उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के धर्मांतरण केस की परतें खुलने के साथ ही इसका दायरा भी बड़ा होता जा रहा है. संभवतः यही वजह है कि अब इस संवेदनशील मसले की जांच अब नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के हाथों पहुंचने की भी संभावना बढ़ गई है. 8 राज्यों में फैले धर्मांतरण केस की जांच यूपी एटीएस एनआईए को सौंप सकती है. जांच एजेंसी ने यूपी एटीएस से धर्मांतरण केस की पूरी रिपोर्ट मांगी है. बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी की दो यूनिट पूरे मामले की पड़ताल के लिए लगाई जा सकती हैं. इस क्रम में अब धर्मांतरण केस की जांच एनआईए की दिल्ली यूपी यूनिट करेगी. केस को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसके लिए कागजी कार्यवाही शुरू कर दी गई है. अब यूपी एटीएस की जगह एनआईए पूरे मामले की पड़ताल शुरू कर सकती है.
गौरतलब है कि धर्मांतरण केस में इससे पहले यूपी एंटी टेरर स्क्वॉड टीम, इस्लामिक दावा सेंटर से मिले दस्तावेजों के आधार पर 7 राज्यों में जांच करने वाली थी, लेकिन अब मणिपुर, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, झारखंड, मध्य प्रदेश बिहार में अब एनआईए की टीम जांच शुरू कर सकती है. धर्मांतरण केस से जुड़ी सभी घटनाओं की पड़ताल जांच संस्था करेगी. इस्लामिक दावा सेंटर में जांच के दौरान यह सामने आया है कि मुफ्ती काजी जहांगीर ने 7 जनवरी से 2020 से लेकर 12 मई 2021 तक 33 लोगों का धर्मांतरण कराया है. इस केस में दो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद से ही जांच जारी है. मुफ्ती जहांगीर कासमी मोहम्मद उमर गौतम, दोनों पर आरोप है कि इन्होंने बड़ी संख्या में लोगों का धर्मांतरण कराया है.
यूपी के नोएडा में धर्मांतरण केस का जब खुलासा हुआ, तब यह सामने आया था कि मूक-बधिर बच्चों महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराया गया है. कुछ लोगों पर दबाव बनाकर, डरा-धमकाकर भी धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया था. यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने खुलासे के बाद कहा था कि बीते एक साल में 100 से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण कराया गया था. इस केस में विदेशी फंडिंग की बात भी सामने आई थी. जिसके बाद से ही प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लॉन्ड्रिंग अन्य मामलों की जांच में जुटा है. इस मामले से जाकिर नाईक समेत इंडोनेशिया पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के तार भी जुड़ रहे हैं.