपये की शराब गटक गए, जिसमें अंग्रेजी शराब की बिक्री सबसे अधिक रही। होली इस रिकार्ड को भी तोड़ सकती है। हालांकि, उपलब्ध स्रोतों में वित्तीय वर्ष 2024-2025 के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बिकने वाले विशिष्ट शराब ब्रांड का कोई विवरण नहीं है। फिर भी, अंग्रेजी शराब की बढ़ती मांग और बिक्री के आंकड़े इंगित करते हैं कि प्रीमियम और लोकप्रिय ब्रांड्स ने उपभोक्ताओं के बीच प्रमुख स्थान बनाए रखा है। आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने भी बताया कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में दिल्ली की तुलना में अधिक शराब के ब्रांड उपलब्ध हैं। ये ब्रांड उपभोक्ताओं की विविध पसंद का संकेत हैं। प्रदेश में शराब की बिक्री में निरंतर वृद्धि और अंग्रेजी शराब की बढ़ती लोकप्रियता राज्य की आबकारी नीति और उपभोक्ता रुझानों में महत्वपूर्ण बदलावों को दर्शाती है।

इजाद की नई शराब
नई नीति में सरकार एक और नियम लेकर आई है, जिसके तहत अब यूपी में कम नशे वाली शराब भी मिल सकेगी। सरकार ने देसी शराब को लेकर एक नई कैटेगरी बनाई है, जिसमें 28 फीसदी अल्कोहल वाली देसी शराब तैयार की जाएगी। कम अल्कोहल वाली ये देसी शराब खास तौर पर यूपी में बनाई जाएगी, जो अनाज से तैयार होगी। इसे यूपी मेड लिकर यानी यूपीएमएल नाम दिया गया है। राज्य सरकार के मुताबिक शराब में यह नई कैटेगरी होगी, जिसमें 28 फीसदी तक अल्कोहल होगा। इसके लिए विशेष पैर्केंजग भी होगी। राज्य सरकार ने इसे लेकर भी गाइडलाइन जारी की है। नोएडा, गाजियाबाद, आगरा और लखनऊ में कम अल्कोहल वाले बार शुरू किए गए हैं, जहां सिर्फ बीयर और वाइन परोसा जाएगा। इन शहरों में कम अल्कोहल वाले प्रीमियम रिटेलर्स (पीआरवी) (केवल बीयर और वाइन बेचने वाले) लॉन्च किए गए हैं। यही नहीं जिन किसानों से फल खरीदकर शराब बनाई जा रही है, उन्हें हर जिला मुख्यालय पर एक शराब की दुकान आवंटित की जाएगी, जिससे वे प्रोत्साहित हों।

छोटे पैक में भी मिलेगी प्रीमियम शराब
आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने बताया कि इस बार रेगुलर कैटेगरी की विदेशी शराब की 90 मिलीलीटर का पैक भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा प्रीमियम कैटेगरी की विदेशी शराब के 60 मिलीलीटर और 90 मिलीलीटर के पैक भी दुकानों पर उपलब्ध होंगे। फैसला यह भी लिया गया है कि शीशे की बोतल में आने वाली देसी शराब को अब टेट्रा पैक में उपलब्ध कराया जाएगा, क्योंकि टेट्रा पैक में मिलावट की संभावना ना के बराबर होती है।

डिस्क्लेमर
शराब अकेला धंधा है जिससे किसी भी सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व मिलता है। शराब पीने वाले भी जानते हैं कि शराब का सेवन सेहत के लिए नुकसान दायक है। फिर भी शराब पीने की लत समाज में तेजी से बढ़ रही है। नशे की लत न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है, बल्कि पारिवारिक जीवन, सामाजिक रिश्ते और आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती है। शराब के कारण कई लोग गंभीर बीमारियों जैसे लीवर सिरोसिस, हृदय रोग और मानसिक तनाव के शिकार हो जाते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में शराब के कारण मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई परिवार इस लत के कारण टूट जाते हैं।

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