अब विद्यार्थियों को मिलेंगे डिजिटल लाकर,कालेजों से जुटाएंगे जानकारी
इंदौर: नेशनल एकेडमी डिपाजिटरी (एनएडी) योजना के तहत विद्यार्थियों की जानकारियों को डिजिटल प्रारूप में बदलना है। छात्र-छात्राओं का डाटा तैयार करने के लिए अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को अनिवार्य किया है। डिजिटल लाकर में डाटा रखने के कई लाभ है, जिसमें विश्वविद्यालय का समय अधिक बचेगा। साथ ही उन लोगों के लिए भी सुविधा होगी, जो विदेशों में नौकरी व अध्ययन करने जाते है। संबंधित संस्थाओं को बार-बार इनके दस्तावेज सत्यापित करने की जरूरत नहीं बढ़ेगी।साथ ही एक क्लिक करने पर विद्यार्थियों से जुड़ी शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी तुरंत मिल जाएगी।
यूजीसी से सख्त निर्देश के बाद देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) अगले कुछ महीनों में इस पर काम शुरू करने वाला है, जिसमें अब कालेजों की मदद ली जाएगी। विद्यार्थियों की शैक्षणिक योग्यता (12वीं, स्नातक और स्नातकोत्तर), कोर्स, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी जुटाई जाएगी। यह काम अगले सत्र से पहले पूरा करना है।
पांच साल पहले हुई योजना
नेशनल एकेडमी डिपाजिटरी (एनएडी) योजना के तहत विद्यार्थियों का डाटा डिजिटल लाकर में रखने के लिए देशभर के सभी विश्वविद्यालय को 2017 से बोला गया है। संस्थानों को निर्देश दिए है कि अपने-अपने विद्यार्थियों का डाटा डिजिटल प्रारूप में बदल, जिसमें छात्र-छात्राओं की डिग्री, अंकसूची, माइग्रेशन, ट्रांसक्रिप्ट सहित अन्य दस्तावेजों को डिजिटल प्रारूप शामिल है। संस्थानों की लापरवाही के बाद अब यूजीसी ने सख्त निर्देश दिए है और एेसा नहीं करने वाले विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई हो सकती है। इसके चलते अब विश्वविद्यालय कुछ दिनों में डिजी लाकर पर काम शुरू करने वाला है। अधिकारियों के मुताबिक दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बदलने को लेकर अभी सालभर का समय लग सकता है।