न्यूजीलैंड ने बनाया अच्छा स्कोर लेकिन मार्श और वार्नर की जोड़ी ने छीना मैच
दुबई: टी-20 वर्ल्डकप के फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को आठ विकेट से हरा दिया। इस मैच में टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी कीवी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और विलियमसन के शानदार 85 रनों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया के सामने 173 रनों का लक्ष्य रखा। इसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत कुछ खास नहीं थी, लेकिन वार्नर और मार्श ने पारी को संभाला और न्यूजीलैंड को मैच से बाहर कर दिया। बाद में मैक्सवेल ने मार्श के साथ मिलकर मैच खत्म किया। यहां हम बता रहे हैं कि किस वजह से ऑस्ट्रेलिया की टीम यह मैच जीतकर पहली बार टी-20 की ट्रॉफी अपने नाम कर पाई।
फाइनल मैच में मिशेल मार्श और डेविड वार्नर ने दूसरे विकेट के लिए 92 रनों की साझेदारी कर मैच ऑस्ट्रेलिया के पाले में डाल दिया था। वार्नर ने 38 गेंद में 53 रन की शानदार पारी खेली और जब वो आउट हुए तब ऑस्ट्रेलिया को 46 गेंद में 66 रनों की जरूरत थी। दुबई की पिच में दूसरी पारी में बल्लेबाजी करते समय यह कोई मुश्किल काम नहीं था, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के पास आठ विकेट भी बचे हुए थे। वहीं मार्श ने टी-20 वर्ल्डकप फाइनल का सबसे तेज अर्धशतक बनाया। उन्होंने सिर्फ 31 गेंदों में फिफ्टी लगाई। मार्श ने 50 गेंद में 77 रन बनाए।
दुबई में पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड ने अच्छा स्कोर बनाया था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया को बाद में बल्लेबाजी करने का फायदा मिला। दूसरी पारी में पिच सपाट हो गई और गेंद आसानी से बल्ले पर आने लगी। ऑस्ट्रेलिया के विकेट गिरे पर न्यूजीलैंड दबाव नहीं बना पाया क्योंकि दूसरी पारी में नए बल्लेबाज भी आसानी से बड़े शॉट लगा पा रहे थे। मिशेल मार्श और मैक्सवेल ने विकेट आते ही बड़े शॉट खेले और खुद पर दबाव नहीं बनने दिया।
इस मैच से पहले ईश सोढ़ी को ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा था, लेकिन कंगारू बल्लेबाज उनके खिलाफ तैयारी करके आए थे। शुरुआत से ही ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने उनके खिलाफ बड़े शॉट लगाए और उन पर दबाव बढ़ाया। बाद में सोढ़ी ने खराब गेंदबाजी भी की और जमकर रन लुटाए। उनके तीन ओवरों में ऑस्ट्रेलिया ने 40 रन बनाए और उन्हें कोई विकेट भी नहीं मिला।
इस मैच में ट्रेंट बोल्ट और सैंटनर-सोढ़ी की जोड़ी से काफी उम्मीदें की जा रही थी, लेकिन बोल्ट को छोड़ कोई भी गेंदबाज उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाया। बोल्ट ने चार ओवरों में 18 रन देकर दो विकेट अपने नाम किए। उनके अलावा कोई भी कीवी गेंदबाज विकेट नहीं ले सका। वहीं सैंटनर और सोढ़ी की जोड़ी ने अपने छह ओवरों में 63 रन खर्चे।
न्यूजीलैंड के ओपनर मार्टिन गुप्टिल ने पहली पारी की शुरुआत में काफी धीमी बल्लेबाजी की। वो आमतौर पर विस्फोटक पारियां खेलने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस मैच में उन्होंने 35 गेंद में 28 रन बनाए। उन्होंने पावरप्ले का फायदा नहीं उठाया। इस वजह से न्यूजीलैंड 200 के करीब रन नहीं बना पाई। अगर कीवी 200 के करीब ल्क्ष्य दे पाते तो ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाया जा सकता था।
दुबई के मैदान में टॉस की अहमियत बहुत ज्यादा रहती है। यहां पर अधिकतर मैच पहले गेंदबाजी करने वाली टीमों ने ही जीते हैं। इसी वजह से ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। हालांकि न्यूजीलैंड के खिलाड़ी भारत की तरह हताश नहीं हुए और उन्होंने अच्छी बल्लेबाजी की। शुरुआती 10 ओवरों में न्यूजीलैंड ने 57 रन बनाए, लेकिन एक ही विकेट गंवाया। इसके बाद के 10 ओवरों में उन्होंने 115 रन जोड़ दिए। इसके साथ ही उन्होंने टी-20 वर्ल्डकप के फाइनल में सबसे बड़ा स्कोर बनाया।
इस टूर्नामेंट में केन लय में नहीं थे और उनका स्ट्राइक रेट 100 से भी कम था, लेकिन इस मैच में उन्होंने फॉर्म में वापसी करते हुए 85 रन बनाए, जो कि आईसीसी टी-20 वर्ल्डकप में संयुक्त रूप से सबसे बड़ा स्कोर है। उन्होंने शुरुआती 19 गेंदों में 18 रन बनाए थे। इसके बाद उन्होंने गियर बदला और 29 गेंदों में 67 रन जड़ दिए। 19 गेंद खेलने के बाद उन्होंने 231.03 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए।
इस मैच में ऑस्ट्रेलिया की फील्डिंग काफी खराब रही। उन्होंने गुप्टिल और विलियमसन जैसे अहम खिलाड़ियों के कैच छोड़े। दो अहम कैच छोड़ने का खामियाजा कंगारुओ को भुगतना ही था। गुप्टिल तो नहीं चले, लेकिन विलियमसन ने 85 रनों की बड़ी पारी खेलकर न्यूजीलैंड का स्कोर 172 रन तक पहुंचा दिया। अगर जोश हेजलवुड उस समय विलियमसन का कैच पकड़ लेते तो किवी टीम को सस्ते में रोका जा सकता था।