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CM धामी के राज में नहीं बच सकता कोई भी अपराधी! अंकिता भंडारी हत्याकांड में तीनों दोषियों को उम्रकैद

देहरादून: अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार कोर्ट का फैसला आया। 2 साल 8 महीने की सुनवाई के बाद हत्या आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दे दिया है। तीनों को उम्रकैद की सजा हुई है। यह फैसला बताता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शासन में कोई अपराधी बच नहीं सकता सकता है। हत्याकांड के बाद ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया था कि सरकार पीड़ित पक्ष के साथ है और वह किसी भी कीमत पर अन्याय नहीं होने देंगे। उन्होंने उत्तराखंड की जनता को भरोसा दिलाया था कि सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त एक्शन होगा। जांच में कोई भी एंगल नहीं छूटेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया था कि जांच के दौरान कितने भी बड़े शख्स का नाम इस मामले में आए उसके खिलाफ एक्शन होगा।

यह मामला सितंबर 2022 का है। पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक की 22 साल की अंकिता भंडारी की 18 सितंबर 2022 को हत्या कर दी गई थी। वह यमकेश्वर ब्लॉक में ही बने वनतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट का काम करती थी। 6 दिन बाद 24 सितंबर को चीला पावर हाउस इनटेक में नहर से एसडीआरएफ ने अंकिता भंडारी का शव बरामद किया था। इस मामले में पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। पुलकित को मुख्य आरोपी बनाया गया था। मामले के खुलासे को लेकर डीआईजी (कानून-व्यवस्था) पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में एसआईटी टीम गठित की गई थी।

एसआईटी जांच के बाद अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में 500 पेज का आरोप पत्र दाखिल किया गया। तीनों हत्यारोपियों रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, उसके कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर आरोप तय होने के बाद 28 मार्च 2023 से अभियोजन पक्ष की गवाही शुरू हुई। कोटद्वार स्थित एडीजे कोर्ट में 30 जनवरी 2023 को मामले की पहली सुनवाई हुई थी। करीब दो साल और आठ महीने तक चली सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से जांच अधिकारी समेत 47 गवाह अदालत में पेश किए गए। हालांकि एसआईटी ने इस मामले में 97 गवाह बनाए थे, जिनमें से 47 अहम गवाहों को ही अदालत में पेश किया गया। गत 19 मई को अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी की ओर से बचाव पक्ष की बहस का जवाब देकर सुनवाई का सिलसिला समाप्त किया गया था। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाने के लिए 30 मई की तिथि निर्धारित की थी।

इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि धामी सरकार के शासन में बेटियों की गरिमा और न्याय प्रणाली दोनों ही सुरक्षित हैं। मुख्यमंत्री ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे न तो किसी दबाव के आगे झुकते हैं और न ही जनता की भावनाओं को नजरअंदाज करते हैं। उन्होंने पहले ही कहा था—”न्याय में देरी नहीं होगी और अपराधियों के लिए कोई रहम नहीं बरती जाएगी”, और आज वही सच्चाई सामने आई है।

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