सिर्फ हड्डियों का दर्द नहीं, आपकी हंसी भी चुरा सकता है Vitamin D; जानिए क्या कहता है नया स्वास्थ्य विज्ञान

Vitamin D: हालिया स्वास्थ्य रिपोर्टों और अध्ययनों ने एक चौंकाने वाली सच्चाई उजागर की है जिसे अब विशेषज्ञ ‘साइलेंट महामारी’ या अदृश्य बीमारी का नाम दे रहे हैं। भारत, जिसे सूर्य देवता का आशीर्वाद प्राप्त है और जहाँ साल भर भरपूर धूप रहती है, वहां की 70% से अधिक आबादी विटामिन डी की गंभीर कमी से जूझ रही है। यह केवल एक पोषक तत्व की कमी नहीं है, बल्कि आधुनिक जीवनशैली, बंद कमरों के कल्चर और धूप से दूरी बनाने का नतीजा है। ताज़ा शोध यह भी बताते हैं कि विटामिन डी की कमी का सीधा संबंध न केवल कमजोर हड्डियों से है, बल्कि यह आपके यूरिक एसिड को बढ़ाकर गाठिया जैसे रोगों को न्योता दे सकता है और आपकी मानसिक शांति को छीनकर अवसाद (डिप्रेशन) का कारण बन सकता है।
शरीर के इन इशारों को न करें नजरअंदाज
आपका शरीर बीमार होने से पहले कई बार आपको चेतावनी देता है, बस जरूरत है उन संकेतों को पहचानने की। अगर आप बिना किसी भारी काम के भी दिन भर थकान महसूस करते हैं, या फिर रातों को अच्छी नींद लेने के बाद भी सुबह उठने का मन नहीं करता, तो यह विटामिन डी (Vitamin D) की कमी का सायरन हो सकता है। इसके अलावा, अगर आपकी पीठ के निचले हिस्से में लगातार मीठा-मीठा दर्द बना रहता है, बाल तेजी से झड़ रहे हैं, या छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन महसूस हो रहा है, तो समझ लीजिये कि आपके शरीर में ‘सनशाइन विटामिन’ का स्तर गिर रहा है। यह विटामिन असल में एक हार्मोन की तरह काम करता है, और इसकी कमी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को इतना कमजोर कर सकती है कि आप बार-बार सर्दी-जुकाम की चपेट में आने लगते हैं।
मुफ्त का इलाज और खानपान में बदलाव
इस समस्या का समाधान प्रकृति ने हमें बिल्कुल मुफ्त दिया है, और वह है सूरज की रोशनी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच की धूप विटामिन डी बनाने के लिए सबसे असरदार मानी जाती है। सप्ताह में कम से कम 3 से 4 बार, 15 से 20 मिनट के लिए अपनी त्वचा को सीधी धूप के संपर्क में लाने से शरीर प्राकृतिक रूप से इस विटामिन (Vitamin D) का निर्माण कर सकता है। लेकिन ध्यान रहे, खिड़की के कांच से छनकर आने वाली धूप उतना फायदा नहीं पहुँचाती। शाकाहारी लोगों के लिए यह चुनौती थोड़ी बड़ी हो सकती है, इसलिए उन्हें अपनी डाइट में मशरूम (जो धूप में सुखाए गए हों), फोर्टिफाइड दूध, संतरा और अनाज शामिल करना चाहिए। मांसाहारी लोग फैटी फिश और अंडे की जर्दी से इसकी भरपाई कर सकते हैं। याद रखें, यह वसा में घुलने वाला विटामिन है, इसलिए इसे घी या ‘गुड फैट’ वाले भोजन के साथ लेना ज्यादा फायदेमंद होता है।
सावधानी: अति सर्वत्र वर्जयेत
जहाँ एक तरफ कमी खतरनाक है, वहीं दूसरी तरफ बिना डॉक्टरी सलाह के धड़ल्ले से सप्लीमेंट्स खाना भी जहर समान हो सकता है। इसे ‘विटामिन डी टॉक्सिसिटी’ कहा जाता है। अगर शरीर में इसकी मात्रा बहुत अधिक हो जाए, तो खून में कैल्शियम का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ सकता है, जिसे ‘हाइपरकैल्सीमिया’ कहते हैं। इससे गुर्दे (किडनी) में पथरी, लगातार उल्टी, और यहाँ तक कि किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, यह कतई न सोचें कि ज्यादा गोलियां खाने से आप जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे। हमेशा रक्त जांच करवाकर और डॉक्टर द्वारा निर्धारित डोज ही लें। संतुलन ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है।



