पंजाब : हाथ में भाला और ढाल, सिर पर पगड़ी और आंखों में तेज! ऐसी ही कुछ निहंग सिखों की पहचान है। दिल्ली कूच को अड़े किसानों के आंदोलन में अब निहंग सिखों ने भी हिस्सा लेने का फैसला किया है। पंजाब, हरियाणा के कई किसान संगठनों ने 13 फरवरी से एमसएपी और कर्ज माफी सहित कई मांगों को लेकर मोर्चा खोला है। दिल्ली में प्रवेश करने से पहले किसानों की रोजाना पुलिस से झड़प होती रहती है। वहीं अब निहंगों ने किसानों की ढाल बनने का फैसला किया है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, निहंगों में से एक शेर सिंह ने सिखों के आध्यात्मिक नेता का जिक्र करते हुए कहा, “गुरु गोबिंद सिंह ने उपदेश दिया है कि सिखों को अन्याय और उत्पीड़न से लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। अगर इन प्रदर्शनकारियों को आधी रात में भी किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है तो हमें तैयार रहना होगा।” उल्लेखनीय है कि निहंगों ने 2021 में पूरे साल चले किसानों के इसी तरह के आंदोलन में भाग लिया था। एक अन्य निहंग राजा राम सिंह ने कहा, “किसानों पर अत्याचार किया जा रहा है… सरकार यह न सोचे कि वे किसानों को डरा सकते हैं… यह पंजाब है और हम किसानों के साथ एकजुटता से खड़े हैं।”
वहीं हरियाणा के अंबाला में गुरुवार रात आंदोलनकारी किसानों के साथ झड़प में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। घायल पुलिस कर्मियों की संख्या तीस से अधिक है। यह बात राज्य की बीजेपी सरकार ने शुक्रवार को कही। पुलिस ने दावा किया कि झड़पें तब हुईं जब आंदोलनकारियों ने दिल्ली में जबरदस्ती घुसने की कोशिश की। गुरुवार रात बीजेपी शासित हरियाणा की पुलिस ने कहा कि वह किसानों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज करेगी। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़ने की कोशिश, सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, पुलिस पर पथराव करने का मामला दर्ज किया गया है। हरियाणा पुलिस का दावा है कि किसान नेता लगातार कानून व्यवस्था तोड़ रहे हैं और अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
गुरुवार रात एक आंदोलनकारी किसान की मौत हो गई। हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर गुरुवार रात किसान की तबीयत खराब हो गई और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वह अपने सिर पर आठ लाख रुपये का कर्ज लेकर इस आंदोलन में शामिल हुए थे। मृत किसान का नाम दर्शन सिंह (62) है। वह पंजाब के भटिंडा के अमरगढ़ गांव के रहने वाले हैं। दर्शन खनौरी 13 फरवरी से बॉर्डर पर बैठे थे। वह अन्य लोगों के साथ ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में भी शामिल हुए। वह गुरुवार आधी रात से ठीक पहले विरोध स्थल पर बीमार पड़ गए।