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केरल में मिले नोरोवायरस के मामले

नई दिल्ली: केरल में नोरोवायरस का खतरा पैदा हो गया है। हाल ही में केरल में फिर से नोरोवायरस के मामले मिले हैं। केरल के विझिंजामी में 6 जून को नोरोवायरस के दो मरीज सामने आए हैं। इस पर केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि दोनों संक्रमित बच्चों की हालत फिलहाल स्थिर है। अभी सैंपल लेकर बाकी सावधानी बरती जा रही हैं।विझिंजामी इलाका राजधानी तिरुवनंतपुरम में पड़ता है। यहीं के दो बच्चों में यह अत्यधिक संक्रामक इंफेक्शन पाया गया है।

वैश्विक स्तर पर एक्यूट गैस्ट्रोइंटेरिटिस के हर 5 में से एक मामला नोरोवायरस के चलते होता है जिससे डायरिया और वॉमिटिंग की समस्या गंभीर हो जाती है। नोरोवायरस ही एक्यूट गैस्ट्रोइंटेरिटिस का सबसे आम कारण होता है। इसका सबसे नकारात्मक पहलू यह है कि बड़ी संख्या में यह 5 साल से कम के बच्चों की मौत का कारण बनता है।

इसे पहले नोरवॉक वायरस के नाम से जाना जाता था। 1929 में इसे विंटर वॉमिटिंग डीजीज के रूप में देखा गया था। 1968 में इसने नोरवॉक के स्कूल के छात्रों को निशाना बनाया था और उस समय नॉजिया , उल्टी , डायरिया और लो ग्रेड फीवर को इसके लक्षण के रूप में देखा गया था। यह वायरस गंभीर संक्रामक बीमारी को बढ़ावा देता है । दूषित जल और फूड ( contaminated water and food) से नोरोवायरस का संक्रमण फैलता है । इसके अलावा इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी यह बीमारी लग जाती है। डायरिया , स्टमक पेन, नॉजिया और वॉमिटिंग के लक्षणों वाली यह बीमारी बच्चों के स्वास्थ्य के लिए घातक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया में हर साल नोरावायरस से 2 लाख मौतें होती हैं जिसमें बच्चों की संख्या 70000 से अधिक होती है। वैसे तो नोरावायरस से निपटने के लिए कुछ वैक्सीन्स बन चुकी हैं लेकिन बच्चों को नुकसान पहुचाने की दृष्टि से ये घातक है । बेहतर हाइजीन , साफ सफ़ाई के जरिये इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।

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