नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच एक दूसरे की सैन्य मदद को लेकर तीन तरह के समझौते हैं, दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान के हालात को लेकर लगातार विमर्श भी हो रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत अमेरिका को अपनी धरती का इस्तेमाल अफगानिस्तान के खिलाफ खुलेआम करने देगा। विदेश मंत्रालय ने इस बारे में भारत का रुख गुरुवार को स्पष्ट किया। इस स्पष्टीकरण की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि दो दिन पहले अमेरिकी संसद में अफगानिस्तान के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन ने जो बयान दिया था उससे यह संदेश गया था कि भारत और अमेरिका के बीच इस तरह की बातचीत हो रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक, ‘हमें कोई भी दबाव में नहीं ले सकता। मेरे ख्याल से हम दोनों (भारत व अमेरिका) एक दूसरे पर इस बारे में दबाव नहीं बना सकते। मैं विदेश मंत्री ब्लिंकन के बयान पर कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन जैसा मीडिया में बताया जा रहा है वैसा उन्होंने नहीं कहा है। वैसे अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है उसको लेकर हम अमेरिका के साथ लगातार संपर्क में हैं।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच एक दूसरे की सैन्य मदद को लेकर तीन तरह के समझौते हैं। इसमें यह समझौता भी है कि दोनों देश एक दूसरे के सैन्य ठिकानों का आपसी समझ से इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत को यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि गुरुवार को कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह खबर आई कि अमेरिका भारतीय ठिकानों से अफगानिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने की सोच रहा है और इस बारे में दोनों देशों के बीच बातचीत हो रही है। असलियत में अमेरिकी संसद में सुनवाई के दौरान जब ब्लिंकन से यह पूछा गया था कि क्या अमेरिका भारत के साथ संपर्क में है कि किस तरह अफगानिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया जाए, तो उनका जबाव था कि मैं बस यह कहना चाहूंगा कि हम भारत के साथ लगातार करीबी स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के साथ अमेरिकी रिश्तों की पुर्नसमिक्षा करने की बात भी कही थी।
बागची ने बताया कि 24 सितंबर, 2021 को अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया के प्रमुखों की क्वाड के तहत होने वाली बातचीत से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी इस दौरान अमेरिका पहुंच रहे हैं। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान से जुड़े सुरक्षा हालात को लेकर दोनों देशों में तब अहम विमर्श होगा।