देहरादून का नया ताजः राष्ट्रपति निकेतन की अनूठी कहानी

दस्तक ब्यूरो, देहरादूनः हिमालय की तलहटी में बसा वह शहर, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वादियों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है, अब एक नई पहचान के साथ विश्व पटल पर उभर रहा है। यह शहर, जो भारतीय सैन्य अकादमी, भारतीय वन अनुसंधान संस्थान, वाडिया भूविज्ञान संस्थान, और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी जैसे 50 से अधिक केंद्रीय संस्थानों का गढ़ रहा है, अब एक और रत्न से सुशोभित हो चुका है – राष्ट्रपति निकेतन। यह स्थान केवल राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन निवास ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, पर्यटकीय और पर्यावरणीय केंद्र के रूप में भी उभर रहा है। 20 जून 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसे आम जनता के लिए खोलकर इसकी नई कहानी की शुरुआत की।
राष्ट्रपति निकेतन, जिसे पहले प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड एस्टेट और आशियाना के नाम से जाना जाता था, जिसका इतिहास 18वीं शताब्दी में शुरू होता है। 1773 में तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने ब्रिटिश शासनकाल में प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड रेजीमेंट की स्थापना की थी। यह रेजीमेंट गवर्नर जनरल की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी, और देहरादून की ठंडी और शांत जलवायु को देखते हुए यहां एक ग्रीष्मकालीन शिविर स्थापित किया गया। 1838 तक यह जगह घुड़सवारों और उनके घोड़ों का आश्रय स्थल बन चुकी थी, और इसका पहला कमांडेंट बंगला 1920 में बनाया गया। 1859 में इसका नाम बदलकर वायसराय बॉडीगार्ड हुआ और स्वतंत्रता के बाद इसे प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड एस्टेट कहा जाने लगा।

स्वतंत्रता के बाद 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देहरादून की प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए इसे अपने ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में चुना। पुराने कमांडेंट बंगले का जीर्णोद्धार किया गया, और इसका नाम रखा गया आशियाना। इस समय से यह स्थान राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन प्रवास का केंद्र बन गया। 1998 में राष्ट्रपति केआर नारायणन यहां आए, लेकिन अगले 18 साल तक यह जगह अपेक्षाकृत गुमनाम रही। 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसके नवीनीकरण की शुरुआत की, जिसने इसे नई ऊर्जा दी।
लेकिन असली बदलाव 2025 में आया, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसे राष्ट्रपति निकेतन नाम दिया और इसे जनता के लिए खोलने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। खास बात यह है कि पिछले 50 सालों में केवल तीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद, केआर नारायणन, और प्रणब मुखर्जी यहां आए थे, लेकिन मुर्मु ने महज पांच महीनों में दो बार इस स्थान का दौरा कर इतिहास रच दिया। यह पहला मौका है जब कोई राष्ट्रपति इतने कम समय में दोबारा यहां पहुंचा, जो इस स्थान की बढ़ती अहमियत को दर्शाता है।

