69000 शिक्षक भर्ती में नया बवाल, अर्चना “तिवारी” “ओबीसी”
परिवार का दावा, गोसाईं हैं, तिवारी है टाइटिल
लखनऊ: प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों की सूची जारी होने के बाद एक नया बखेड़ा शुरू हो गया है। यह बवाल एक महिला अभ्यर्थी के नाम को लेकर है। सूची में दर्ज इस अर्चना तिवारी नाम ने टॉप तो किया है, लेकिन इनकी मार्कशीट में ओबीसी लिखा हुआ है, जिसे लेकर लोगों ने बहुत आपत्ति जताई है। उनकी मार्कशीट में कैटिगरी को लेकर एक बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया है। यह नया विवाद जनरल कैटेगरी के ब्राह्मण वर्ग का टाइटल लगाने वाली अभ्यर्थी को उसकी मार्कशीट में ओबीसी दिखाए जाने के बाद सामने आया है। इस मार्कशीट पर सभी सवाल उठा रहे हैं कि जिस उम्मीदवार नाम से जनरल कैटिगरी का है, उसका चयन पिछड़ा वर्ग की कैटेगरी में आखिर किस प्रकार हो गया?
अर्चना तिवारी नाम की इस अभ्यर्थी का सम्बन्ध यूपी के आजमगढ़ से है। अभ्यर्थी अर्चना तिवारी की मार्कशीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। वायरल मार्कशीट के साथ यह दावा किया जा रहा है कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों और लापरवाही की यह एक बानगी भर है। इम्तहान कराने वाली संस्था परीक्षा नियामक प्राधिकारी और बेसिक शिक्षा परिषद ने इसी तरह तमाम गड़बड़ियां कर बड़े पैमाने पर अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।
इस मामले में यह भी गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा रखी है। कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने सहायक शिक्षकों के घोषित रिजल्ट में कुछ प्रश्नों को लेकर सवाल उठाए थे। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इसकी अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।
यह है अर्चना तिवारी का एजुकेशनल रिकार्ड
वायरल हो रही इस मार्कशीट के अनुसार अर्चना तिवारी ने 10वीं-12वीं यूपी बोर्ड से पास किया है। जहां 10वीं में उनके 600 में से 419 मार्क्स आए थे, वहीं कक्षा 12वीं में उन्होंने 500 में से 394 मार्क्स आए थे।
इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई V.B.S.P.U जौनपुर कॉलेज से की है। ग्रेजुएशन में उन्हें 1800 में से 1170 मार्क्स मिले हैं। इसके बाद उन्होंने इसी कॉलेज से बीएड का कोर्स किया है। अर्चना तिवारी प्राइमरी यूपीटेट की परीक्षा में शामिल हुईं, जिसमें उन्हें 150 में से 115 मार्क्स मिले हैं।
परिक्षा नियामक का दावा, फ़ार्म में अभ्यर्थी ने ही भरा “ओबीसी”
इस सम्बन्ध में 69 हजार शिक्षक भर्ती की परीक्षा कराने वाली संस्था परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि इस बार सभी आवेदन ऑनलाइन मंगाए गए थे। इस तरह का सॉफ्टवेयर तैयार कराया गया था, जिससे आवेदकों के ऑनलाइन फॉर्म हूबहू संस्था के सर्वर के रिकॉर्ड में आ जाएं।
उन्होंने यह दावा किया कि अभ्यर्थी के फॉर्म में जो विवरण दर्ज किया गया है, वही उनके रिकॉर्ड में है। किसी तरह की गलती की कोई गुंजाइश नहीं है।.भरे गए आवेदन फॉर्म में आजमगढ़ जिले की रहने वाली अर्चना ने खुद को ओबीसी वर्ग का ही बताया है।अर्चना को अब काउंसलिंग के वक्त ओबीसी का सर्टिफिकेट पेश करना होगा। अगर वह ऐसा नहीं कर पाती हैं तो उनका आवेदन निरस्त हो सकता है।
अर्चना के परिवार का दावा, गोसाईं हैं, तिवारी टाइटिल है
इस मामले पर आजमगढ़ में रह रहे अर्चना के परिवार ने दावा किया है कि वे लोग गोसाईं हैं और गोसाईं ओबीसी में आते हैं। बस उन्होंने टाइटल तिवारी लगा रखा है। परिवार वालों ने बताया कि वह लोग वास्तव में अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। कभी मंदिरों में चढ़ावे की रकम को खर्च करने वाले गोसाईं जाति के लोग ओबीसी कैटेगरी के आरक्षण में ही आते हैं।
अर्चना के परिवार वालों ने यह भी बताया कि वह लोग सिर्फ दिखावे के लिए ही तिवारी टाइटल का इस्तेमाल करते हैं। पूरा विवाद सिर्फ इसलिए पैदा हुआ क्योंकि ओबीसी कैटेगरी की अर्चना ने अपने नाम के साथ तिवारी टाइटल का इस्तेमाल किया था।