उत्तराखंडराज्य

अब शीतकालीन चारधाम यात्रा पर फोकस, जानिए क्या है उत्तराखंड सरकार का प्लान

देहरादून: उत्तराखंड सरकार का फोकस केदारनाथ-बदरीनाथ सहित अब शीतकालीन चारधाम यात्रा पर है। चार महीने के लिए अब पूजा अर्चना चारों धामों के शीतकालीन प्रवासों पर होगी। ऐसे में श्रद्धालुओं से शीतकालीन प्रवासों पर आने की अपील की जा रही है। 20 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद चारों धामों के शीतकालीन प्रवासों पर पूजा अर्चना शुरू हो जाएगी। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन प्रवास मुखबा, यमुनोत्री के खरसाली, केदारनाथ के ऊखीमठ और बदरीनाथ धाम के जोशीमठ व पांडुकेश्वर रहते हैं। जोशीमठ में शंकराचार्य की गद्दी और मुख्य पूजन होता है। पांडुकेश्वर में कुबेर और उद्धव जी की मूर्ति रहती है। सरकार का फोकस इन शीतकालीन प्रवासों तक भी श्रद्धालुओं को लाने का है। चारधाम यात्रा देर से शुरू होने के बावजूद भी देश-विदेश से उत्तराखंड आने वाले तीर्थ यात्रियों की खासी भीड़ रही। चारों धामों में से तीन धामों के कपाट शीतकालीन के लिए बंद कर दिए गए हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। जबकि, छह नवंबर को केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो गए हैं। पांच नवंबर को गंगोत्री धाम के कपाट भी बंद किए जा चुके हैं। चारों धामों में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या रिकॉर्ड चार लाख के पार पहुंच गई। इनमें दो लाख से अधिक तीर्थ यात्रियों ने अकेले ही केदारनाथ धाम में दर्शन किए हैं।

उत्तराखंड चार धामों में प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट शनिवार भैया दूज वृश्चिक राशि अनुराधा नक्षत्र में समाधि पूजा-प्रक्रिया के पश्चात विधि-विधान से शीतकाल हेतु बंद हो गए। बर्ह्ममुहुर्त से कपाटबंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी। प्रात: 6 बजे पुजारी बागेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरवनाथ जी का आव्हान कर धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्यंभू शिव लिंग को विभूति तथा,शुष्क फूलों से ढककर समाधि रूप में विराजमान किया। ठीक सुबह 8 बजे मुख्य द्वार के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिये गये। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी रहे। बर्फ की सफेद चादर ओढ़े श्री केदारनाथ धाम से पंच मुखी डोली ने सेना के बैंड बाजो की भक्तमय धुनों के बीच मंदिर की परिक्रमा कर विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ हेतु प्रस्थान किया। प्रदेश के राज्यपाल महामहिम गुरूमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सहित प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, चारधाम विकास परिषद पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने धामों के कपाट बंद होने पर शुभकामनाएं दी।

श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होते समय उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सदस्य श्री निवास पोस्ती, वरिष्ठ पत्रकार एवं देवस्थानम बोर्ड सदस्य आशुतोष डिमरी, आयुक्त गढ़वाल एवं देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन, जिलाधिकारी मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, आदि मौजूद रहे। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली ने मंदिर की परिक्रमा के बाद जय श्री केदार के उदघोष के बाद पहले पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान किया। 7 नवंबर डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास हेतु पहुंचकर 8 नवंबर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली के पंच केदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ विराजमान हो गई। इसी के साथ भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजाये शुरू हो गई। चारधामों में कल 5 नवंबर को श्री गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए। शीतकाल हेतु 20 नवंबर को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे। 22 नवंबर को द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट बंद होंगे श्री मद्महेश्वर भगवान की विग्रह डोली के 25 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचने की तिथि पर मद्महेश्वर मेला आयोजित होगा। बताया कि अभी तक दो लाख चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंचे है।

विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट शुक्रवार को अन्नकूट पर्व पर विधिवत पूजा अर्चना के साथ 11:45 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके बाद मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन पड़ाव मुखीमठ (मुखबा) के लिए रवाना हुई थी। डोली शनिवार को मुखबा पहुंची। जहां पर श्रद्धालु आगामी छह माह तक मुखीमठ (मुखबा) में ही मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे। इस बीच श्रद्धालुओं ने मां के भोग मूर्ति के दर्शन किए। इसके बाद अमृत बेला, स्वाती नक्षत्र प्रीतियोग शुभ लग्न पर ठीक 11:45 पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद किए गए। इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने विशेष पूजा व गंगा लहरी का पाठ किया। डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। नवीं बिहार रेजिमेंट के बैंड की धुन और परंपरागत ढोल दमाऊ की थाप के साथ ठीक 11: 51 पर तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के लिए पैदल रवाना हुए। रात्रि विश्राम के लिए गंगा की डोली मुखबा से चार किमी पहले चंदोमति के देवी के मंदिर में पहुंचेगी। शनिवार की सुबह मां गंगा की डोली चंदोमती माता मंदिर से मुखीमठ स्थित गंगा मंदिर में पहुंचेगी। जहां आगामी छह माह तक मां गंगा की विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी। इस मौके पर पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, डीएम मयूर दीक्षित, नगर पालिकाध्यक्ष रमेश सेमवाल, गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष रावल हरीश सेमवाल, सचिव सुरेश सेमवाल, दीपक सेमवाल, राजेश सेमवाल, पवन सेमवाल, हरीश सेमवाल सहित तीर्थ पुरोहित एवं देश-विदेश के सैंकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।

वहीं दूसरी ओर, भैयादूज के पावन पर्व पर दोपहर 12:15 बजे विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।जिसके बाद शीतकाल में छह माह तक मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में होंगे। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया है कि भैया दूज के पावन पर्व पर पौराणिक परंपरानुसार शनिवार को दोपहर 12:15 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। जिसके बाद मां यमुना की डोली यमुनोत्री धाम से शनि देव की अगुवाई में अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ के लिए प्रस्थान किया। यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में छह माह तक मां यमुना की पूजा अर्चना उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में होगी तथा यहीं पर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु शीतकाल में छह माह तक मां यमुना के दर्शन कर सकेंगे। जिसके बाद अक्षय तृतीया के पर्व पर पुनः ग्रीष्म काल के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।

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