राष्ट्रपति निकेतन का परिसर 175 एकड़ में फैला है, जिसमें से 21 एकड़ में मुख्य भवन और राष्ट्रपति तपोवन बने हैं। शेष 132 एकड़ में एक विश्व स्तरीय पार्क विकसित किया जा रहा है, जो लंदन के प्रसिद्ध हाइड पार्क से प्रेरित है। यह परियोजना न केवल देहरादून की पर्यटकीय संभावनाओं को बढ़ाएगी, बल्कि इसे एक सांस्कृतिक और पर्यावरणीय केंद्र के रूप में भी स्थापित करेगी।
राष्ट्रपति निकेतन का परिसर मालसी की पहाड़ियों के बीच बसा है, जहां प्रकृति की शांति और आधुनिक सुविधाओं का अनोखा मेल देखने को मिलता है। यह स्थान ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर आधारित है, जिसमें सौर ऊर्जा संयंत्र, वर्षा जल संग्रहण प्रणाली, और अपशिष्ट जल रिसाइक्लिंग सिस्टम जैसे पर्यावरण-अनुकूल उपाय शामिल हैं। 12 एकड़ में फैले इस परिसर में ईको-फ्रेंडली आर्किटेक्चर का उपयोग किया गया है, जो इसे प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने वाला बनाता है।
राष्ट्रपति निकेतन का सबसे बड़ा आकर्षण इसका 132 एकड़ में बन रहा राष्ट्रपति उद्यान है, जिसे लंदन के हाइड पार्क से प्रेरणा लेकर डिजाइन किया जा रहा है। लंदन का हाइड पार्क, जो 350 एकड़ में फैला है, 1637 से जनता के लिए खुला है और अपनी सर्पेंटाइन झील, स्पीकर्स कॉर्नर, और राजकुमारी डायना की स्मृति में बने फव्वारे के लिए विश्व प्रसिद्ध है। उसी तरह, राष्ट्रपति उद्यान भी एक बहु-आयामी केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। इस उद्यान की परिकल्पना सुगम्यता, सततता, और सामुदायिक सहभागिता के सिद्धांतों पर आधारित है। अनुमान है कि उद्यान के पूर्ण होने पर हर साल 20 लाख पर्यटक यहां आएंगे, जो देहरादून की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को नया आयाम देगा। पिछले चार महीनों में ही राष्ट्रपति निकेतन में 4,753 और तपोवन में 15,567 लोग घूम चुके हैं, जो इसकी लोकप्रियता का सबूत है।
राष्ट्रपति निकेतन का हर हिस्सा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर बनाया गया है। सौर ऊर्जा का उपयोग, वर्षा जल संग्रहण, और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली इसे एक मॉडल ग्रीन परियोजना बनाती है। उद्यान में उपयोग होने वाली सामग्री और डिजाइन प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने पर केंद्रित हैं। मालसी की पहाड़ियों की हरियाली और शांत वातावरण इस स्थान को एक आदर्श पर्यटक स्थल बनाते हैं, जहां लोग शहर की भागदौड़ से दूर प्रकृति की गोद में समय बिता सकते हैं।

देहरादून के पर्यटन पर प्रभावः एक नया अध्याय
राष्ट्रपति निकेतन का उद्घाटन देहरादून के पर्यटन को नई गति दे रहा है। पहले यह स्थान केवल सरकारी मेहमानों और राष्ट्रपति के लिए आरक्षित था, लेकिन अब यह आम जनता के लिए खुला है। इससे न केवल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिल रहा है। पर्यटन विभाग ने इसे राष्ट्रपति निकेतन पथ के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है, जिसमें सड़कों, ओवरब्रिज, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास शामिल है।
राष्ट्रपति निकेतन के खुलने से स्थानीय व्यापारियों, होटल मालिकों, और परिवहन सेवाओं को बड़ा फायदा हो रहा है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या ने स्थानीय रेस्तरां, दुकानों, और टैक्सी सेवाओं की मांग बढ़ा दी है। इसके अलावा, उद्यान में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थानीय कलाकारों और हस्तशिल्पियों को मंच प्रदान करेंगे, जिससे उनकी कला और उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
उत्तराखंड पर्यटन विभाग इस अवसर को भुनाने के लिए सक्रिय है। राष्ट्रपति निकेतन पथ को एक विशेष पर्यटक मार्ग के रूप में विकसित करने की योजना है, जिसमें आधुनिक सुविधाएं, साफ-सुथरी सड़कें, और पर्यटकों के लिए गाइड सेवाएं शामिल होंगी। यह मार्ग देहरादून और मसूरी के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनेगा, जो पर्यटकों को एक ही यात्रा में दोनों स्थानों की सुंदरता का आनंद लेने का मौका देगा।
राष्ट्रपति निकेतन केवल एक पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी है। यहां का राष्ट्रीय ध्वज स्तंभ और सांस्कृतिक कार्यक्रम नागरिकों में देशभक्ति और सांस्कृतिक एकता की भावना को मजबूत करेंगे। यह स्थान उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर, और आधुनिक विकास को एक साथ प्रदर्शित करता है। राष्ट्रपति निकेतन का विकास देहरादून को एक वैश्विक पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह स्थान न केवल पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि स्थानीय समुदाय को रोजगार और विकास के नए अवसर भी प्रदान करेगा। अनुमानित 20 लाख वार्षिक पर्यटकों की संख्या देहरादून की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां देगी। इसके अलावा, यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करेगा।

