अब मंडी में नहीं लगेगी किसानों की भीड़
लखनऊ: सबका भरण-पोषण करने वाले अन्नदाता किसान और अन्य कृषि उत्पादकों को वैश्विक महामारी कोरोना से बचाने के लिए सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए मंडी नियमों में छूट दी है। अब अपना कृषि उत्पाद यानी फसल बेचने के लिए किसानों को मंडी जाने को मजबूर नहीं होना पडेगा। सरकार ने आटा मिल, दाल मिल, तेल मिल, कोल्ड स्टोर्स और अन्य खहड़ी प्रसंस्करण इकाइयों के साथ ही कृषक समूहों, कृषि उत्पादक संगठनों और भण्डार ग्रहों को मंडी-उप-स्थल के रूप में खरीद केंद्र चलाने की अनुमति दे दी है। इनमे से जो खरीद केंद्र किसानों के नजदीक होगा किसान वहीं पर निर्धारित सरकारी खरीद मूल्य पर अपनी फसल बेच सकेगा। उप मंडी स्थल चलाने वाले केंद्र सीधे खेतों से भी खरीदारी करेंगे। इससे मंडियों में लगाने वाली भीड़ में बड़ी कमी आएगी। और खेती किसानी से जुड़े लोग कोरोना महामारी से बचे रह पाएंगे।
राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेष कृषि उत्पादन मण्डी नियमावली, 2019 में मण्डी उपस्थल घोषित करने तथा सीधी खरीद का लाइसेन्स देने की व्यवस्था की गई थी। जिसके तहत नोवेल कोरोना वायरस की आपदा को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषक हित में मण्डी परिसर के बाहर विभिन्न क्रय संस्थाओं, भण्डारण व प्रसंस्करण इकाइयों द्वारा खरीद हेतु मण्डी नियमावली में सरलीकरण व छूट प्रदान की है। इन निर्णयों से कृषि उत्पाद के विपणन व्यवस्था में नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के बचाव के उपायों जैसे-सोशल डिस्टेंसिंग, व्यक्तिगत स्वच्छता इत्यादि का अनुपालन भी करना सरल होगा, कृषकों को उनके उत्पाद के विपणन में भी सुविधा होगी तथा मण्डियों का भीड़ रहित संचालन हो सकेगा।
खरीद केंद्र को सरकार ने मानकों में छूट दी
मण्डी उपस्थल घोषित कराने के नियम 58-क में ऐसे सभी शीतगृह, साइलो जिनकी भण्डारण क्षमता अन्यून 5000 टन निर्धारित थी, को घटाकर अब न्यूनतम 4000 टन करते हुए मण्डी उपस्थल घोषित कराने की व्यवस्था की गई है। इससे लगभग सभी 1911 शीतगृह मण्डी उपस्थल बन सकेंगे। इसी प्रकार, 10 टन प्रति दिन की प्रसंस्करण क्षमता की इकाइयों (दाल मिल, आटा मिल, आयल मिल आदि) को भी मण्डी उपस्थल घोषित करने की व्यवस्था की गयी है।
खरीदारों को लाइसेंस शुल्क और बैंक गारंटी से भी मुक्ति
मण्डी उपस्थल के निर्धारित लाइसेंस शुल्क 2000 रुपए प्रति वर्ष की वर्तमान वित्तीय वर्ष (2020-21) में छूट प्रदान की जा रही है। केन्द्र व राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन सरकारी, सार्वजनिक उपक्रम, निगम, सहकारिता के स्वामित्व के भण्डागार, साइलो को आवेदन के साथ शुल्क समाप्त कर दिया गया है। इसी प्रकार प्रदेष सरकार द्वारा 5 लाख रुपए बैंक प्रतिभूति के प्रविधान को भी समाप्त कर दिया गया है। कृषक सहकारी व कृषक उत्पादन संगठन को भी प्रोत्साहित करने के लिए सीधी खरीद के निर्धारित आवेदन शुल्क 1000 रुपए प्रतिवर्ष तथा 01 लाख रुपए की बैंक गारण्टी की छूट वर्तमान वित्तीय वर्ष (2020-21) में प्रदान की गई है।
पूर्व लाइसेंसधारियों का सत्यापन नहीं होगा
केन्द्र/राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन सरकारी/सार्वजनिक उपक्रम/निगम/ सहकारिता तथा वेयरहाउसिंग डवलेपमेण्ट रेगुलेटरी अथाॅरिटी से पंजीकृत भण्डागार, साइलो को सरलीकृत फार्म में संयुक्त रूप से आवेदन करने की व्यवस्था की गयी है। इसी प्रकार, उद्यान विभाग से लाइसेंस प्राप्त निजी क्षेत्र के ऐसे कोल्ड स्टोरेजों/प्रसंस्करण इकाइयों को सरलीकृत फार्म में निदेषक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के माध्यम से आवेदन करने की अनुमति दी गई है तथा इनकी सत्यापन प्रक्रिया भी समाप्त कर दी गई है, क्योंकि यह पूर्व से ही लाइसेंसधारी हैं।