बिहारराज्य

नीतीश कुमार की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण से दूरी, उपेंद्र कुशवाहा का बीजेपी पर हमला

पटना : बिहार में सत्ताधारी पार्टियां बीजेपी और जेडीयू में तनातनी बढ़ती जा रही है। एनडीए में दरार पड़ने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी के कार्यक्रमों से दूरी बना ली। सीएम नीतीश सोमवार को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए। वहीं, जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पीएफआई टेटर मॉड्यूल के मामले में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष संजय जायसवाल समेत पार्टी के नेताओं को फालतू बयानबाजी नहीं करने की नसीहत दे दी।

वैसे तो बीजेपी और जेडीयू के नेता कह रहे हैं कि बिहार एनडीए में सब ऑल इज वेल है। मगर कई मुद्दों पर दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच की तकरार नजर आ रही है। बीजेपी से नजदीकियों की वजह से जेडीयू ने आरसीपी सिंह को पूरी तरह साइडलाइन कर दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो बीजेपी के कार्यक्रमों से दूरी भी बना ली है। दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में सीएम नीतीश कुमार नहीं पहुंचे। इस कार्यक्रम में एनडीए शासित अधिकतर राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे। पिछले महीने बिहार में योग दिवस के मौके पर आयोजित हुए कार्यक्रमों से भी सीएम नीतीश समेत जेडीयू के सभी बड़े नेताओं ने दूरी बनाए रखी थी।

जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को कहा कि भाजपा-जदयू में किसी तरह का विवाद नहीं है। हालांकि, बीजेपी नेताओं को बेवजह की बयानबाजी करने से बचना चाहिए। पिछले दिनों बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष संजय जायसवाल ने पीएफआई टेरर मॉड्यूल पर कहा था कि बिहार में तेजी से आतंकी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। उपेंद्र कुशवाहा ने इसका पलटवार करते हुए कहा कि अगर बीजेपी अध्यक्ष को प्रशासन से ज्यादा जानकारी है, तो वह सरकार को इनपुट उपलब्ध कराएं। नहीं तो उनपर जानकारी छुपाने का आरोप लग जाएगा। इस तरह के बयानों से बीजेपी नेताओं को परहेज करना चाहिए। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होने पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के पास बहुत काम होते हैं। वे हर कार्यक्रम में जाएं, यह संभव नहीं। राष्ट्रपति का चुनाव तो हो चुका है, शपथ ग्रहण महज औपचारिकता है।

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