राष्ट्रपति निकेतन का उद्घाटन और इसके साथ जुड़ा उद्यान प्रोजेक्ट उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार की साझा दृष्टि का परिणाम है। यह स्थान न केवल पर्यटकों के लिए एक नया गंतव्य है, बल्कि एक ऐसी जगह है जहां इतिहास, प्रकृति, और आधुनिकता एक साथ सांस लेते हैं।
राष्ट्रपति उद्यान में निम्नलिखित सुविधाएं होंगीः
प्राकृतिक आकर्षणः फूलों के बगीचे, तितली घर, पक्षी आवास, और एक सुंदर झील, जो पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाएगी।
सांस्कृतिक केंद्रः 800 से अधिक लोगों की क्षमता वाला एक ओपन-एयर थिएटर, जहां सांस्कृतिक और कला प्रदर्शन आयोजित होंगे।
मनोरंजन और सुविधाएंः साइकिलिंग और जॉगिंग ट्रैक, बच्चों के लिए खेल क्षेत्र, पिकनिक लॉन, और वन प्रकृति पथ।
आधुनिक सुविधाएंः कैफेटेरिया, स्मारिका स्टोर, सार्वजनिक पुस्तकालय, और फूड प्लाजा।
राष्ट्रीय गौरवः देश का दूसरा सबसे ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज स्तंभ, जो इस उद्यान की पहचान बनेगा।
घुड़सवारी क्षेत्रः हाल ही में राष्ट्रपति मुर्मु द्वारा उद्घाटित घुड़सवारी क्षेत्र और 105 फीट लंबा पैदल पार-पुल पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण हैं।
योग और ध्यानः राष्ट्रपति तपोवन में योग और ध्यान की सुविधा, जो आगंतुकों को मानसिक शांति प्रदान करेगी।
राष्ट्रपति निकेतन की खासियतेंः एक नजर में
ऐतिहासिक महत्वः 352 साल पुराना इतिहास, जो ब्रिटिश काल से लेकर आधुनिक भारत तक की कहानी कहता है।
प्राकृतिक सौंदर्यः मालसी की पहाड़ियों और हरियाली के बीच बसा, जो पर्यटकों को शांति और सुकून देता है।
आधुनिक सुविधाएंः साइकिलिंग ट्रैक, जॉगिंग पथ, एम्फीथिएटर, और फूड प्लाजा जैसी सुविधाएं।
पर्यावरण-अनुकूल डिजाइनः सौर ऊर्जा, वर्षा जल संग्रहण, और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली।
सांस्कृतिक केंद्रः कला प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और स्थानीय हस्तशिल्प को बढ़ावा।
पर्यटक आकर्षणः तितली घर, पक्षी आवास, झील, और घुड़सवारी क्षेत्र।
राष्ट्रीय गौरवः दूसरा सबसे ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज स्तंभ और राष्ट्रपति की उपस्थिति।
देहरादून के अन्य पर्यटन स्थल
देहरादूनः उत्तराखंड की राजधानी, हिमालय की तलहटी में बसी एक ऐसी जगह है जहां प्रकृति की गोद में इतिहास, आध्यात्मिकता और साहसिक गतिविधियों का अद्भुत मेल मिलता है। हाल ही में राष्ट्रपति निकेतन के रूप में एक नया पर्यटन केंद्र उभरने से यह शहर और भी जीवंत हो गया है, लेकिन देहरादून की सैर में इसके अलावा भी अनगिनत आकर्षण हैं। यहां की हरियाली भरी वादियां, झरने, मंदिर और वन्यजीव अभयारण्य पर्यटकों को लुभाते हैं। चाहे आप परिवार के साथ पिकनिक मनाने आए हों, साहसिक ट्रेकिंग के शौकीन हों या आध्यात्मिक शांति की तलाश में, देहरादून सबको कुछ न कुछ देता है। देहरादून की ऊंचाई लगभग 2,100 फीट है, जो इसे गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में सुहावने मौसम का आशीर्वाद देती है। शहर गंगा और यमुना नदियों के संगम के पास बसा है, जो इसे प्राकृतिक रूप से समृद्ध बनाता है। पर्यटन के लिहाज से, यहां 30 से अधिक प्रमुख स्थल हैं, जिनमें से कुछ प्राकृतिक, कुछ धार्मिक और कुछ सांस्कृतिक हैं।
- सहस्रधाराः हजार झरनों की शीतलता
सहस्रधारा, जिसका अर्थ है “हजार धाराओं वाला स्रोत“, देहरादून का सबसे लोकप्रिय प्राकृतिक आकर्षण है। यह स्थान शहर से लगभग 14 किलोमीटर दूर बाल्डी नदी के किनारे स्थित है, जहां चूना पत्थर की चट्टानों से सल्फर युक्त पानी की अनेक धाराएं बहती हैं। यह झरना न केवल स्नान के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण त्वचा रोगों में लाभकारी माना जाता है। सहस्रधारा रोपवे से आप पहाड़ की चोटी तक पहुंच सकते हैं, जहां से पूरे क्षेत्र का मनोरम दृश्य दिखता है। आसपास की गुफाएं और बगीचे पिकनिक के लिए आदर्श हैं। मानसून में यहां की सुंदरता दोगुनी हो जाती है, लेकिन सावधानी बरतें क्योंकि पानी की धाराएं तेज हो सकती हैं। प्रवेश शुल्क न्यूनतम है, और यह स्थान सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। यदि आप राष्ट्रपति निकेतन की हरियाली से प्रभावित हैं, तो सहस्रधारा की प्राकृतिक शांति आपको और भी मोह लेगी।

