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अब मायावती के कोर वोटबैंक में सेंध की तैयारी में भाजपा, पूर्व महिला गवर्नर को दी जिम्मेदारी

लखनऊ: भाजपा ने 2017 के उत्तर प्रदेश के चुनाव में गैर-जाटव दलित और गैर-यादव ओबीसी वोटों में सेंध लगाते हुए बड़ी सफलता हासिल की थी। लेकिन इस बार भगवा दल ने और आक्रामक रणनीति अपनाते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने का फैसला लिया है। यूपी चुनाव में अब तक बसपा काफी कमजोर नजर आई है। ऐसे में भाजपा ने वोटों का बंटवारा करने के लिए जाटव समुदाय के बीच भी संपर्क बढ़ा दिया है। यह समुदाय बसपा का कोर वोटर माना जाता रहा है। भाजपा ने इस समुदाय के कम से कम 50 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। यदि ऐसा होता है तो यह भाजपा के लिए बड़ी कामयाबी होगी और इसका असर नतीजों में भी देखने को मिल सकता है।

प्रदेश में जाटव समुदाय के 10 फीसदी के करीब वोट हैं, जो बड़ी संख्या है। भाजपा नेताओं का मानना है कि बसपा कमजोर हो रही है और जमीन पर पकड़ खो रही है। ऐसे में जाटव मतदाताओं को अपने पाले में लाने का यह सबसे सही वक्त है। भाजपा नेताओं का कहना है कि वे जाटव समुदाय में यह संदेश देंगे कि बसपा कमजोर है और ऐसे में सपा को फायदा होगा। इसलिए उसे रोकने के लिए वे भाजपा के साथ आ जाएं। उत्तराखंड की गवर्नर रहीं बेबी रानी मौर्य को भाजपा ने राज्य में जाटव फेस के तौर पर पेश करने का फैसला लिया है।

इसकी बकायदा शुरुआत भी कर दी गई है। 19 अक्टूबर को भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चे की मेरठ में बैठक थी। इसमें हिस्सा लेने के लिए बेबी रानी मौर्य भी पहुंची थीं और यहां लगे पोस्टरों में उनके नाम के साथ जाटव भी जोड़ा गया था। इससे साफ संकेत था कि भाजपा उनकी मौजूदगी और जाटव नाम लिखकर संबंधित समुदाय को संदेश देना चाहती है। इसके बाद से वह राज्य के छह क्षेत्रों में बैठक कर चुकी हैं। यही नहीं पार्टी ने उन्हें राज्य के हर जिले में भेजने की तैयारी की है। बेबी रानी मौर्य भाजपा की इस रणनीति को लेकर कहती हैं, ‘मेरे समुदाय के लोग बीते करीब 10 सालों से लीडरशिप की तलाश में हैं। मैं उनके पास सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी का संदेश लेकर जाऊंगी।’

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