ऋषभ ही नहीं उनकी पत्नी भी थीं Kantara का हिस्सा, असल कहानी दिखाने के लिए खुद डिजाइन कीं 1000 ड्रेस
मुंबई : कांतारा की चर्चा हर तरफ है। इस फिल्म को सिनेमाघरों में लगे 45 दिनों का समय पूरा हो गया है और अभी भी कांतारा का जलवा बरकरार है। अभी भी लोग कांतारा को देखने के लिए जा रहे हैं। यह फिल्म 14 अक्टूबर को रिलीज हुई थी। फिल्म का बजट लगभग 20 करोड़ था। ये फिल्म अब तक सिनेमाघरों में 288.93 करोड़ रुपये कमा चुकी है। इस फिल्म में सितारों के लिए निर्देशक ऋषभ शेट्टी की पत्नी प्रगति शेट्टी ने कॉस्ट्यूम डिजाइन किया है। बता दें कि वह कॉस्ट्यूम डिजाइनर हैं। एक बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि इस फिल्म के लिए उनको कॉस्ट्यूम डिजाइन करने में किन समस्याओं का सामना करना पड़ा।
प्रगति शेट्टी ने इस फिल्म के लिए करीब 1000 से ज्यादा कॉस्ट्यूम डिजाइन किए हैं। जिनमें से लीड कैरेक्टर्स की करीब 350 पोशाक थीं। ऋषभ के लिए लगभग 20 सेट और मुख्य अभिनेत्री सप्तमी गौड़ा के लिए इनकी संख्या दोगुनी थी। प्रगति ने बताया कि जब इस फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार हुई तो उस समय पर प्रेग्नेंट थीं, उसी दौरान उन्होंने रिसर्च शुरू कर दी थी। उन्होंने कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में स्थित एक गांव का दौरा किया, जहां आसपास के अन्य गांव के लीडर्स रहते थे। राजा-राजी की ड्रेस और ज्वैलरी का कॉन्सेप्ट वहीं से आया। प्रगति ने रानी अब्बक्का के म्यूजियम का भी दौरा किया और उस युग की तस्वीरें इकट्टठा कीं, जिनसे मुझे काफी मदद मिली।
प्रगति ने बताया था, कॉस्ट्यूम के लिए उनके पास मुख्य रूप से तीन लोग थे रॉकी, किरन और चार अन्य कॉस्ट्यूमर्स जो किसी सीन के लिए कॉस्य्यूम की निरंतरता को ये देखते थे। ये ड्रेस मुख्य रूप से बंगलुरू, मंगलुरु, उडुपी, मणिपाल और कुंडापुरा के अलग-अलग वेंडर्स से मंगाई जाती थी। वो वेंडर्स पार्सल को बस में छोड़ देते थे और उनकी टीम उसे वहां से कलेक्ट कर लेती थी। प्रगति ने बताया कि उनके पास हर किरदार के लिए एक खास ड्रेस थी।
कांतारा की ड्रेस डिजाइन के लिए रिसर्च के अलावा सबसे चुनौतीपूर्णं काम ड्रेस की एजिंग था। कुछ ड्रेस को तैयार होने में कम से कम 2-3 दिन लगते हैं। खासतौर से वो ड्रेस जो लड़ाई के के दौरान उपयोग किए गए थे, हमारे पास ड्रेस और चप्पल के कई सेट थे क्योंकि लड़ाई के दौरान ये काफी खराब हो सकते थे। कांतारा में कुल 4 फाइट होती हैं और हमारे पास सभी कॉस्ट्यूम के 4 सेट तैयार थे। इसके बावजूद, कुछ पोशाक और जूते पूरी तरह से खराब हो गए थे और हमारे पास उन्हें सही करने के लिए पर्याप्त समय नहीं था। इसलिए हमने बिहाइंड द सीन जाकर कपड़ों पर थोड़ी सी मिट्टी लगानी पड़ी ताकि वह पुराने दिखें। अगर एक्टर्स को पता लग जाता कि हमने ऐसा किया है, तो निश्चित रूप से वह उन्हें पहनने से मना कर देते।