सीईटीपी संचालकों पर लगा दस करोड़ का जुर्माना वापस लेने से इनकार
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नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने राजस्थान में मौसमी नदी बांदी और खुले में अनट्रिटेड कचरा डालने पर कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के संचालकों पर लगाए गए दस करोड़ रुपये के जुर्माने के आदेश को वापस लेने से इनकार कर दिया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने जुर्माने की ये रकम एक महीने के अंदर जमान की जाए वरना सीईपीटी के पदाधिकारियों को जेल भेजा जा सकता है।
एनजीटी ने कहा
एनजीटी ने कहा कि सीईपीटी चाहे तो जुर्माने की रकम का आधा हिस्सा अपने सदस्यों के बीच बराबर में बांट सकते हैं। जुर्माने की ये रकम केवल सीईपीटी के सदस्यों से ही वसूली जाएगी। एनजीटी ने साफ कर दिया कि वो सीईपीटी के सदस्यों के बीच किसी विवाद से कोई लेना-देना नहीं है और किसी भी सूरत में जुर्माना सीईपीटी को ही भरना होगा।
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एनजीटी ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एनजीटी के पूर्व के आदेशों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि अगर उसके आदेशों का पालन नहीं किया जाता है तो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एनजीटी ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव की ओर से दिशानिर्देशों का पालन किया जाना सुनिश्चित करें। अगर औद्योगिक ईकाईयां जुर्माने की रकम नहीं भरती हैं तो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पाली के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट उन ईकाईयों की बिजली और पानी का कनेक्शन काट दें।
मुख्य सचिव को दिया निर्देश
एनजीटी ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे एनजीटी के पहले के आदेश के मुताबिक राज्य सरकार पर लगाए गए बीस करोड़ रुपये के जुर्माने की रकम एक महीने में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के यहां जमा करें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो एनजीटी कड़ी कार्रवाई करेगा। एनजीटी ने कहा कि जुर्माने की ये रकम पर्यावरण की बहाली में खर्च किया जाएगा।
मानिटरिंग कमेटी का गठन करने का आदेश
एनजीटी ने झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस प्रकाश चंद्र तातिया के नेतृत्व में एक मानिटरिंग कमेटी का गठन करने का आदेश दियाष जस्टिस तातिया जोधपुर में ही रहते हैं और वो एक प्रदूषण के एक मामले की मानिटरिंग करनेवाली कमेटी की अध्यक्षता कर रहे हैं। एनजीटी ने इस कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सदस्य. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सदस्य, पाली के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और बिट्स पिलानी के प्रोफेसर डॉ. अजीत प्रताप सिंह को बतौर सदस्य शामिल किया है। एनजीटी ने इस कमेटी को अपना पहला एक्शन टेकन रिपोर्ट 31 मार्च 2021 तक दाखिल करने का निर्देश दिया।
लगाया था दस करोड़ का जुर्माना
एनजीटी ने 18 दिसम्बर 2019 को सीईपीटी पर दस करोड़ का जुर्माना लगाया था। मार्च 2019 में एनजीटी ने राजस्थान सरकार पर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के अपने आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया था। एनजीटी ने कहा था कि उद्योगों ने पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है उसे देखते हुए 20 करोड़ के जुर्माने की रकम ज्यादा नहीं है। एनजीटी ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर गौर करते हुए राजस्थान के कृषि विभाग को निर्देश दिया था कि वो बांदी नदी के प्रदूषित पानी से किसानों और ग्रामीणों को हुए नुकसान का आकलन करें। एनजीटी ने आसपास के कुंओं के पानी को हुए नुकसान का भी आकलन करने का निर्देश दिया था। एनजीटी ने राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग को ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर प्रदूषित पानी के असर का आकलन कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
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