- रॉबर्स केव (गुच्चू पानी): रहस्यमयी गुफा और धारा
देहरादून से मात्र 8 किलोमीटर दूर स्थित रॉबर्स केव एक प्राकृतिक चमत्कार है। यह एक लंबी गुफा है, जहां एक रहस्यमयी धारा अंदर-बाहर हो जाती है, जैसे कोई जादू हो। ब्रिटिश काल में लुटेरों का अड्डा माने जाने वाले इस स्थान का नाम ’रॉबर्स केव’ यहीं से पड़ा। गुफा के अंदर घूमना रोमांचक है, और बाहर निकलते ही हरियाली भरे जंगल आपको स्वागत करते हैं।

यह स्थान ट्रेकिंग और पिकनिक के लिए बेस्ट है। सर्दियों में यहां का मौसम सुहावना होता है, जबकि गर्मियों में ठंडी धारा राहत देती है। प्रवेश निःशुल्क है, लेकिन अंदर जाना प्रतिबंधित हो सकता है यदि पानी का स्तर ऊंचा हो। आसपास के बाजार से आप लोकल स्नैक्स खरीद सकते हैं। यह देहरादून के उन स्थलों में से एक है जो साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देता है।

- टपकेश्वर मंदिरः शिव की पवित्र गुफा
आध्यात्मिक पर्यटकों के लिए टपकेश्वर मंदिर एक अनमोल रत्न है। यह प्राचीन शिव मंदिर देहरादून से 6 किलोमीटर दूर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है, जहां से एक छोटी धारा बहती है। मान्यता है कि पांडवों ने यहां तपस्या की थी। मंदिर का वातावरण शांत और भक्तिमय है, जहां घंटियों की ध्वनि और भजनों का संगीत आपको समाधि में ले जाता है। महाशिवरात्रि पर यहां मेले का आयोजन होता है, जो हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है, और प्रवेश निःशुल्क है। यदि आप राष्ट्रपति तपोवन की शांति पसंद करते हैं, तो टपकेश्वर की आध्यात्मिक ऊर्जा आपको और गहराई तक ले जाएगी।

- फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूटः वन्य जीवन का वैज्ञानिक खजाना
देहरादून का फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) न केवल एक शोध केंद्र है, बल्कि एक स्थापत्य चमत्कार भी। 1906 में स्थापित यह इमारत ग्रीक और कोलोनियल शैली की है, जो बॉलीवुड फिल्मों (जैसे ’चंदा मामा दूर के’) में भी दिखाई गई है। यहां छह संग्रहालय हैं पेड़, वन्यजीव, कागज, आदि दृ जो प्रकृति प्रेमियों को रोमांचित करते हैं। परिसर में 450 एकड़ का जंगल है, जहां आप साइकिलिंग या वॉकिंग कर सकते हैं। प्रवेश शुल्क 50 रुपये है, और यह सुबह 9ः30 से शाम 5ः30 बजे तक खुला रहता है। यह स्थान शिक्षा और पर्यटन का बेहतरीन मिश्रण है।

