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सिर्फ 5 दिन नहीं इस जगह पर 2 महीने तक रहता है दिवाली का जश्न, जानिए क्या कहती हैं परंपरा

MP Diwali Ritual: हिंदू धर्म में कई व्रत-त्योहारों को खास तरीके से मनाया जाता है जहां पर हर त्योहार का कोई ना कोई अर्थ होता है। दिवाली यानि दीपावली पर्व भी इन त्योहारों में से एक है जो कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। दिवाली के लिए जहां पर लोग महीने भर पहले से साफ-सफाई से लेकर पकवान बनाने तक तैयारी करते हैं। वहीं पर यह त्योहार 5 दिवसीय होता है लेकिन मध्यप्रदेश में एक जगह ऐसी है जहां पर दो महीने तक दिवाली का त्योहार मनाते है।

आदिवासी अंचल मानते हैं ये परंपरा
यहां मध्यप्रदेश के डही अंचल के आदिवासी समाज द्वारा दिवाली का त्योहार खास तरीके से मनाया जाता है। यहां पर 62 आदिवासी बहुल गांवों के लोग पुरानी परंपरा के अनुसार केवल 5 दिन नहीं यहां पर पूरे दो महीने के लिए इस त्योहार को मनाते है। इस परंपरा का संबंध कृषि क्षेत्र से जुड़ा होता है जहां पर किसान अपने कामकाज को खत्म करने के बाद इस दिवाली के त्योहार को मनाते है। यहां पर दिवाली मनाने के लिए गांव के मुखिया ही तारीख तय करते हैं कि, कब दिवाली का पर्व मनाया जाएगा।

पशुधन पूजा को देते हैं महत्व
यहां पर दिवाली पर दीप जलाने से लेकर रंगोली बनाने की परंपरा के अलावा पशुधन पूजा को महत्व दिया जाता है। इस गांव के आदिवासी समाज के लोग दिवाली के पर्व पर पशुधन पूजा को बहुत महत्व देते हैं, जिसके चलते पशुधन की पूजा की जाती है जिसमें मिट्टी से बने घोड़े, ढावे और माझली को आदिवासी लोग कुम्हारों से खरीदते हैं।

इस परंपरा के दौरान पशुओं की पूजा के संबंध में पहले खरीदते समय पशु बांधने के स्थान पर गाय, भैंस, बैल के सामने रखकर पूजा की जाती है. इस दौरान पशुओं को भी खूब सजाया जाता है. घर में पकवान बनाए जाते हैं और कुलदेवी और इष्ट देवताओं को उनका भोग लगाया जाता है। इस दौरान क्षेत्रीय नृत्य से नाचते गाते हुए दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। यहां पर इस क्षेत्र के लोग दिवाली के जश्न को 5-10 दिन में पूरा नहीं बल्कि दो महीने तक मनाते है।

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