अब 99 रुपये में मिलेगी शराब की बोतल, इस राज्य ने बदली आबकारी नीति
विजयवाड़ाः आंध्र प्रदेश सरकार ने नई शराब नीति लागू करने का ऐलान किया है। कम इनकम वाले लोगों को अब सरकार सस्ते दामों पर शराब मुहैया करवाएगी। सरकार ने नई नीति में कई बदलाव किए हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य राजस्व को बढ़ाना है। सरकार मानकर चल रही है कि नई नीति के लागू होने से अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगेगी। नई नीति 12 अक्टूबर से लागू हो जाएगी। नई नीति के तहत शराब की बोतल 99 रुपये में लोग खरीद सकेंगे।
सरकार ने राज्य भर में 3,736 खुदरा दुकानें अधिसूचित की हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि निजी विक्रेताओं या कंपनियों को आईएमएफएल (भारत में तैयार विदेशी शराब) और एफएल (विदेशी शराब) बेचने की अनुमति चयन प्रक्रिया के जरिए दी जाएगी। अधिसूचना के अनुसार कि आईएमएफएल और एफएल बेचने के लिए लाइसेंस की अवधि 12 अक्टूबर, 2024 से 30 सितंबर, 2026 तक के लिए होगी। 2024-26 के लिए 3,396 दुकानों को खुली श्रेणी में लाइसेंस दिया जाएगा जबकि 340 दुकानें ‘गीता कुलालु’ (ताड़ी निकालने वाला समुदाय) के लिए आरक्षित होंगी, ताकि उन्हें सशक्त बनाया जा सके और समानता एवं सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया जा सके।
अवैध कारोबार रोकने के लिए बड़ा कदम
आंध्र सरकार ने 99 रुपये या उससे कम कीमत की शराब भी पेश की है। सरकार अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाना चाहती है। राष्ट्रीय स्तर पर शराब की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को भी इस मूल्य पर अपने ब्रांड की शराब बेचने के लिए सरकार प्रोत्साहित करेगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच साल में प्रदेश में शराब की बिक्री में गिरावट आई है। अब सरकार को लग रहा है कि नई नीति के बनने के बाद आंध्र प्रदेश शराब के शीर्ष तीन शराब विक्रेता बाजारों में शामिल हो जाएगा।
नीति की अवधि दो साल निर्धारित की गई है। खुदरा विक्रेताओं की अधिक भागीदारी बढ़ने का अनुमान सरकार जता रही है। पिछले पांच साल में आंध्र प्रदेश में शराब के दाम काफी बढ़े हैं। वहीं, स्थानीय कंपनियों को ही सरकार अधिक तरजीह दे रही थी। अब सरकार को उम्मीद है कि बीयर कंपनियां प्रदेश में हजारों करोड़ के निवेश के लिए तैयार हैं। कंपनियों की प्रत्येक भट्ठी के हिसाब से लागत देखी जाए तो फिलहाल 300 से 500 करोड़ है।
लॉटरी विधि से मिलेगा लाइसेंस
लाइसेंस देने की चयन प्रक्रिया लॉटरी के जरिए होगी और कोई भी आवेदक एक से अधिक दुकानों के लिए आवेदन कर सकता है। इसमें कहा गया है कि एक व्यक्ति के नाम पर दुकानों के लाइसेंस की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। आवेदकों को हर एक दुकान के लिए दो लाख रुपये का शुल्क जमा करना होगा। राज्य सरकार की एक कैबिनेट उप-समिति ने नई नीति तैयार करने से पहले तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की आबकारी नीतियों का अध्ययन किया था और प्रमुख हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया।