नर्मदा में मिल रहे गंदी नालियों को लेकर NHRC ने माँगी DM से एक्शन रिपोर्ट
डिंडोरी : माँ नर्मदा का उद्दगम स्थल मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिला अमरकंठक मे है हमारी जीवन दायनी है जो की मध्यप्रदेश की जीवन रेखा पतित पावनी माँ नर्मदा नदी दिन व दिन प्रदूषण का शिकार होते नजर आ रही है।जिसका कारण है माँ नर्मदा में मिल रही गंदी नलिया। नालियों को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर को नोटिस जारी कर एक्शन रिपोर्ट माँगा हैं। ज्ञात हो कि मामले को लेकर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के युवा अधिवक्ता सम्यक् जैन, मनन अग्रवाल एवं धीरज तिवारी ने NHRC में केस दर्ज कराया था,मामले की सुनवाई करते हुए मानव अधिकार आयोग ने डिंडोरी कलेक्टर से 4 सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट माँगी है।
एडवोकेट सम्यक् ने बताया की जीवनदायिनी कही जाने वाली माँ नर्मदा की जयंती के अवसर पर सरकार के द्वारा बड़े बड़े आयोजन कर नर्मदा की शुद्धिकरण की दावे किए जाते हैं लेकिन नगर के निकासी की गंदी नालियों के रोकथाम के लिए सार्थक प्रयास नही किया जा रहा है, माँ नर्मदा हिन्दू धर्मावलंबियों की श्रद्धा और आस्था की केंद्र हैं वही पौराणिक ग्रंथों में भी माँ नर्मदा को लेकर ऐतेहासिक तथ्य दर्ज हैं,ऐतेहासिक और धार्मिक महत्व की पुण्य सलिला का आंचल हर दिन घरों के सीवरेज के गंदे पानी से मैला किया जा रहा है,अब तक आम जन से लेकर प्रशासन के द्वारा कई बार यह संकल्प संकल्प और वादे दोहराया जा चुका है कि ह गंदे पानी को नर्मदा में मिलने से रोका जाएगा। सरकार के द्वारा बड़ी-बड़ी योजनाएं भी बनाई गईं, लेकिन ये आज तक पूर्ण नहीं हो पाईं हैं,नगर के लगभग 7-8 नालियों से निकासी की गंदगी नर्मदा नदी में मिलने से श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुँच रही है और जिस निष्क्रियता से काम डिंडोरी नगर में हो रहा है उससे धर्मावलंबियों की धार्मिक भावनायें आहत हो रही हैं ,जिसको रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है जिस कारण हालात आज भी जस की तस बनी हुई हैं।
सूबे के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के द्वारा वर्ष 2016/17 में नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान नर्मदा संरक्षण और शुद्धिकरण के लिए निर्देश जारी कर बड़े बड़े दावे ओर वादे किए गए थे किंतु वर्षो बाद आज भी हालात पूर्ववत बनी हुई हैं। यात्रा के दौरान सीएम ने स्वयं डिंडौरी नगर के गंदी नालियों का मुआयना कर नर्मदा में मिलने वाले नाले-नालियों को रोकने हर सम्भव प्रयास करने वादा किया था ,उस दौरान एक्शन प्लान बने, सीवेज ट्रीटमेंट के लिए करोड़ों रुपये का फंड जारी हुआ,ठेकेदार के द्वार नगर की सड़कों को बेतरतीब तरीके से खुदाई कर बर्बाद भी किया गया किन्तु अभी तक नालों का पानी नर्मदा में मिलने से रोका नहीं जा सका हैं। मानव अधिकार आयोग के द्वारा मामले को संज्ञान में लेने से एक बार फिर नगरवासियों को नर्मदा संरक्षण और शुद्धिकरण की आस जगी है।