- राजाजी नेशनल पार्कः जंगलों का साम्राज्य
यदि आप वन्यजीव प्रेमी हैं, तो राजाजी नेशनल पार्क देहरादून का सबसे बड़ा आकर्षण है। 820 वर्ग किलोमीटर में फैला यह पार्क हाथी, बाघ, हिरण और 500 से अधिक पक्षियों का घर है। यह जिम कॉर्बेट का दूसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है। जिप सफारी, ट्रेकिंग और कैंपिंग यहां की प्रमुख गतिविधियां हैं। शहर से 20 किलोमीटर दूर स्थित, पार्क का प्रवेश शुल्क 150 रुपये (भारतीयों के लिए) है। सर्दियों में यहां का दौरा सबसे अच्छा होता है। राष्ट्रपति निकेतन की तरह यहां भी प्रकृति संरक्षण पर जोर है।

- मिन्ड्रोलिंग मॉनेस्ट्रीः तिब्बती बौद्ध संस्कृति का केंद्र
देहरादून की तिब्बती बस्ती में स्थित मिन्ड्रोलिंग मॉनेस्ट्री 1965 में पुनः स्थापित की गई थी। यह नलपदहउं स्कूल की छह प्रमुख मठों में से एक है। यहां का विशाल बुद्ध स्टेचू और रंग-बिरंगे भवन शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करते हैं। मंदिर में प्रार्थनाएं और ध्यान सत्र होते हैं। परिसर में एक बड़ा बगीचा और संग्रहालय भी है। प्रवेश निःशुल्क है, लेकिन दान स्वागतयोग्य है। सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुला। यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों और संस्कृति प्रेमियों के लिए आदर्श है।

- मालसी डियर पार्कः हिरनों की सुरक्षित दुनिया
पूर्व में मालसी डियर पार्क के नाम से जाना जाने वाला यह चिड़ियाघर देहरादून का छोटा लेकिन सुंदर वन्यजीव केंद्र है। यहां हिरण, खरगोश और विभिन्न पक्षी देखने को मिलते हैं। 25 एकड़ में फैला यह पार्क पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए परफेक्ट है। शहर से 6 किलोमीटर दूर, प्रवेश शुल्क 20 रुपये है। सुबह 9ः30 से शाम 5 बजे तक खुला। बच्चों और परिवारों के लिए यह एक मजेदार स्पॉट है।

- हार की दूनः ट्रेकर्स का स्वर्ग
ट्रेकिंग उत्साहीं के लिए हार की दून एक क्रैडल-शेप्ड घाटी है, जो 3,566 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फीले पहाड़ों, हरे-भरे मैदानों और घने जंगलों से घिरी यह जगह देहरादून से 200 किलोमीटर दूर है। यहां का ट्रेक 6-7 दिनों का होता है, जो शुरुआती और अनुभवी दोनों के लिए उपयुक्त है। मानसून के बाद का समय यहां घूमने के लिए बेस्ट है। यह उत्तराखंड के सबसे सुंदर ट्रेकिंग रूट्स में से एक है।

- लच्छीवालाः प्रकृति का पिकनिक स्पॉट
रिशिकेश-हरिद्वार रोड पर स्थित लच्छीवाला एक शांत पिकनिक क्षेत्र है। यहां सल वनों के बीच 4-7 फीट गहरे तालाब हैं, जहां आप नाव चला सकते हैं। यह स्थान परिवारों के लिए आदर्श है, और आसपास का हरित क्षेत्र आपको राष्ट्रपति निकेतन की याद दिलाएगा। प्रवेश शुल्क 50 रुपये, सुबह 8 से शाम 6 बजे तक।

- जाबरखेट वाइल्डलाइफ रिजर्वः निजी वन्यजीव अभयारण्य
उत्तराखंड का पहला निजी वन्यजीव अभयारण्य, जाबरखेट, विविध वनस्पतियों और जीवों का घर है। यहां रोडोडेंड्रॉन के जंगल और हिमालय के दृश्य हैं। ट्रेल्स, बर्डवॉचिंग और नेचर वॉक यहां की खासियत हैं।



